गंभीरता से हो बातचीत
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में शुक्रवार को हुई क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद भी प्रमुखता से उठा।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में शुक्रवार को हुई क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद भी प्रमुखता से उठा। शनिवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बारे में मीडिया से कहा कि एलएसी पर हालात इसलिए बिगड़े क्योंकि चीन ने भारत के साथ हुए लिखित समझौतों का सम्मान नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई बड़ा देश लिखित समझौतों का अनादर करने लगे तो यह पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए जायज चिंता की बात हो जाती है। क्वाड में इन बातों का उठना कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि चीन भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सका। विदेश मंत्रियों की बैठक के तत्काल बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान जारी कर क्वाड पर हमला बोल दिया। उसने कहा कि क्वाड जानबूझकर टकराव बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। क्वाड देशों ने चीन की इस तीखी प्रतिक्रिया को संयत ढंग से लेते हुए अपनी तरफ से यह साफ किया कि यह ग्रुप किसी के भी खिलाफ नहीं है। वैसे चीन की तीखी प्रतिक्रिया के पीछे अपनी वजह हो सकती है, लेकिन देखा जाए तो क्वाड की बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जिसे इसके दायरे के बाहर की चीज माना जाए। विभिन्न देश इस मंच पर अपने आसपड़ोस के इलाकों के ताजा घटनाक्रम से एक-दूसरे को अवगत कराते ही हैं।
दुनिया में नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करना इसका घोषित मकसद रहा है। ऐसे में अगर चीन का व्यवहार चिंता जगाता है तो सदस्य देशों की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया स्वाभाविक ही है। इस संदर्भ में नई बात अगर कुछ है तो भारत के अपनी बात रखने के ढंग में आया बदलाव। न केवल क्वाड की बैठक बल्कि अगले दिन हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी विदेश मंत्री जयशंकर के तेवर में आई धार अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षकों की नजरों से बची नहीं रह सकी। वह आम तौर पर संयत ढंग से अपनी बात कहने के लिए जाने जाते रहे हैं। उनके लहजे में अगर थोड़ी आक्रामकता देखी गई तो इसके पीछे सीमा संबंधी सवालों पर चीन की ओर से लगातार दिखाई जा रही बेरुखी की भावना है। ध्यान रहे, एलएसी पर उभरे ताजा विवादों को लेकर दोनों पक्षों में 14 दौर की सैन्य-कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है, लेकिन उस लिहाज से गतिरोध टूटने को लेकर कोई खास प्रगति नहीं दिख रही है। चीन को समझना होगा कि इस तरह से बात को लटकाए रखने का रवैया किसी के भी हक में नहीं है। सीमा विवाद का कोई भी हल दोनों देशों की आपसी बातचीत से ही निकलना है और बातचीत तभी सफल होगी जब दोनों पक्ष सहमति तक पहुंचने की इच्छा रखते हुए उसमें पूरी गंभीरता से शिरकत करेंगे।
नवभारत टाइम्स