मजबूरी का फायदा
दुख और संकट से घिरे इंसान की मदद करने से ज्यादा बड़ी पूजा कुछ और नहीं हो सकती।
दुख और संकट से घिरे इंसान की मदद करने से ज्यादा बड़ी पूजा कुछ और नहीं हो सकती। लेकिन इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि एंबुलेस चालक जान बचाने की भूख में अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाते लोगों से उनकी मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश करें। पिछले कुछ दिनों से कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच गंभीर हालत में मरीजों को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ रही है। एक ओर अस्पतालों में बिस्तर की कमी, तो दूसरी ओर वहां भी पहुंचना सिर्फ इसलिए दुष्कर हो रहा है कि या तो सड़कों पर वाहन उपलब्ध नहीं हैं या फिर एंबुलेंस वाले मनमाने पैसे मांग रहे हैं। समाज में किसी की मौत के बाद लोग हर तरह से मदद के लिए खुद ही खड़े हो जाते हैं। लेकिन आज हालत यह है कि कोरोना से अगर किसी की मौत हो जाए तो उसके शव को श्मशान पहुंचाने के मामले में भी कुछ एंबुलेंस चालक संवेदनहीनता दिखा रहे हैं। हाल में दिल्ली और देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आर्इं, जिनमें यह बताया गया कि एंबुलेंस चालकों ने कहीं अस्पताल पहुंचाने या फिर शव को श्मशान ले जाने के लिए बेलगाम पैसे मांगे।