गुजरातः नई पारी, नई जिम्मेदारी

भूपेंद्र पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी सोमवार को शुरू की। हालांकि इनकी पहली पारी करीब एक साल की ही रही थी। उन्हें पिछले साल सितंबर में विजय रूपानी की जगह सीएम बनाया गया था। विधायक के रूप में वह उनका पहला ही कार्यकाल था। इसके बावजूद उनकी ओर से विश्वासपूर्वक यह बात कही जा सकती है कि मुख्यमंत्री पद सौंपते हुए पार्टी नेतृत्व को उनसे जो भी अपेक्षाएं थीं

Update: 2022-12-14 02:46 GMT

नवभारत टाइम्स: भूपेंद्र पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी सोमवार को शुरू की। हालांकि इनकी पहली पारी करीब एक साल की ही रही थी। उन्हें पिछले साल सितंबर में विजय रूपानी की जगह सीएम बनाया गया था। विधायक के रूप में वह उनका पहला ही कार्यकाल था। इसके बावजूद उनकी ओर से विश्वासपूर्वक यह बात कही जा सकती है कि मुख्यमंत्री पद सौंपते हुए पार्टी नेतृत्व को उनसे जो भी अपेक्षाएं थीं, वे जबर्दस्त ढंग से पूरी हुईं। पार्टी ने ऐसी जीत दर्ज की, जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिली 2002 की जीत से ही नहीं, 1985 में कांग्रेस की प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी जीत से भी बड़ी साबित हुई। हालांकि यह सवाल जरूर पूछा जाएगा कि इसमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की कितनी भूमिका मानी जाए? चूंकि बीजेपी ने अन्य तमाम चुनावों की ही तरह यह चुनाव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे, उनके नाम और उनके द्वारा किए गए काम को सामने रखकर लड़ा था। चुनाव प्रबंधन भी प्रदेश नेतृत्व पर छोड़ दिया गया हो ऐसा नहीं था। बीजेपी में उसकी एक स्वतंत्र मशीनरी विकसित हो चुकी है, जो सफलतापूर्वक यह काम करती है और प्रदेश नेतृत्व का इसमें कोई सीधा दखल नहीं होता। लेकिन बावजूद इन सबके, यदि मुख्यमंत्री की इन सबमें कोई भूमिका नहीं होती तो चुनाव से ऐन पहले नया मुख्यमंत्री लाने की जरूरत ही क्यों पड़ती।

दूसरी बात यह कि खुद भूपेंद्र पटेल भी इस बार 1.92 लाख वोटों के विशाल अंतर से जीत कर आए हैं। जाहिर है, न तो इस जीत की अहमियत कम की जा सकती है और न ही इसमें भूपेंद्र पटेल की भूमिका को कम करके आंका जा सकता है। आश्चर्य नहीं कि पार्टी नेतृत्व ने भी उनके शपथ ग्रहण समारोह को इस जीत के अनुरूप ही भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री समेत अनेक केंद्रीय मंत्री, विभिन्न बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रमुख नेता इस मौके पर मौजूद रहे। इन सबसे इस नई पारी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। लोकसभा चुनाव को दो साल भी नहीं रह गए हैं। गुजरात मॉडल बीजेपी के लिए पूरे देश में वोट मांगने का एक प्रमुख आधार रहा है। यह मॉडल विकास के साथ हिंदुत्व का है, जिसे बीजेपी ने दूसरे कई राज्यों में कामयाबी के साथ भुनाया है। भूपेंद्र पटेल पर यह जिम्मेदारी होगी कि वह गुजरात की ग्रोथ ओरिएंटेड छवि को बनाए रखें। उनसे यह भी अपेक्षा है कि वह मोरबी पुल हादसे की जांच को तार्किक परिणति तक ले जाएं, जिससे इसके दोषियों को सजा मिल सके। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व यह भी आशा करेगा कि विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत के बाद अगले आम चुनाव में वह अधिक से अधिक सीटों पर जीत सुनिश्चित करें।


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