बढ़ता आतंक
स्थानीय स्तर पर आतंकियों के बढ़ते हमले कहीं ज्यादा बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।
श्रीनगर में आतंकवादियों ने फिर एक पुलिस वाले को मार डाला। यह हमला बताता है कि आतंकी लगातार अपनी मौजूदगी का अहसास करवा रहे हैं। बीते महीनों कोई हफ्ता ऐसा नहीं गुजरा जब सुरक्षाबलों और पुलिस वालों पर आतंकी हमले न हुए हों। रविवार को एक आतंकी ने जिस पुलिसकर्मी की हत्या की, वह हाल में ही पुलिस सेवा में शामिल हुआ था और प्रशिक्षण पर था। समझा जा सकता है कि ऐसे हमलों के पीछे आतंकियों का मकसद यह संदेश देना भी है कि लोग पुलिस और सुरक्षाबलों में भर्ती न हों। आतंकी संगठनों को लग रहा है कि वे इस तरह हमले कर पुलिस, सेना और सुरक्षाबलों का मनोबल तोड़ने में कामयाब हो जाएंगे। हालांकि पिछले डेढ़ साल के दौरान सेना और सुरक्षाबल अभियान चला कर आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने का लगातार दावा करते रहे हैं। कहा यह भी जाता रहा है कि आतंकी संगठनों के हौसले पस्त पड़ गए हैं। फिर भी जब पहले जैसे ही हमले हो रहे हैं तो अब कहा जा रहा है कि ये हमले आतंकियों की हताशा का ही नतीजा हैं।