World Health Organizationविश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खराब वायु गुणवत्ता को दुनियाभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा बताया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के प्रयोग समेत अन्य कारणों से बाहर की तुलना में भवनों के अंदर की हवा अधिक खराब होती जा रही है। शहरों में लोगों का अधिकांश समय भी चहारदीवारी में ही बीत रहा है। जितना समय वे बाहर रहते भी हैं, उसमें हर वक्त स्वच्छ हवा नहीं मिलती है। अभी बंद परिसर में स्वच्छ हवा के लिए अलग-अलग एयर प्यूरीफायर का प्रयोग हो रहा है, लेकिन अमेरिका के बिंगहैमटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इससे आगे बढ़कर हवा को स्वच्छ बनाने के लिए एक खास कृत्रिम पौधा तैयार किया है, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करेगा।
कैसे निगलेगा कार्बन डाइआक्साइड लेजर कटिंग तकनीक का उपयोग कर 1.6 मिलीमीटर मोटी मिथाइल मेक्रिलेट से तैयार इस पौधे में पांच पत्तियां लगी हुई हैं। प्रत्येक पत्ती साइनोबैक्टीरिया संक्रमित एनोड, एक आयन एक्सचेंज झिल्ली और एक कैथोड से बने पांच बायो सोलर सेल से जुड़ी हुई है। इन सेल को सक्रिय रखने और वाष्पोत्सर्जन की क्रिया के लिए पौधे में हाइग्रोस्कोपिक लगाया गया है। इससे सजीव पौधों की तरह इसकी पत्तियों में भी पानी और पोषक तत्व पहुंचते रहते हैं। साइनोबैक्टीरिया पानी के साथ घर के अंदर के प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग भी प्रकाश संश्लेषण में करता है।
कैसे मिलेगी ऑक्सीजन प्रकाश संश्लेषण के दौरान इलेक्ट्रॉन्स के साथ उत्पादित प्रोटॉन को आयन एक्सचेंज झिल्ली के माध्यम से कैथोड में ले जाया जाता है। वे कैथोडिक प्रतिक्रिया को पूरा करने के लिए वायुमंडलीय आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया प्रणाली की इलेक्ट्रोन्यूट्रलिटी को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। फोन भी होगा चार्ज यह कृत्रिम पौधा हवा के साथ बिजली का भी उत्पादन करेगा, जो इसकी उपयोगिता को अधिक बेहतर बनाता है। यह लगभग 140 माइक्रोवाट बिजली का उत्पादन करेगा। वैज्ञानिक इससे न्यूनतम एक मिलीवाट से अधिक बिजली उत्पादन के लिए तकनीकी उन्नयन पर काम कर रहे हैं। एक बायो सोलर सेल 25 वोल्ट का ओपन सर्किट वोल्टेज और 9 माइक्रोवाट वर्ग सेंटीमीटर का अधिकतम ऊर्जा घनत्व प्राप्त करता है। प्रत्येक पत्ते के भीतर श्रृंखला में पांच बायो सोलर से जोड़कर 46 माइक्रोवाट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इस तरह अधिकतम 420 माइक्रोवाट बिजली का उत्पादन संभव है। असली पौधों की तरह सिंचाई लगातार बेहतर ढंग से सक्रिय रहने के लिए इस पौधे को खाद-पानी भी देना होगा। पौधा इससे ही ऊर्जा प्राप्त करेगा। ऐसे में यह आपको असली पौधे का भी अहसास देगा। हालांकि इसके रखरखाव की प्रक्रिया को आसान बनाने और लंबी अवधि तक सक्रिय बने रहने के लिए वैज्ञानिक इसमें अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया के उपयोग पर काम कर रहे हैं।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब