साक्षरता से दूर

वर्ष 1966 में यूनेस्को अर्थात संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने दुनिया में साक्षरता के महत्त्व को बढ़ाने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भी अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का फैसला लिया था।

Update: 2022-09-12 05:52 GMT

Written by जनसत्ता; वर्ष 1966 में यूनेस्को अर्थात संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने दुनिया में साक्षरता के महत्त्व को बढ़ाने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से भी अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का फैसला लिया था। उसी समय से अब हर वर्ष 8 सितंबर को यह दिवस मनाया जाता है। हमारे देश में भी साक्षरता दर बढ़ाने के लिए सरकारें प्रयास कर रही हैं, लेकिन फिर भी हमारे देश की साक्षरता दर दुनिया की साक्षरता दर कम ही है।

देश को आजाद हुए लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशिक्षित होने का आंकड़ा बहुत शर्मनाक है। हमारे देश में साक्षरता दर में कमी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि और लोगों का शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया और गरीबी भी है। कुछ गरीब लोग ज्यादा कमाई के चक्कर में भी ज्यादा बच्चे पैदा कर लेते हैं, लेकिन इन्हें वे शिक्षा से दूर रखते हैं।

साक्षरता दर बढ़ाने के लिए सरकारों को गंभीरता दिखानी होगी, इसके धरातल पर काम करना होगा। इसके लिए विशेष अभियान चलाने होंगे। हमारा देश गांवों का देश है। गांवों में इसके लिए विशेष काम करना होगा। शहरों और गांवों के गरीब लोगों को शिक्षा का महत्त्व समझाना होगा और इन्हें यह भी समझाना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किस तरह इनके बच्चों की शिक्षा में बाधक बन जाती है।

जो संकीर्ण मानसिकता वाले लोग अपनी बेटियों को पढ़ाने से परहेज करते हैं, उन्हें भी अंधविश्वास के दलदल से बाहर निकालने के लिए बुद्धिजीवियों और अन्य प्रबुद्ध वर्ग को आगे आना चाहिए, इससे भी देश की साक्षरता दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

आज देश में मोटापा एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। मोटापा बढ़ने से शारीरिक गतिविधियां कम जाती है, आलस्य बढ़ता है और यह अन्य कई बीमारियों को जन्म देती है। अस्वास्थ्यकर भोजन एवं कम शारीरिक गतिविधियां मोटापा बढ़ाने की मुख्य वजह है। बच्चों को खेलने के लिए मैदान सिमटते जा रहे हैं। खेल के मैदान ऊंची-ऊंची इमारतों से खत्म हो रहे हैं। बच्चे मोबाइल गेम और टेलीविजन के द्वारा अपना मनोरंजन कर रहे है।

बच्चों को मोटापा से बचाने के लिए खेल का मैदान उपलब्ध होना चाहिए। पैकेट बंद भोजन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। हम सभी को खेलकूद और योगासन को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। यह मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। अगर बचपन में ही बच्चे मोटापे का शिकार हो जाएंगे, तो उनके लिए आगे का जीवन और कठिन हो जाता है।

बच्चे देश का भविष्य और बुनियाद है। एक स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए बच्चों को मोटापा से बचाना परिवार, समाज और सरकार का दायित्व है। लेकिन हर जगह जिस तरह मोटापे को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ खुलेआम बिक्री को खुली छूट देकर सरकार अपने इस दायित्व के निर्वाह में चूकती है।


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