corona third wave in india : दूसरी लहर में कोरोना का तांडव, तीसरी का अलर्ट जारी- बचने की क्या हो तैयारी

corona third wave in india

Update: 2021-05-07 06:16 GMT

संयम श्रीवास्तव | देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही है. गुरुवार शाम की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना के कुल 4 लाख 16 हजार नए मामले सामने आए हैं. ये अब तक का रिकॉर्ड है. ये तब है जब टेस्टिंग की संख्या लगातार घटती जा रही है. इस बीच खबर आ रही है कोरोना की तीसरी लहर अवश्यंभावी है. मतलब कि कोरोना की तीसरी लहर को कोई रोक नहीं सकता. ये सरकार के ही सलाहकार दावा कर रहे हैं. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से पूछ लिया कि तीसरी लहर के लिए क्या तैयारी है? तीसरी लहर में कोरोना वायरस और खतरनाक होगा. ये लंग्स को 2 से 3 दिन में खत्म कर देगा. साथ ही यह इतना क्रूर होगा कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाएगा.


तीसरी लहर के बारे में कहा जा रहा है अधिकतम नवंबर-दिसंबर तक हमारे पास समय है इसका मुकाबला करने के लिए संसाधन तैयार करने के लिए. जाहिर है कि तब तक आपको कोरोना खाली नहीं छोड़े हुए है. इसके पहले हमें डबल म्यूटेंट वाले खतरनाक वायरस से भी लड़ना है. अगर हम दूसरे से लड़ाई ठीक से नहीं लड़ते हैं तो तीसरी लहर का वायरस और खूंखार हो सकता है. इसलिए हमें दूसरी लहर से लड़ाई अपने आज के बचाने के साथ कल के लिए भी लड़ना है. जैसा एक्सपर्ट बता रहे हैं कि मई के अंतिम सप्ताह से कोरोना के केस कम होने शुरू हो सकते हैं. फिर भी अगर हम ये समझते हैं कि कोरोना केसों की संख्या जीरो पर पहुंच जाएगा तो ये हमारी सबसे बड़ी गलतफहमी साबित होने वाली है. विशेषज्ञों का कहना है कि रोज नए केसों की संख्या एक लाख से एक लाख बीस हजार तक पहुंच सकती है. यानि कि हमें दूसरी लहर के मुकाबले के साथ-साथ तीसरी लहर के लिये तैयार होना है. अगर हम ऐसा नहीं कर सके तो हम एक इतनी बड़ी तबाही की ओर जाएंगे कि इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा.


तीसरी लहर को रोकने में तीन पॉइंट होंगे मददगार
बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विशेषज्ञ डॉ. गिरिधर बाबू जो नेशनल कोविड टास्क फोर्स के मेंबर और एडवाइजर भी हैं उनका मानना है कि अगर हम तीन फैक्टर पर ध्यान दिए तो तीसरी लहर से होने वाली तबाही कम से कम कर सकते हैं. सबसे पहले हमें देखना होगा कि हम दिसंबर तक कितने लोगों का वैक्सीनेशन कर सकते हैं. जितने अधिक लोगों का वैक्सीनेशन कर सकेंगे उतना ही हर्ड इम्यूनिटी पैदा होने की संभावना रहेगी. चूंकि तीसरी लहर का वायरस 18 साल तक के बच्चों और टीन एज के लिए ज्यादा घातक होने वाला है इसलिए जरूरी होगा कि हम बच्चों का टीकाकरण भी जल्द शुरू करें.
डॉक्टर गिरधर बाबू का दूसरा जोर सुपर स्प्रेडर इवेंट रोकने पर है. दूसरी लहर में हम देख चुके हैं कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव, यूपी में पंचायत चुनाव और उत्तराखंड का कुंभ स्नान देश की जनता के लिए कितना घातक साबित हुआ है. तीसरा जोर देश में पैदा हो रहे कोरोना के नए वैरिएंट्स को पहचानने के लिए पूरी ताकत लगा देनी होगी. दरअसल दूसरी लहर में कोरोना के इतना खतरनाक होने का कारण एक वजह यह भी था कि हमने कोरोना वायरस की सैंपलिंग करने और नए म्यूटेंट का पता लगाने में लापरवाही की . ये लापरवाही चाहे फंडिंग के लेवल पर हुई हो या दूरदृष्टि के अभाव में हुई हो भुगत तो जनता ही रही है. जीनोम सीक्वेंसिंग पर होने वाली मेहनत ने ही यूरोप और अमेरिका को कोरोना से लड़ाई में कारगर बनाया.

