राहत के बावजूद
लखनऊ में आयोजित जीएसटी परिषद की पैंतालीसवीं बैठक संपन्न हो गई। कयास लगाए जा रहे थे कि इसमें पेट्रोल, डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला हो सकता है।
लखनऊ में आयोजित जीएसटी परिषद की पैंतालीसवीं बैठक संपन्न हो गई। कयास लगाए जा रहे थे कि इसमें पेट्रोल, डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला हो सकता है। इसके लिए मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्देश भी दिए थे। इसलिए उम्मीद जताई जा रही थी कि र्इंधन तेलों पर सरकार ऐसा फैसला कर सकती है। यह प्रस्ताव बैठक में रखा भी गया था, मगर कई राज्यों ने इसका विरोध किया, जिसकी वजह से इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया जा सका। खुद केंद्रीय वित्तमंत्री ने माना भी कि र्इंधन तेलों को जीएसटी के दायरे में लाने का यह सही वक्त नहीं है। अगर ऐसा हो जाता, तो पेट्रोल डीजल की कीमतों में पच्चीस से तीस रुपए के बीच कमी आ सकती थी। मगर अभी न तो यह फैसला राज्य सरकारों के अनुकूल साबित होता और न केंद्र के। जीएसटी को लागू हुए चार साल हो चुके हैं, मगर अभी तक इसे लेकर उलझनें समाप्त नहीं हो सकी हैं। यही वजह है कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर इसकी समीक्षा के लिए बैठकें बुलानी पड़ती हैं। राज्यों के हिस्से के जीएसटी भुगतान को लेकर भी अक्सर तनातनी का वातावरण बना रहता है। ऐसे में सरकार खुद भी अभी पेट्रोल, डीजल को इस दायरे में लाने के पक्ष में नहीं थी।