हरित ऊर्जा

पूरे विश्व में कार्बन उत्सर्जन की दर को लगभग समाप्त करने के मद्देनजर भारत ने इस साल फरवरी में नेशनल हाइड्रोजन मिशन की प्रस्तावना रखी थी, जिसके पीछे दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन के कड़े मानकों तथा यूरोपीय संघ के देशों में निर्यात किए जा रहे सामान पर ग्रीन टैक्स जैसे नियम मुख्य कारण हैं।

Update: 2022-06-02 05:43 GMT

Written by जनसत्ता: पूरे विश्व में कार्बन उत्सर्जन की दर को लगभग समाप्त करने के मद्देनजर भारत ने इस साल फरवरी में नेशनल हाइड्रोजन मिशन की प्रस्तावना रखी थी, जिसके पीछे दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन के कड़े मानकों तथा यूरोपीय संघ के देशों में निर्यात किए जा रहे सामान पर ग्रीन टैक्स जैसे नियम मुख्य कारण हैं। कार्बन मुक्त हाइड्रोजन या ग्रीन हाइड्रोजन एक तरह की स्वच्छ ऊर्जा है, जो ट्रांजिशन फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाली प्राकृतिक गैस (सीएनजी), कोयला, डीजल तथा भारी र्इंधन से तुलनात्मक रूप से स्वच्छ है।

यह ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा जैसे कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में बांटने से पैदा होती है। नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है, जिसे प्रदूषण मुक्त होने के कारण ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं। यह ऊर्जा तेल शोधन, रासायनिक खाद, स्टील और सीमेंट जैसे भरी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मदद कर सकती है।

भारत में 2020 में जीवाश्म र्इंधन से लगभग साठ लाख टन ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन किया था। ग्रे हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस या नेप्था से बनाई जाती है, जिससे काफी प्रदूषण फैलता है। भारत में अभी ग्रे हाइड्रोजन की मांग करीब 67 लाख टन है। 2050 तक भारत में हाइड्रोजन की मांग पांच गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। वर्तमान में लगभग 36 लाख टन यानी 54 फीसद का इस्तेमाल पेट्रोलियम रिफाइनिंग में होता है, बाकी का इस्तेमाल फर्टिलाइजर उत्पादन में किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन का वैकल्पिक उपयोग तभी संभव है जब यह लगभग पचास फीसद सस्ती हो जाए। फिलहाल भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्थापित ऊर्जा में 40 फीसद की भागीदारी है। नवीकरणीय ऊर्जा का बड़े पैमाने पर भंडारण किए बगैर पारंपरिक ऊर्जा का विकल्प बन पाना संभव नहीं है।

हालांकि इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में हो रहा है, जिसमें उपयोग होने वाली लीथियम बैटरियां अधिक मात्रा में ऊर्जा भंडारण करने में सक्षम नहीं हैं, जबकि ग्रीन हाइड्रोजन का काफी बड़ी मात्रा में भंडारण किया जा सकता है, जो कि लंबी दूरी का सफर करने वाले ट्रकों, बैटरी से चलने वाली कारों, बड़े कार्गो ले जाने वाले जलपोतों, ट्रेनों के लिए बेहतरीन ऊर्जा स्रोत साबित हो सकती है। स्टील और आयरन का इस्तेमाल कार से लेकर पुल बनाने तक में किया जाता है, इसके साथ में यह सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग में शुमार है।

दुनिया के कुल ग्रीन हाउस उत्सर्जन में इसकी हिस्सेदारी सात फीसद है। अगर स्टील उद्योग में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल होने लग जाए, तो यह कार्बन उत्सर्जन लगभग खत्म हो जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल तभी बढ़ेगा जब इसका उत्पादन सस्ता होगा, और यह तभी संभव होगा जब इसके उत्पादन में लगने वाला एलेक्ट्रोलाइजर या तो भारत में बने या फिर इसकी तकनीक के आयात पर शुल्क बेहद कम हो जाए। ग्रीन हाइड्रोजन का मिशन तभी पूरा होगा, जब कंपनियों की पहल और सरकारी नीतियों का तालमेल बनेगा।

सिविल सेवा परीक्षा में तीन प्रतिभाशाली बेटियों ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की समर्थक हमारी केंद्र सरकार के लिए यह निश्चित रूप से गर्व का दिन है। आशा है कि कतिपय संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त टीवी चैनल, जिन्होंने पिछले वर्ष यूपीएससी के बारे में अवांछित और अनर्गल खबरें तथा कार्यक्रम प्रसारित किए थे, उनको इन बेटियों की तरफ से पर्याप्त जवाब मिल गया होगा। यूपीएससी में सफलता प्राप्त करने वाले सभी भारतियों को हार्दिक बधाइयां, ढेरों शुभकामनाएं।

आज एक तरफ लाखों लोगों को ठीक से भोजन नहीं मिल पा रहा, वहीं दूसरी ओर हम अन्न की बर्बादी करने में लगे हैं। खाने के बाद प्लेट में खाना छोड़ देना जैसे आदत हो गई है। इसके अलावा अनाज का उचित रखरखाव और भंडारण हेतु अपेक्षित सुविधाएं उपलब्ध न होना भी बड़ा कारण बनता जा रहा है। अब समूचे विश्व को यह सोचने का वक्त आ गया है कि हर हाल में हमें अन्न का दुरुपयोग रोकना होगा, क्योंकि आने वाले समय में अन्न की कमी एक विकराल समस्या बन कर उभर सकती है। हर इंसान भोजन की बर्बादी रोकने के प्रयास करे, इसके लिए प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए।


Tags:    

Similar News

-->