जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सर्दी के दिन अपने समय से कुछ पहले ही बीत गए और गरमी के दिनों ने कुछ पहले ही दस्तक दे दी है। होली के समय आमतौर पर पारा इतना नहीं चढ़ता है, लेकिन जब देश होली मना रहा था, तब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पारा 76 साल के अपने रिकॉर्ड को तोड़ रहा था। अधिकतम तापमान 40.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। इस समय के सामान्य तापमान से आठ डिग्री ज्यादा को भीषण गरमी करार दिया गया। जब पारा यूं अचानक बढ़ता है, तब हर दृष्टि से वह खतरनाक होता है। भारतीय मौसम विभाग के क्षेत्रीय केंद्र प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि 31 मार्च, 1945 को मार्च महीने का यह सबसे गरम दिन था, जब दिल्ली में तापमान अधिकतम 40.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। भीषण गरमी के बाद दिल्ली में लगभग 35 किलोमीटर प्रति घंटा की गति तक चल रही हवाओं का असर है कि होली के दिन की तुलना में तापमान कुछ नीचे आया है। कुल मिलाकर, गरमी का भरपूर एहसास हो रहा है। आम तौर पर साल के इन दिनों में देश में तापमान 30 डिग्री के आसपास रहता है। चिंता होती है, अभी धरती के तपने के लिए अप्रैल, मई और जून जैसे महीने पड़े हैं। जब मार्च में ही तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया, तो फिर आगे क्या होगा?
देश के एक विशाल क्षेत्र में शुष्क मौसम की शुरुआत हो चुकी है। बुधवार से पूरे उत्तर भारत में मौसम रूखा-सूखा होने लगा है। दूसरी ओर, पश्चिमी राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, पूर्वी राजस्थान और हरियाणा में लू जैसी स्थिति अभी से बनने लगी है। लू या हीट वेव की घोषणा अभी अविश्वसनीय लगती है, लेकिन यह सच है कि मौसम विभाग के पैमाने पर यह हीट वेव ही है। सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक तापमान होने पर हीट वेव की स्थिति बनती है और सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर गंभीर हीट वेव की घोषणा होती है। कम से कम अप्रैल में गंभीर हीट वेव की स्थिति नहीं बननी चाहिए। दक्षिण भारत के इलाके भी तप रहे हैं, पर वहां कहीं-कहीं बारिश की भी संभावना है। पूर्वोत्तर भारत में भी बारिश से तापमान काबू में रहेगा, लेकिन गुजरात से ओडिशा तक पारा चढ़ता चला जाएगा। मौसम में आया यह अचानक बदलाव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालता है। मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। एक तो कोरोना मामलों में बढ़त वैसे ही चिंता में डाल रही है और ऊपर से बढ़ती गरमी ने सोचने पर विवश कर दिया है। बदलते मौसम और महामारी के साये में हमें पूरे इंतजाम के साथ रहना होगा। अनेक जगह तेज बहती हवा में धूल भी है और इससे भी सर्दी-जुकाम का खतरा बढ़ता है। इन दिनों हर हाल में मास्क पहनना हमारी सेहत के लिए जरूरी हो गया है। कोरोना की दूसरी लहर का असर उत्तर प्रदेश और बिहार में भी दिखने लगा है। पिछले सप्ताह कहीं-कहीं कोरोना के मामले दोगुने हो गए हैं। ऐसे में, सतर्कता का स्तर और ऊंचा करना हमारी मजबूरी है। मौसम के प्रति वैज्ञानिकों को भी ज्यादा सजग रहना पड़ेगा और डॉक्टरों के साथ-साथ पर्यावरण के मोर्चे पर काम करने वाले लोगों को भी ज्यादा मुस्तैदी से अपने-अपने काम को अंजाम देना होगा। ऐसे बदलता मौसम और ऐसी महामारी शायद हमारी जीवन शैली में आमूल-चूल बदलाव की मांग कर रही है