Teachers Day : अध्यापक दिवस केवल एक दिन नहीं है, बल्कि यह उन सभी शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान व्यक्त करने का अवसर है, जिन्होंने हमें ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है. जैसा कि आप जानते हैं, हम हर वर्ष पांच सितंबर को महान शिक्षाविद् और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर अध्यापक दिवस मनाते हैं. उनके विचार और शिक्षाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रेरणा दी है, वह आज भी प्रासंगिक है. डॉ राधाकृष्णन का मानना था कि एक शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना ही नहीं, बल्कि अपने छात्रों को समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाना भी है.
आज जब हम इस महत्वपूर्ण दिवस को मना रहे हैं, हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमारे शिक्षकों को बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं. क्या हम अपने भावी पीढ़ी के मार्गदर्शकों को सही दिशा में प्रशिक्षित कर रहे हैं? क्या वर्तमान में जो अध्यापक शिक्षा का ढांचा है, वह हमारे समाज को उज्ज्वल भविष्य देने के लिए पर्याप्त है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 लागू किया गया है, जो शिक्षा के क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तन लाने का संकल्प है. इस नीति का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों में सुधार करना ही नहीं है, बल्कि शिक्षकों को भी उस स्तर तक प्रशिक्षित करना है, जिससे वे अपने छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर सकें. इस नीति का उद्देश्य एक सशक्त और शिक्षित भारत का निर्माण करना है, जो विकसित भारत अभियान 2047 और विश्व गुरु के सपने को साकार करने में सहायता करेगा. इस संदर्भ में, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीइ) ने कई महत्वपूर्ण पहल की है. जैसे कि नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स (एनपीएसटी), जो शिक्षकों के लिए एक सुस्पष्ट और व्यवस्थित मानक प्रदान करेगा, जिससे वे अपने कार्य में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें. इसके अतिरिक्त, इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीइपी) भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शिक्षकों को उनके पेशे में उच्चतम स्तर की योग्यता प्रदान करेगा.
शिक्षा के इस बदलते परिदृश्य में, शिक्षकों को मार्गदर्शन और सहारे की भी उतनी ही जरूरत है जितनी छात्रों को. इसी दिशा में राष्ट्रीय मेंटरिंग मिशन (एनएमएम) एक महत्वपूर्ण पहल है. इस मिशन के माध्यम से शिक्षकों को अपने पेशेवर विकास में मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त हो सकेगा. यह पहल शिक्षकों को अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करने का एक मंच प्रदान करती है, जहां वे वरिष्ठ और अनुभवी शिक्षकों से सीख सकते हैं और अपने शिक्षण कौशल को और निखार सकते हैं. पर इन तमाम प्रयासों के बावजूद, अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियां आज भी बनी हुई हैं. हमाक्षकों को केवल विषयों का गहन ज्ञान ही नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें छात्रों के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए भी सक्षम बनाना चाहिए. इसके लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षकों को नयी-नयी शिक्षण विधियों, तकनीकों और अनुसंधानों से परिचित कराया जाए. शिक्षकों को आज के छात्रों की बदलती आवश्यकताओं और उम्मीदों के अनुरूप अपने आपको ढालने में सक्षम होना चाहिए. इसके अतिरिक्त, शिक्षकों के लिए सतत पेशेवर विकास कार्यक्रमों का आयोजन भी जरूरी है, जिससे वे अपने ज्ञान और कौशल को निरंतर अद्यतन कर सकें. रे शि
अध्यापक शिक्षा की इन चिंताओं को समझने और उनका समाधान निकालने की जिम्मेदारी केवल सरकार या संस्थानों की नहीं है. यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. अभिभावक, छात्र, शिक्षण संस्थान, और समाज के सभी वर्गों को मिलकर इस दिशा में प्रयास करना होगा. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शिक्षक वह सम्मान, समर्थन और संसाधन प्राप्त करें, जिसके वे अधिकारी हैं. आज अध्यापक दिवस के अवसर पर हम यह संकल्प लें कि हम अपने शिक्षकों को वह प्रशिक्षण, संसाधन और वातावरण प्रदान करेंगे, जिससे वे हमारे बच्चों को बेहतर भविष्य देने में सक्षम हो सकें. हमें यह समझना होगा कि शिक्षक समाज की रीढ़ होते हैं, और यदि हम उन्हें सही दिशा में प्रशिक्षित नहीं करते हैं, तो समाज का विकास असंभव है. केवल तब ही हम अपने समाज को सही मायने में सशक्त और शिक्षित बना सकेंगे.
इस अध्यापक दिवस पर आइए, अध्यापक शिक्षा की इन चिंताओं पर गहराई से विचार करें और एक बेहतर, सशक्त और ज्ञानवान भारत के निर्माण के लिए अपने शिक्षकों को प्रेरित करें. शिक्षकों को सशक्त बनाकर ही हम अपने समाज और देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं तथा विकसित भारत अभियान 2047 के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं.
Byप्रो पंकज अरोड़ा