दंगलराज
ब्रह्मास्त्र' का बहिष्कार-बहिष्कार! अभिनेता रणबीर ने ग्यारह बरस पहले 'बीफ' खाने की बात की थी… ऐसे बीफवादी का बहिष्कार करो… 'ब्रह्मास्त्र' का बायकाट करो…! लगा कि फिल्म गई।
सुधीश पचौरी: ब्रह्मास्त्र' का बहिष्कार-बहिष्कार! अभिनेता रणबीर ने ग्यारह बरस पहले 'बीफ' खाने की बात की थी… ऐसे बीफवादी का बहिष्कार करो… 'ब्रह्मास्त्र' का बायकाट करो…! लगा कि फिल्म गई। एक बार फिर 'आजादी' बरक्स 'भीड़ की तानाशाही' वाली बहसें उठीं-गिरीं कि जिसे देखना हो देखे, न देखना हो तो न देखे? बालीवुड संकट में है, उसे बचाओ!
लेकिन जैसे ही 'ब्रह्मास्त्र' रिलीज हुई, त्यों ही कई चैनलों की लाइन बदल गई। वे 'ब्रह्मास्त्र' के दृश्य दिखा कर उसे जमाते रहे और दर्शकों से कहलवाते रहे कि बहुत ही गजब की फिल्म है, कि 'ब्रह्मास्त्र' ने तीन दिन में सौ करोड़ से ज्यादा कमाए हैं! यानी 'अवस देखिए देखन जोगू!' हमें तो चैनलों का 'हृदय परिवर्तन' होता दिखा और फ्लाप होती फिल्म हिट होती दिखी।
फिर एक दिन ज्ञानवापी का फैसला आया। फैसले वाले दिन सारे कैमरे ज्ञानवापी के सामने तैनात रहे और पूरे दिन भक्तों, वादी वकीलों को कवर करते रहे। वादी अपनी जय की कामना करते रहे, भक्तिनें शृंगार गौरी के भजन गाती रहीं। और फिर आए फैसले ने साफ किया कि ज्ञानवापी को लेकर किया गया केस 'मेंटेनेबल' है यानी केस की 'सुनवाई' होगी!
जैसे ही यह फैसला आया, तुरंत विवादी सुर उठने लगे। एक 'असहमत' नेता बोलने लगा कि यह मामला भी बाबरी के रास्ते जाता दिखता है और कि इस फैसले को चुनौती दी जाएगी… हमें देश की एकता की 'चिंता' है। शायद इसके जवाब में एक चैनल पर यह सांकेतिक लाइन भी दिखती रही कि 'काशी के बाद मथुरा?' और कुछ जन चिंतारत भी दिखे कि अब क्या तीस हजार मंदिरों के मामले खुलेंगे?
फिर एक दिन राहुल की 'महंगी टीशर्ट' पर भाजपा के कटाक्ष के जवाब में कांग्रेस ने अपने ट्विटर पर संघ के पुराने गणवेश 'खाकी निक्कर' में आग सुलगती दिखा कर भाजपा को कुछ ज्यादा ही 'छेड़' दिया! भाजपा प्रवक्ताओं ने तुरंत प्रत्याक्रमण किया कि यह सब बेहद 'बैड टेस्ट' में है… यह लोगों को हिंसा करने के लिए उकसाना है… ये नफरत मिटाने निकले थे, लेकिन नफरत फैला रहे हैं..!
कांग्रेस के एक नेता ने और जोर से जवाबी ताल ठोंकी कि जो घृणा की आग जलाते हैं, उनको उसी सिक्के में जवाब भी स्वीकार करना होगा। अगर वे आक्रामक होंगे तो हम दुगना आक्रामक होंगे। सच! यह 'जोड़ना' है या 'तोड़ना'? एक लाइन तो इससे भी आगे कहती दिखी कि हमने उनके जहर का स्वाद उनको दिया है।
बहरहाल, एक दिन भाजपा ने बंगाल के कई शहरों में 'टीएमसी के भ्रष्टाचार' के खिलाफ जोरदार प्रदर्शनों के जरिए बड़ी खबर बनाई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस में टकराव होता दिखा। पुलिस आंसू गैस और पानी की बौछार करती और लाठी भांजती दिखी। फिर शाम को जैसे ही चैनलों पर बहसें हुईं कि सब कुछ 'तू-तू मैं-मैं' में बदल गया।
भाजपा वाले कहते रहे कि टीएमसी सरकार भ्रष्टाचारियों की सरकार है और टीएमसी वाले प्रत्यारोप लगाते रहे कि क्या सारे भ्रष्टाचार विपक्ष में और सदाचार भाजपा में है? भाजपा सबसे बड़ी धुलाई की मशीन है, जो भाजपा में जाता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं!
फिर एक दिन, बिहार के बेगूसराय की सड़क पर गोलीबारी के लोमहर्षक दृश्य सब चैनलों पर रहे। दो मोटरसाइकिल चार सवार, हाथों में पिस्तौल ताने तीस किलोमीटर सड़क पर एकदम निर्भीक भाव से चौबीस चक्र गोलियां चलाते दिखते हैं। दस को घायल करते हैं और एक की मुत्यु हो जाती है। पुलिस देर तक कुछ नहीं कर पाती।
भाजपा प्रवक्ता तुरंत हमला करते हैं कि हमने कहा न था कि जंगलराज आ रहा है… ये है जंगलराज, गुंडाराज…! चैनलों की बहसों में फिर वैसी ही 'तू-तू मैं-मैं' शुरू हो जाती है। एक कहता है कि ये जंगल राज है, तो दूसरा कहता है कि जब आप सरकार में थे तब कौन-सा मंगलराज था? इन दिनों टीवी में हम खबरें और बहसें नहीं, चौबीस घंटे सातों दिन का 'दंगलराज' देखते-सुनते हैं!
इस बार, हिंदी दिवस पर फिर वही हुआ जो पिछले बरस भी दिखा। इधर गृहमंत्री ने हिंदी दिवस पर औपचारिक बधाइयां दीं, हिंदी को 'सबकी सखी' कह उसे जोड़ने वाला बताया, उधर सारे हिंदी विरोधी मैदान में आ गए!
लेकिन सप्ताह की सबसे रसीली और आकर्षक कहानी बालीवुड ने ही दी और हम उसे किसी 'हिट पिक्चर' की तरह देखते रहे : एक बडा 'ठग' जेल से हजारों करोड़ रुपए की ब्लैकमेल और ठगी करते हुए बालीवुड की अपनी प्यारी दो हीराइनों में से एक को सत्तावन लाख रुपए का घोड़ा, सात लाख का तबेला, चालीस लाख की एसयूवी और नौ लाख की पर्सियन बिल्ली उपहार में देता है और नौ घंटे की पूछताछ में हीरोइन मासूमियत से यही कहती दिखती है कि उसे नहीं मालूम कि गिफ्ट देने वाला अपराधी है! हाय!