गर्मी का कहर
जैसी गर्मी पड़ रही है, वैसी पिछले कई सालों में नहीं पड़ी। मई में ही जून जैसा तापमान बना हुआ है। देश के ज्यादातर राज्यों का यही आलम है। रविवार को दिल्ली में कुछ जगहों पर तापमान उनचास डिग्री सेल्सियस के पार चला गया।
Written by जनसत्ता; जैसी गर्मी पड़ रही है, वैसी पिछले कई सालों में नहीं पड़ी। मई में ही जून जैसा तापमान बना हुआ है। देश के ज्यादातर राज्यों का यही आलम है। रविवार को दिल्ली में कुछ जगहों पर तापमान उनचास डिग्री सेल्सियस के पार चला गया। ऐसा नहीं कि दिल्ली में ही पारे ने यह रेकार्ड तोड़ा। उत्तर प्रदेश के बांदा में भी पारा उनचास डिग्री पर था। हालांकि राजस्थान से लेकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी कई शहरों में तापमान के पिछले रेकार्ड टूटे हैं।
पिछले कुछ वर्षों से तो देखने में यह भी आ रहा है कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य भी गर्मी की चपेट आ रहे हैं। जब मैदानी इलाके झुलस रहे होते हैं तो लोग इन पहाड़ी राज्यों का ही रुख करते हैं। इसलिए अगर हिमालय के पहाड़ी इलाके भी तपने लगते हैं तो एकबारगी हैरानी होना लाजिमी है। बताया जा रहा है कि इस बार शिमला, कांगड़ा, धर्मशाला जैसे शहर खासे गरम हैं। शिमला ने पिछले आठ साल का रेकार्ड तोड़ा। धर्मशाला में तापमान सैंतीस डिग्री तक चला गया।
कहा जाता रहा है कि मौसम अपने समय के हिसाब से चलता है। गर्मी के मौसम में गर्मी और सर्दी में कड़ाके की ठंड पड़नी भी चाहिए। पर पिछले कुछ दशकों में ऋतु चक्र में बदलाव आया है। इसका असर यह हुआ है कि सर्दी, गर्मी और बारिश का चक्र और अवधि सब बदलते जा रहे हैं। पहले जहां तीन-चार महीने अच्छी-खासी सर्दी पड़ती थी, वह अब एक महीने भी नहीं पड़ती। यही हाल गर्मी का है। अप्रैल और मई में ही गर्मी के सारे रेकार्ड टूट गए। हालांकि पहले के मुकाबले लू चलने की अवधि कम पड़ती जा रही है।
ऐसा भी नहीं कि मौसम की यह मार सिर्फ भारत में ही पड़ रही हो, दुनिया के ज्यादातर देश इसकी जद में हैं। पिछले कुछ सालों में तो कई यूरोपीय देश भी भीषण गर्मी का शिकार हुए हैं। अमेरिका में भी गर्मी और लू ने कहर बरपाया है। दरअसल, मौसम पर इंसान का कोई जोर चल नहीं सकता। लेकिन एक बड़ी सच्चाई जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता, वह यह कि मौसम पर असर डालने वाले जो बड़े कारण हैं, उनमें से ज्यादातर तो खुद इनसान ने ही पैदा किए हैं। इसलिए इससे बचाव के रास्ते भी अब हमें ही निकालने होंगे।
भारत के लिए गर्मी का कहर ज्यादा चिंता की बात इसलिए भी है कि दुनिया के सबसे गर्म पंद्रह शहरों में बारह भारत के ही हैं। ये सभी चार राज्यों राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हैं। इतनी ही नहीं, दुनिया के सर्वाधिक बारिश वाले पंद्रह शहरों में छह शहर भी भारत के ही हैं। यानी मौसम के मामले में भारत की स्थिति दूसरे देशों की तुलना में कहीं ज्यादा संवेदनशील होती जा रही है।
जाहिर है, हमारी मौसम संबंधी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। वायु प्रदूषण के मामले में भारत की हालत पहले ही से बेहद खराब है। एअर कंडीशनरों और वाहनों का बेहताशा इस्तेमाल तापमान बढ़ने का एक बड़ा कारण है। दिल्ली सहित देश के ज्यादातर शहर गर्मी आते ही जल संकट से जूझने लगते हैं। गर्मी का असर कम करने के लिए हरियाली जरूरी है। पर दिल्ली की हालत यह हो चली है कि यहां पेड़ लगाने तक की जगह नहीं बची है। कूड़े के पहाड़ आए दिन धधकने लगते हैं। जाहिर है, गर्मी तो बढ़ेगी और इससे बचाव के लिए आगे भी हमें ही आना होगा।