खतरे की उड़ान
उड़ान के बाद विमान किस जोखिम की स्थिति में होता है, इसका अंदाजा सभी को होता है। लेकिन अगर अठारह दिनों में एक कंपनी के विमानों में आठ बार आई तकनीकी खराबी के मामले ने इस बात को लेकर व्यापक चिंता पैदा की है
Written by जनसत्ता; उड़ान के बाद विमान किस जोखिम की स्थिति में होता है, इसका अंदाजा सभी को होता है। लेकिन अगर अठारह दिनों में एक कंपनी के विमानों में आठ बार आई तकनीकी खराबी के मामले ने इस बात को लेकर व्यापक चिंता पैदा की है कि क्या हवाई यात्राएं पूरी तरह सुरक्षित हैं! मंगलवार को भारत से दुबई जा रहे स्पाइसजेट के एक विमान को आपात स्थिति में पाकिस्तान के कराची में उतारना पड़ा।
दूसरी ओर, कांडला से मुंबई के लिए उड़ान भरने के बाद विमान में विंडशील्ड का बाहरी हिस्सा टूट गया, जिसकी वजह से विमान को वापस उतारा गया और उसमें सवार लोगों के सामने खतरा जानलेवा नहीं बना। ये दो ताजा मामले हैं। इससे पहले 19 जून को पटना से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद स्पाइसजेट के विमान में आग लग गई थी। किसी तरह विमान को पटना हवाईअड्डे पर ही सुरक्षित उतार लिया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर आग लगने के बाद मामला हाथ से निकल गया होता तो उसमें सवार एक सौ पचासी यात्रियों की जिंदगी के साथ क्या हुआ होता!
कायदे से इस तरह की अपवादस्वरूप किसी एक घटना को भी सभी उड़ानों को लेकर सावधान हो जाने की चेतावनी माना जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूलवश भी कोई गड़बड़ी न हो। मगर अफसोस की बात है कि पिछले कुछ दिनों के भीतर ही अलग-अलग तकनीकी गड़बड़ी की वजह से आठ बार विमानों को बीच में ही उतारने की नौबत आई। इंडिगो और विस्तारा के विमानों में भी खराबी के मामले सामने आए। इससे यही लगता है कि कई स्तर पर चीजें सहज नहीं हैं। यही वजह है कि डीजीसीए यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने खामी की इन घटनाओं के मद्देनजर बुधवार को स्पाइसजेट को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
डीजीसीए ने कहा है कि स्पाइसजेट एअरलाइन विमान नियम, 1937 की ग्यारहवीं अनुसूची और नियम 13 की शर्तों के तहत 'सुुरक्षित, दक्ष और विश्वसनीय हवाई सेवाओं को सुनिश्चित करने' में नाकाम रही है। नोटिस के मुताबिक, घटनाओं की समीक्षा से पता चलता है कि आंतरिक सुुरक्षा निरीक्षण खराब है और रखरखाव को लेकर पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने से सुरक्षा में कमी आई है। इसमें ज्यादातर घटनाएं कलपुर्जों या प्रणाली के काम न करने से संबंधित हैं।
डीजीसीए की ओर से शुरुआती आकलन में ही सुरक्षा में कमी के लिए जिन गड़बड़ियों की बात कही गई है, वे बेहद चिंताजनक हैं। यह किसी के लिए समझना मुश्किल नहीं है कि सुरक्षा के उच्चतम मानकों को पूरा करने वाले यंत्रों के बावजूद उड़ान के बाद कोई मामूली गड़बड़ी किसी विमान को पूरी तरह तबाह कर सकती है। इसलिए हर उड़ान के पहले विमान को सुरक्षा जांच की एक गहन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। हैरानी की बात है कि तीन हफ्ते के भीतर तकनीकी खामी की कई घटनाएं सामने आर्इं।
डीजीसीए को अपने जवाब में भले ही स्पाइसजेट ने कहा है कि एक महीने पहले ही सभी विमानों की जांच की गई थी और उन्हें ठीक पाया गया था। सवाल है कि फिर लगातार ऐसे गंभीर जोखिम की घटनाएं क्यों सामने आ रही हैं! पिछले कुछ समय से ट्रेनों की कमी या रद्द होने आदि वजहों से कई बार मजबूरी में तो कभी सामान्य तौर पर गंतव्य तक जाने के लिए हवाई यात्रा पर लोगों की निर्भरता बढ़ी है। ऐसे में विमान यात्रा को सुरक्षित बनाने के मामले में हर स्तर पर खामी और जोखिम रहित बनाना कंपनियों के साथ-साथ डीजीसीए की जिम्मेदारी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि डीजीसीए और सभी विमान कंपनियां की ओर से सौ फीसद सुरक्षित हवाई यात्रा सुनिश्चित की जाएगी।