डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद ने जमानत की शर्त का उल्लंघन किया है! तो अब अदालत से कार्रवाई की उम्मीद है
आरोपी ने शर्त का उल्लंघन कर कोर्ट की अवमानना की है
राकेश दीक्षित।
यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand) इस साल फरवरी में दो बार हरिद्वार अदालत में जमानत के लिए याचिका दायर कर चुके हैं. मुसलमानों के खिलाफ अपने भड़काऊ भाषणों की वजह से वे खुद को एक मनोरोगी साबित कर चुके हैं. पिछले साल दिसंबर महीने में हरिद्वार (Haridwar) में तथाकथित धर्म संसद के दौरान हिंदुओं को हथियार उठाने और मुसलमानों को मारने के लिए उकसाने से पहले भी पुलिस द्वारा उन्हें दो बार गिरफ्तार किया जा चुका है. अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले डासना मंदिर (Dasna Mandir) के मुख्य पुजारी नरसिंहानंद की जमानत खारिज करने के लिए अदालत के पास पर्याप्त कारण थे.
उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा सीरियल ट्रबल मेकर का नाम दिया गया था जिन्हें कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने भाजपा में महिला नेताओं को पार्टी में अपने पुरुष सहयोगियों की रखैल करार दिया था. उन्हें 10 साल के मुस्लिम लड़के को भविष्य का आतंकवादी कहने से भी गुरेज नहीं हुआ जो डासना मंदिर के परिसर में गलती से आ गया था. 2021 में गाजियाबाद पुलिस ने नरसिंहानंद के खिलाफ गुंडा एक्ट लगाने की कार्रवाई शुरू की थी. असामाजिक गतिविधियों, हाथापाई, हत्या के प्रयास और अन्य गतिविधियों में उसकी संलिप्तता की वजह से यह कार्रवाई शुरू की गई थी.
आरोपी ने शर्त का उल्लंघन कर कोर्ट की अवमानना की है
यति नरसिंहानंद मुसलमानों से लड़ने के लिए 8 से 25 साल की उम्र के हिंदू पुरुषों को प्रशिक्षण देने से लेकर उन्हें ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह देते हैं. यति नरसिंहानंद कहते हैं कि वह हमेशा से "इस्लाम-मुक्त भारत" बनाने के लिए लड़ते आ रहे हैं. जब उनके वकीलों ने जमानत के लिए अदालत का रुख किया तो नरसिंहानंद ने हरिद्वार में मुसलमानों के खिलाफ अपनी सभा में जो भी जहर उगला था उसके लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं था – 54 वर्षीय हठधर्मी नरसिंहानंद ने अपने खिलाफ सभी आरोपों का खंडन किया. फिर भी अदालत ने नफरत फैलाने वाले की जमानत मंजूर कर ली. हालांकि न्यायाधीश ने जमानत की शर्त के रूप में नरसिंहानंद को आगे इस तरह के अपराध में शामिल नहीं होने के लिए कहा.
अब जब यह साफ हो गया है कि आरोपी ने शर्त का उल्लंघन कर कोर्ट की अवमानना की है तो ऐसे में अब अदालत से कार्रवाई की उम्मीद है. तीन महीने की अवधि में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने के अपराध को दोहराने के बाद हिंदू कट्टरवादी का इस तरह बेखौफ घूमना न्यायिक प्राधिकरण के लिए एक चुनौती है. हरिद्वार के कोर्ट ने अगर नरसिंहानन्द के प्रति नरमी का रुख अपनाया है तो दिल्ली पुलिस का रवैया और भी गंभीर है. पुलिस ने तथाकथित हिंदू महापंचायत के आयोजकों को अनुमति नहीं मिलने के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करने दिया. कल्पना कीजिए कि अगर हिंदू महापंचायत की तरह कट्टर मुस्लिम समुदाय के सांप्रदायिक आयोजकों द्वारा इसी तरह के आयोजन की अनुमति मांगी जाती तो पुलिस का क्या रुख होता?
दिल्ली पुलिस को घटना में भड़काऊ भाषा की आशंका थी यह साफ है. वरना वे अनुमति क्यों नहीं देते? अनुमति न होने पर भी कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए कायदे से आयोजकों को हिरासत में लेना चाहिए था. इसके बजाय पुलिस ने जो किया वह एक मूकदर्शक बने रहने जैसा था. जबकि 500 से अधिक लोग रविवार को दिल्ली के बुराड़ी मैदान में मुसलमानों के प्रति द्वेष रखने वाले नेताओं को खुश करने के लिए इकट्ठा हुए थे.
भारत में यति नरसिंहानंद जैसे लोगों का कद बढ़ रहा है
इस अवैध सभा ने देश भर में इसी तरह से नफरत फैलाने वाले आयोजकों के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम की है. पिछले कुछ सालों में भारत में यति नरसिंहानंद जैसे लोगों का कद और बढ़ रहा है. हम कर्नाटक में हिजाब से लेकर हलाल तक जो देख रहे हैं इस खतरनाक प्रवृत्ति की एक हिंसक अभिव्यक्ति है. भविष्य में भारत पर मुसलमानों के कब्जे को लेकर झूठी अफवाहों के जरिए लोगों में डर पैदा करके उन्हें एकजुट किया जा रहा है. विवादास्पद फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर विवाद ने मुसलमानों के खिलाफ अभियान को और तेज कर दिया है.
नरसिंहानंद ने महापंचायत में चेतावनी दी, "यदि आप चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमान न लड़ें तो द कश्मीर फाइल्स देखें. जैसे कश्मीर के लोगों को अपनी जमीन, अपनी बेटियों और अपनी संपत्ति को पीछे छोड़ना पड़ा वैसे ही आपको भागकर हिंद महासागर में डूबना होगा. आपके पास यही एकमात्र विकल्प है."
मेरठ में जन्मे और पले-बढ़े नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी है. उन्होंने हापुड़ के चौधरी ताराचंद इंटर कॉलेज में पढ़ाई की और 1989 में रासायनिक प्रौद्योगिकी में डिग्री के लिए मास्को गए और 1997 तक वहां काम किया. भारत लौटने के बाद 1998 में उन्होंने संन्यास लिया और अपना नाम बदलकर दीपेंद्र नारायण सिंह कर लिया और बाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती बन गए. नरसिंहानंद अक्टूबर 2019 में तब सुर्खियों में आए जब वह हिंदू कार्यकर्ता कमलेश तिवारी के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए लखनऊ गए थे. जिसकी संदिग्ध मुस्लिम हमलावरों द्वारा हत्या कर दी गई थी. तब तिवारी की हत्या की निंदा और मुसलमानों को धमकी देते हुए महंत ने कहा था: "भारत जल्द ही इस्लाम से मुक्त हो जाएगा."
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)