निरोगी-उपयोगी जीवन के लिए फिटनेस जरूरी

आजकल मोबाइल और कंप्यूटर के इर्द-गिर्द घूमती जिंदगी में शारीरिक क्रियाएं शून्य होती जा रही हैं

Update: 2021-09-27 18:54 GMT

आजकल मोबाइल और कंप्यूटर के इर्द-गिर्द घूमती जिंदगी में शारीरिक क्रियाएं शून्य होती जा रही हैं। महामारी के इस दौर में न चाहते हुए वे क्रियाएं भी तकनीक के सहारे करनी पड़ रही हैं जिनके लिए पहले शारीरिक क्रियाओं की आवश्यकता होती थी। बात चाहे वर्क फ्रॉम होम की हो या फिर ऑनलाइन शिक्षा की, शारीरिक क्रियाओं पर पूरी तरह से विराम लग चुका है। शारीरिक क्रियाओं का अभाव कई तरह के शारीरिक और मानसिक विचलनों और रोगों को दावत देता है। दुनिया भर में किए गए बहुत से शोध ये बताते हैं कि शारीरिक क्रियाएं करने वाले लोग लंबा जीवन जीते हैं और उनमें असमय और आकस्मिक मृत्यु की संभावना भी कम होती है। शारीरिक क्रियाओं में बिताए गए समय से जीवन कितना लंबा बढ़ेगा, इसका कोई फार्मूला तो नहीं है लेकिन शोधकर्ता ये बताते हैं कि जो लोग ज्यादा क्रियाशील रहते हैं, वे दूसरों के मुकाबले स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत करते हैं। शारीरिक क्रियाओं के अभाव में खुद को स्वस्थ रखना एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है। ऐसी परिस्थितियों में फिटनेस के प्रति जागरूकता और उससे मिलने वाले लाभों की बात करना आवश्यक हो जाता है।

भारत में फिटनेस के प्रति जागरूकता का बहुत अभाव है। एक सर्वे के मुताबिक देश की कुल आबादी के लगभग चौंसठ प्रतिशत लोग फिट रहने के लिए किसी भी प्रकार का कोई व्यायाम नहीं करते हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि कुल आबादी के 46 प्रतिशत लोग स्वस्थ जीवन व्यतीत तो करना चाहते हैं, लेकिन केवल 36 प्रतिशत लोग ही फिट रहने के लिए किसी न किसी प्रकार का व्यायाम करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 11 से 16 वर्ष के बच्चों में 71 प्रतिशत लड़के और 76 प्रतिशत लड़कियां शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं अर्थात वे किसी भी प्रकार की शारीरिक क्रिया में हिस्सा नहीं लेते हैं। शारीरिक रूप से निष्क्रिय इन बच्चों पर किसी भी प्रकार का संक्रमण इनको आसानी से संक्रमित कर सकता है। ये आंकड़े चिंतित करने वाले हैं। इसलिए फिटनेस के प्रति जागरूकता का फैलाव अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार भी देशवासियों को फिट रहने का संदेश देने के लिए फिट इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से फिटनेस के इस संदेश को घर-घर पहुंचाने की कोशिश कर रही है। फिटनेस की हमारे जीवन में एक विशेष भूमिका है, लेकिन जीवन की अन्य व्यस्तताओं या फिर हमारी निष्क्रियता के चलते अकसर ये पक्ष अछूता ही रह जाता है । हम अन्य साधनों से खुशी और स्वास्थ्य की तलाश में भटकते हुए फिटनेस के लाभों को नजरअंदाज करते चले जाते हैं।
फिटनेस का संबंध केवल अपने शरीर को स्वस्थ रखने से ही नहीं है, बल्कि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की फिटनेस हमारे जीवन को उपयोगी और आनंदमयी बनाती है। अपनी आदतों में कुछ थोड़े से परिवर्तनों से हम एक अच्छा और निरोगी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। अक्सर हम लोग ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब हम किसी प्रकार की शारीरिक क्रिया किए बिना ऐसा भोजन कर लेते हैं जो हमारे शरीर में वसा की मात्रा को बढ़ा देता है, जो कि हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है या फिर ऐसे लोगों से मिलते हैं जिनका जीवन के प्रति नजरिया बहुत नकारात्मक होता है और उनकी नकारात्मकता का प्रभाव हम पर भी पड़ने लगता है। ऐसी परिस्थितियां हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं। ऐसा होने पर हम कई बार खुद को असहाय और दुखी महसूस करते हैं। ऐसी परिस्थितियों के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए खुद को फिटनेस के लिए समर्पित करने से बढि़या अन्य कोई विल्कप नहीं है। समय पर सोना और सात-आठ घंटे की नींद लेकर सुबह जल्दी जागना फिटनेस के लिए एक आधारभूत आवश्यकता है। ध्यान लगाकर, नई चीजें सीख कर और सकारात्मक लोगों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से जहां हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रख सकते हैं, वहीं योग, सैर, दौड़, साइकिलिंग और अच्छा स्वास्थ्यवर्धक भोजन हमें शारीरिक रूप से फिट रखने में मददगार सिद्ध होता है। अपनी उम्र और शारीरिक शक्ति के अनुसार हम अपनी फिटनेस के लिए किसी भी विकल्प का चुनाव कर सकते हैं और प्रतिदिन अपने लिए कम से कम एक घंटा देकर अपने जीवन में होने वाले अनुकूल बदलावों से जीवन को अधिक सार्थक बना सकते हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से फिट व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है और वह अपने विचारों और कार्यों से समाज और देश हित में अपना योगदान देता है।
मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से दूर रहते हुए एक अच्छा जीवन व्यतीत करता है। फिटनेस के द्वारा दिल से संबंधित बीमारियों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे बीमारियों का खतरा काफी कम किया जा सकता है। इसके अलावा फिटनेस के प्रति समर्पित व्यक्ति अधिक जवान और आकर्षक दिखाई देता है। फिटनेस से जहां एक ओर याददाश्त बढ़ती है, वहीं दिमाग के कार्य करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है और मानसिक तनाव, चिंता और उन्माद से लड़ने में मदद मिलती है। फिटनेस से अच्छी नींद ली जा सकती है और इससे हमारी मांसपेशियां भी मजबूत बनती हैं। इससे हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और हमारा शरीर रोगों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत महामारी के इस दौर में महसूस की गई है। एक फिट व्यक्ति में गजब का आत्मविश्वास पैदा होता है। शारीरिक क्रियाओं का अभाव और अस्वस्थकर भोजन इनसान में मोटापे की संभावना को बहुत अधिक बढ़ा देता है। मोटापा आज एक विश्वव्यापी बीमारी का रूप धारण कर चुका है और विश्व के सभी देश मोटापे की वजह से अपने नागरिकों के स्वास्थ्य में आने वाले विकारों से चिंतित हैं। फिटनेस के प्रति जागरूकता मोटापे की समस्या से निजात दिलाने में सहायक है। फिटनेस से मिलने वाले लाभों की एक लंबी सूची बनाई जा सकती है, लेकिन इन लाभों का जीवन में अनुभव तभी किया जा सकता है, जब स्वयं की फिटनेस के लिए कुछ वक्त निकालकर एक अनुशासित जीवन जीने का प्रण किया जाए।
राकेश शर्मा
लेखक जसवां से हैं


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