जैसे ऑक्सीजन नहीं एटम बम हो
तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए हमें दूसरी लहर से जंग में जो असफलता हासिल हुई है उन कमियों पर विचार करना होगा. सबसे पहले हमें यह समझना हो हम क्यों आज 20 दिन होने के बाद भी आॉक्सीजन की सप्लाई में फेल है. आक्सीजन के अभाव में तड़प तड़प कर मर रहे लोगों के लिए हम इतना भी नहीं कर सके. क्या आक्सीजन का निर्माण एटम बम की तरह जटिल है कि हमें दुनिया से परमिशन लेनी है. बड़े पैमाने पर फंड की व्यवस्था करनी है, टेक्नॉलजी के लिए हम दूसरे देशों पर निर्भर हैं, कच्चा माल की कमी है, देश के पर्यावरण संबंधी कानूनों की मंजूरी लेनी है, आदि जब किसी तरह के बहाने नहीं है आक्सीजन के निर्माण के लिए. केवल हम ठीक से उत्पादन और वितरण नहीं करने के चलते अपने अस्पतालों के लिए पर्याप्त आक्सीजन की व्यवस्था नहीं कर सके. तीसरी लहर के आने के पहले एक एक मजबूत प्रशासनिक मशीनरी जो देश की सेवा के लिए तत्पर रहने वाली हो डिवेलप करनी होगी.

कालाबाजारियों को भी नहीं रोक सके
क्या हम कालाबाजारी पर रोक लगाने में सक्षम नहीं हैं. आक्सीजन, रेमडेसिविर, फैबीफ्लू से लेकर नींबू-संतरा तक की ब्लेक मार्केटिंग को हम नहीं रोक सके. महामारी काल में जब डिमांड कम हो गई है तब भी आवश्यक खाद्य पदार्थों की महंगाई आसमान छू रही है. खाद्य तेल और दालों के दाम को आग लगी हुई है. क्या हमारी सरकारें कालाबाजारियों के आगे घुटने टेक दिए हैं. तीसरी लहर से अगर जंग जीतनी है तो हमें कालाबाजारियों से निपटने के लिए अगर आपातकाल की घोषणा भी करनी हो तो उसके लिए भी तैयार रहना होगा.

टोटल लॉकडाउन में अब देर क्यों
दूसरी लहर के घातक होने के पीछे सबसे बड़ा कारण जो रहा वो है संसाधनों का बेहद अभाव. हम अपने प्रियजनों को कभी आक्सीजन, कभी वेंटिलेटर तो कभी रेमेडेसिविर और फैबिफ्लू के अभाव में नहीं बचा सके . इससे बड़ा दुख का कारण और क्या हो सकता है. हॉस्पिटलों में बेड और सिलिंडरों को ऑक्सीजन कहां से मिलेगा जब हर दूसरे दिन 4 लाख मरीज और आ जा रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि पिछले साल जैसा सख्त टोटल लॉकडाउन तुरंत लागू किया जाए. टोटल लॉकडाउन की मांग विपक्ष के नेता, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, हाईकोर्ट के न्याय़धीश भी करने लगे हैं. दरअसल जब श्मशानों में चिता के लिए लकड़ी और कब्रिस्तानों में मुर्दों के लिए दो गज जमीन भी कम पड़ने लगे तो लॉकडाउन से कोई इनकार नहीं करेगा. कोरोना की चेन तोड़ने के लिए देश विदेश के प्रसिद्ध डॉक्टर जैसे डॉ . गुलेरिया. डॉ फाउसी ( ह्वाइट हाउस अमेरिका के डॉक्टर), जैसे लोग जरूरी बता रहे हैं तो अब सरकार क्यों देर कर रही हैं. देश कई हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि व्यापारियों ने खुद ही बंदी का प्रस्ताव रखा है.
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