Editorial: बच्चों में चिड़चिड़ापन और आक्रामक व्यवहार बिगड़ रही मानसिक और भावनात्मक सेहत

Update: 2024-10-15 10:54 GMT
Editorial: आजकल बच्चों में चिड़चिड़ापन और आक्रामक व्यवहार तेजी से बढ़ रहा है। इसके कई कारण हैं, जो उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित करते हैं। यह समस्या समाज में भी व्यापक रूप से देखी जा रही है और इसे समय रहते समझकर हल करना बहुत जरूरी है। बच्चों का चिड़चिड़ापन एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन सही देखभाल, संतुलित जीवनशैली और पेरेंट्स का सकारात्मक सहयोग इसे नियंत्रित कर सकता है। बच्चों को एक स्वस्थ और खुशहाल वातावरण प्रदान करना उनकी मानसिक और भावनात्मक सेहत के लिए जरूरी है।
चिड़चिड़ेपन के प्रमुख कारण
» डिजिटल स्क्रीन का अधिक उपयोग बच्चों का लंबे समय तक टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम्स का उपयोग करना उनके मस्तिष्क को थका देता है। यह उनकी सोने की दिनचर्या, शारीरिक गतिविधियों और मानसिक संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
» शारीरिक गतिविधियों की कमी पहले की तुलना आजकल बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं। बाहर खेलने और दौड़ने भागने के बजाय वे ज्यादातर समय घर में ही रहते हैं, जिससे ऊर्जा का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पाता और वे चिड़चिड़े हो जाते हैं।
>> असंतुलित खान-पान : जंक फूड और अस्वस्थ आहार बच्चों के मस्तिष्क और शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं। इसके कारण बच्चों में पोषण की कमी और ऊर्जा का असंतुलन होता है, जो चिड़चिड़ेपन का एक कारण बनता है । » नींद की कमी सही समय पर और पर्याप्त नींद न मिलने से बच्चों का मानसिक संतुलन बिगड़ता है। नींद की कमी से बच्चे थके हुए और चिड़चिड़े रहते हैं, जिससे उनका व्यवहार भी बदलता है। >> भावनात्मक तनाव : स्कूल, घर और सामाजिक जीवन से जुड़े दबाव बच्चों में तनाव पैदा कर सकते हैं। पेरेंट्स की अपेक्षाएं, प्रतिस्पर्धा और परीक्षा का दबाव
उन्हें मानसिक रूप से थका सकता है, जिससे चिड़चिड़ापन हो सकता है।
बचाव के उपाय
>> डिजिटल समय सीमित करें : बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को सीमित करें और उनके लिए शारीरिक खेलों को प्राथमिक से करें और उनकी गतिविधियों में उन्हें शामिल करें।
>> स्वस्थ आहार दें : बच्चों को संतुलित आहार, जिसमें ताजे फल, सब्जियां और प्रोटीन शामिल हों, दें। जंक फूड और शक्कर का सेवन सीमित करें, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही से हो सके।
» नींद का ध्यान रखें : बच्चों को सही समय पर सोने की आदत डालें। 7-8 घंटे की नींद उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
>> शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं : बच्चों को खेल और बाहरी गतिविधियों में शामिल करें। इससे उनकी ऊर्जा का सही उपयोग होगा और वे शारीरिक रूप से सक्रिय रहेंगे। >> भावनात्मक समर्थन दें : बच्चों के साथ समय बिताएं और उनके तनाव और चिंताओं को समझने की कोशिश करें। उन्हें स्नेह और समर्थन दें ताकि वे मानसिक रूप से संतुलित रहें।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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