आप लगातार अपने स्किल्स बढ़ाते रहेंगे या नए स्किल जोड़ेंगे, तो आप अपनी सैलरी बढ़ाकर मांग सकते हैं
पिछले 50 सालों में जबसे राजधानी एक्सप्रेस देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और राजनैतिक राजधानी दिल्ली को जोड़ रही है
एन. रघुरामन का कॉलम:
पिछले 50 सालों में जबसे राजधानी एक्सप्रेस देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और राजनैतिक राजधानी दिल्ली को जोड़ रही है, इसके लोकोमोटिव (इंजिन), कोच, इंटीरियर, सुविधाएं और यहां तक कि इसका लुक भी अपग्रेड होता रहा है। इस ट्रेन के बारे में एक रोचक वाकिया है।
19 फरवरी 1969 को जब तत्कालीन रेल मंत्री डॉ. राम सुभग सिंह ने इसका शुभारंभ किया तो मुंबई के एक शख्स ने 25 साल आगे का एक रिजर्वेशन कराया। उस समय कंप्यूटर्स नहीं थे तो उसे हाथ से लिखी टिकट दी गई। रेलवे सारे आरक्षण एक डायरी में मैनेज करता था। 25 साल बाद यात्रा से कुछ हफ्ते पहले पश्चिम रेलवे को इस आरक्षण की जानकारी दी गई, फिर वादे का पूरा सम्मान करते हुए उन वरिष्ठ नागरिक को बड़े धूमधाम से यात्रा कराई गई।
सिर्फ ऐसे वाकियों के कारण नहीं पर समय के साथ खुद को बदलने की क्षमता के चलते राजधानी ट्रेन ने हमेशा अपनी लोकप्रियता बनाए रखी। उसी तर्ज पर बाकी ट्रेन जैसे युवा एक्सप्रेस, गरीब रथ, दुरंतो शुरू हुईं, पर राजधानी ने अपनी चमक कभी नहीं खोई।
ये अलग कहानी है कि पिछले 70 सालों से ज्यादातर भारतीय सड़क मार्ग से यात्रा पसंद करते हैं, यहां तक कि आज भी 13% से भी कम आबादी ट्रेन से सफर करती है, जबकि 86% सड़क और एक फीसदी हवाई मार्ग से यात्रा करते हैं।
पर राजधानी का हमेशा विशेष दर्जा रहा। पहले इसे WDM-2 डीजल लोको के बजाय WAP लोको में बदला गया। 1993 में यह एसी-डीसी लोको में अपग्रेड हुई। दिसंबर 2003 में नए लिंक हॉफमैन बुश रैक (एलएचबी) डिजाइन हुए, ताकि एंटी स्किड ब्रेक के साथ 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार को 140 कर सकें।
अगले चार वर्षों में राजधानी की रफ्तार 160 होने की उम्मीद है, जो 12 घंटे में मुंबई और दिल्ली को कवर करेगी। 1986 में ही राजधानी में आरक्षण कम्प्यूटरीकृत हो गया था। 1996-97 में वीएसएनल के साथ मिलकर परीक्षण आधार पर टेलीफोन्स लाइन शुरू की गई थीं।
स्मार्ट टेक्नोलॉजी के साथ तेजस क्लास के कोच, आलीशान इंटीरियर के कारण नेट मेड्स जैसी कंपनियां करीना कपूर खान जैसी अभिनेत्रियों के साथ अपने विज्ञापन में ट्रेन का इंटीरियर दिखाना पसंद करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राजधानी 50 साल की यंग है! किराए में बढ़ोतरी के बावजूद लोग इसे पसंद करते हैं। लॉन्च के समय इसकी फर्स्ट क्लास का किराया 327 था, जो अब 5090 रु. है, सेकंड एसी का 3055 और थर्ड एसी का 2225 रु. है।
इसी तरह अगर चाहते हैं कि उसी संस्थान में हर साल सैलरी बढ़ती रहे तो खुद से पूछें कि पिछले साल के मुकाबले आपने खुद को किन पैमानों पर अपग्रेड किया है। यह स्किल के मामले में हो सकता है, ज्यादा जिम्मेदारी, बाकियों से तेजी सेे काम करना, खुद खुश रहना-आसपास के लोगों को खुश रखना हो सकता है।
अपनी पोजिशन खो जाने का डर छोड़कर आपकी पोजिशन लेने के लिए अगले स्तर के मैनेजर्स तैयार करना हो सकता है। अगर संस्थान का मुनाफा बढ़ाने पर फोकस करते हैं, ब्रांड बनाते हैं, ग्राहकों को अच्छी सर्विस दे रहे हैं या इनोवेशन से कंपनी आधुनिक बना रहे हैं, तो यकीन करें कोई भी संस्था रिटायरमेंट का नहीं कहेगी।
आप युवा रहेंगे, जैसे राजधानी 50 की उम्र में भी है। कंपनी नया पद देती रहेगी और आपकी उपस्थिति का जश्न मनाएगी। आसपास देखें, आपकी ही संस्था में ऐसा कोई एक कर्मचारी जरूर होगा। उसका ग्रोथ चार्ट देखें-समझें कि कौन सी चीज उन्हें आज वहां ले गई है।
फंडा यह है कि अगर आप लगातार अपने स्किल्स बढ़ाते रहेंगे या नए स्किल जोड़ेंगे, तो आप अपनी कीमत (पढ़ें सैलरी) बढ़ाकर मांग सकते हैं, जैसे राजधानी ट्रेन बेहिचक किराया बढ़ा देती है।