पांच राज्यों में कांग्रेस का सफाया: वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई पूछ रहे, अब यहां से कहां जाएगी कांग्रेस

पर मुश्किल यह है कि उच्च सदन में जाने के आकांक्षी लोगों की तुलना में पार्टी के पास सीटें कम हैं।

Update: 2022-03-21 02:49 GMT

जी-23 कांग्रेस नेतृत्व से असहमत नेताओं का एक समूह है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी और नामचीन लोग हैं, जो पार्टी में ऊंचे पद चाहते हैं। इसमें वे नेता भी हैं, जो आम आदमी पार्टी, तृणमूल और भाजपा में अपनी अगली मंजिल देख रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी इच्छा राज्यसभा सीट या फिर 24, अकबर रोड में अपने ऑफिस की है।

कांग्रेस में व्याप्त अंदरूनी झगड़े के बावजूद इसमें विभाजन की आशंका नहीं है, क्योंकि जी-23 के नेताओं में ममता बनर्जी, शरद पवार और जगन मोहन रेड्डी की पृथक हुई कांग्रेस की तरह अलग होने का माद्दा नहीं है। जी-23 के सदस्य सोनिया गांधी को अपने बेटे राहुल गांधी पर अंकुश लगाने, राहुल के नेतृत्व करने का तौर-तरीका सुधारने, सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के विभिन्न धड़ों को महत्व देने और संगठन के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अनुरोध कर रहे हैं। सोनिया गांधी से, जो छह साल पहले 70 वर्ष की होने पर, रिटायर होने के बारे में सोच रही थीं, उम्मीद है कि वह या तो राहुल गांधी पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने का दबाव बनाएंगी या फिर गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बनने देंगी। यानी जी-23 चाहता है कि सोनिया राहुल गांधी की टीम को तोड़ दें, और पार्टी के राजनीतिक प्रबंधन, चुनाव, गठबंधन, संसाधनों की प्राप्ति, मीडिया प्रबंधन तथा छवि निर्माण-तमाम मोर्चों से राहुल की टीम को हटा लिया जाए।
दिलचस्प यह है कि राहुल गांधी आगामी सितंबर में होने वाले अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के मामले में प्रतिबद्ध नहीं दिखाई देते। दूसरी ओर, उन्होंने विभिन्न राज्यों, कांग्रेस कमेटी के दफ्तर तथा दूसरी जगहों में अपने पसंदीदा तथा विश्वस्त लोगों की नियुक्ति की है। ऐसे में, गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष बनता है, तो उसे तभी काम करने की स्वतंत्रता मिलेगी, जब उस पर गांधी परिवार का भरोसा होगा, या वह व्यक्ति परिवार की इच्छा के अनुसार चलेगा।
जी-23 और कांग्रेस के बीच सुलह होना या तकरार और बढ़ना दरअसल विभिन्न प्रस्तावों और सुझावों पर राहुल गांधी के जवाब पर निर्भर करता है। मसलन, पीजे कुरियन ने एक प्रस्ताव यह रखा है कि राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस के नेता बनें और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति के लिए छोड़ दें। कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि पार्टी में इस तरह के प्रस्ताव तो वर्ष 2019 से ही दिए जा रहे हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जब कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत कर रहे थे, तब उन्होंने भी इसी तरह के सुझाव दिए थे। पीजे कुरियन के जी-23 का सदस्य बने अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। वर्ष 1999 में जब सोनिया गांधी ने पहली बार संसद में प्रवेश किया था, तब कुरियन ही उनके शिक्षक और गाइड थे, जिन्होंने उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों आदि के बारे में बताया था।
एक बेहद दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी के मामले में भी जी-23 के सदस्य एकमत नहीं है। इसके कम से कम चार प्रमुख सदस्य चाहते हैं कि कांग्रेस से जुड़े किसी भी मामले में राहुल गांधी केंद्रीय भूमिका में न रहें। लेकिन सोनिया गांधी और प्रियंका को यह मंजूर नहीं है। वे दोनों चाहती हैं कि राहुल पार्टी में केंद्रीय भूमिका अदा करें। दूसरी ओर, जी-23 में कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो चाहते हैं कि राहुल गांधी जल्द से जल्द पार्टी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
जी-23 के कुछ नेता पार्टी अध्यक्ष के रूप में सचिन पायलट को चाहते हैं। जबकि खुद सचिन ने इस मामले में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई और विरोधियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। दूसरी ओर, हिंदी पट्टी का नेता होने और वक्तृत्व कला में कुशल होने के कारण कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट की स्वीकार्यता बहुत अधिक है। जी-23 के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ हुई राहुल गांधी की बैठक के प्रति बहुत अधिक उत्सुकता थी, क्योंकि खुद राहुल गांधी ने इस बैठक में भाग लेने की इच्छा जताई थी। कहा गया कि उस बैठक में हरियाणा से जुड़े मुद्दे, जैसे-वहां आप के बढ़ते असर और खुद हुड्डा या उनके बेटे दीपेंद्र के आगे बढ़कर राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने आदि पर चर्चा हुई। बताया यह भी गया कि बैठक में हुड्डा ने ही कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में सामूहिक जिम्मेदारी का सुझाव दिया, और राहुल गांधी से कहा कि जी-23 के नेता राज्यसभा में नामांकन के लिए कांग्रेस संसदीय बोर्ड का पुनर्गठन करने, जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां मुख्यमंत्री का चेहरा और संगठन में तमाम प्रमुख नियुक्तियां तय करना चाहते हैं। वे नई कांग्रेस कार्यसमिति के लिए पारदर्शी और लोकतांत्रिक चुनाव भी चाहते हैं।
पिछले दो दिनों में जी-23 के सदस्यों ने अपनी मुहिम के पक्ष में अधिक से अधिक समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न राज्यों में स्थित पार्टी इकाइयों से संपर्क साधा है। खासकर केरल कांग्रेस को अपने साथ जोड़ने की जी-23 के नेताओं ने पुरजोर कोशिश की। लेकिन ओमान चांडी और रमेश चेनिथल्ला जैसे राज्य के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने जी-23 का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। विरोधियों ने वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है। कहते हैं कि इस मुद्दे पर चिदंबरम का घर बंटा हुआ है। युवा चिदंबरम जहां कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने के इच्छुक हैं, वहीं पी चिदंबरम अभी इंतजार करना चाहते हैं। उन्हें भरोसा है कि सोनिया गांधी सुलह का कोई रास्ता जरूर निकालेंगी। छत्तीसगढ़ में भी विरोधियों ने असंतुष्ट मंत्री टीएस सिंहदेव को अपने साथ लाने की कोशिश की, लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। विरोधी दरअसल जी-23 को बढ़ाकर जी-50 या जी-60 करना चाहते हैं, पर विभिन्न राज्यों की पार्टी इकाइयों से उन्हें अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिल रही। अनेक कांग्रेस दिग्गज, सुलह कराने वाले और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के दफ्तर में बैठने वाले नेता राज्यसभा में जाना चाहते हैं। पर मुश्किल यह है कि उच्च सदन में जाने के आकांक्षी लोगों की तुलना में पार्टी के पास सीटें कम हैं।

सोर्स: अमर उजाला 

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