गांधी जी और ग्रामीण विकास

सम्पादकीय

Update: 2022-06-15 12:54 GMT
By: डा. वरिंदर भाटिया।
गांधी जी के सपनों का भारत गांवों में बसता था और इसके लिए वे ग्राम स्वराज, पंचायती राज, ग्रामोद्योग, महिलाओं की शिक्षा, गांवों में स्वच्छता, गांवों का आरोग्य और समग्र ग्राम विकास आदि को प्रमुख मानते थे। महात्मा गांधी ने 'मेरे सपनों का भारत' में लिखा है, 'भारत की हर चीज़ मुझे आकर्षित करती है। सर्वोच्च आकांक्षाएं रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिए जो कुछ चाहिए, वह सब उसे भारत में मिल सकता है।' यह गांवों के विकास से ही संभव हो सकेगा। याद रहे कि देश के विकास में आने वाले समय में गांवों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी…
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत को '5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था' बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गांवों का विकास आवश्यक है। गुजरात स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान के 41वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'मेरा दृढ़ता से मानना है कि देश का विकास इसके गांवों के विकास के बिना संभव नहीं है।' इस समारोह में करीब 250 विद्यार्थियों को ग्रामीण प्रबंधन में उपाधि प्रदान की गई। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारे देश की आत्मा गांवों में बसती है और मैं उसे दृढ़ता से मानता हूं।' उन्होंने कहा, 'अगर गांव समृद्ध, आत्मनिर्भर और अच्छी सुविधाओं से युक्त होंगे तो देश भी समृद्ध होगा। यह भारत को आत्मनिर्भर और 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को साकार करने में मदद करेगा।' माननीय गृह मंत्री अमित शाह का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार का अनुमोदन बहुत ही सिरे की बात है। महात्मा गांधी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए ग्रामीण विकास की तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करके ग्राम स्वराज्य, पंचायती राज, ग्रामोद्योग, महिलाओं की शिक्षा, गांव की सफाई व गांव का आरोग्य व समग्र विकास के माध्यम से एक स्वावलंबी व सशक्त देश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था।
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