परिवहन का ब्रांड हिमाचल

Update: 2023-09-07 19:01 GMT
हिमाचल में सडक़ परिवहन का विस्तृत स्वरूप यहां की उम्मीदों को परवान चढ़ाता है और इसीलिए किसी भी परिवहन मंत्री के आजू बाजू प्रगति का एक संसार बसता रहा है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पुन: सडक़ परिवहन के खाके में सरकारी बसों की पेशकश में कुछ इजाफा किया है। शक्ति पीठों के लिए 15 फीसदी कम किराए पर बसें उपलब्ध करवा कर एक ऐसी परिकल्पना कर रहे हैं, जो पर्यटन के पहलू को तसदीक करता है। पर्यटन, परिवहन तथा कला संस्कृति विभाग अगर एक दूसरे के साथ मिलकर समन्वित योजनाएं बनाएं तो बिखरी हुई क्षमताओं का जोड़ सशक्त होगा। कहना न होगा कि हिमाचल के पर्यटन को सडक़ परिवहन की दृष्टि से मजबूत करें, तो कई परिकल्पनाएं अपना काम करेंगी। उदाहरण के लिए धार्मिक पर्यटन की जिम्मेदारी में एचआरटीसी खुद में सैलानियों को ढोने का जज्बा पैदा करे, तो न केवल बाहरी श्रद्धालु हिमाचल आने के लिए सरकारी बसों की सुविधा में अपना कार्यक्रम बनाएंगे, बल्कि प्रदेश के लोगों के लिए भी राष्ट्र दर्शन के कई रूट सुविधाजनक होंगे। चिंतपूर्णी से राजस्थान के खाटू श्याम तथा नादौन-वृंदावन जैसे रूट ऐसी ही पर्यटन परिकल्पना का मार्ग प्रशस्त करते हैं। एचआरटीसी को दिल्ली व चंडीगढ़ में अपने अलग से डिपो विकसित करके इनका पर्यटन परिवहन डिपो के रूप में संचालन करना चाहिए।
परिवहन की एक परिधि अगर पड़ोस के पर्यटन केंद्रों से जुड़े, तो न केवल एचआरटीसी बसें पर्यटन ब्रांड बन सकती हैं, बल्कि अपने साथ निजी बसों के नेटवर्क को जोडक़र ब्रांड हिमाचल को भी मजबूत करेंगी। प्रदेश में पर्यटन की खोज में निजी वोल्वो बसों की अहमियत को नजरअंदाज करने के बजाय इन्हें किसी न किसी रूप से एचआरटीसी की व्यवस्था से जोडऩा होगा। या तो एचआरटीसी की अंतरराज्यीय बसें निजी कंपनियों के सहयोग से अपनी मार्केटिंग का ढर्रा बदलें या निजी वोल्वो बसों की प्रणाली से सीखते हुए फ्लीट संचालन में परिवर्तन लाए। प्रमुख सडक़ों पर एचआरटीसी व हिमाचल पर्यटन को मिल कर हाई-वे टूरिज्म के ऐसे पक्ष को नया मोड़ देना चाहिए, जिससे आने वाले सैलानियों के लिए मंजिलें बढ़ सकती हैं। इसी तरह चंडीगढ़- दिल्ली के बीच किसी केंद्रीय स्थल पर एचआरटीसी पर्यटकों व यात्रियों की सुविधा के लिए रिजार्ट व विश्राम स्थल बनाएं, लेकिन इसी के साथ हिमाचल को क्षेत्रीय परिवहन का नेतृत्व करते हुए पंजाब-पेप्सू रोडवेज, सीटीयू और हरियाणा रोडवेज को बदले में हिमाचल के मुख्य मार्गों पर ऐसे ही रिजार्ट एवं विश्राम स्थल विकसित करने को योजना लानी चाहिए। हिमाचल पथ परिवहन को अंतरराज्यीय मार्गों के अलावा राज्य के भीतर भी खुद को पर्यटन परिवहन की जरूरतों में पारंगत करना होगा। मसलन प्रदेश के धार्मिक स्थलों को जोड़ते हुए विभिन्न पर्यटक क्षेत्रों से देवी दर्शन बसें व प्रमुख पर्यटक स्थलों पर साइट सीइंग के लिए एचआरटीसी अपनी क्षमता व निरंतरता से माहौल में परिवर्तन ला सकती है।
प्रदेश के तीन हवाई अड्डों पर आ रही उड़ानों की सफलता के लिए सैलानियों की ग्राउंड हैंडलिंग में एचआरटीसी को शिमला से जुब्बलहट्टी, मकलोडगंज से गगल तथा मनाली से भुंतर एयरपोट्र्स के लिए पूर्व निर्धारित किराए पर बस सेवाएं शुरू करनी चाहिए। शिमला से दिल्ली-धर्मशाला उड़ानों की सफलता के लिए एचआरटीसी की ऐसी सेवा उत्प्रेरक का काम करेगी। इसी के साथ चंडीगढ़, अमृतसर और दिल्ली हवाई अड्डों के लिए हिमाचल के प्रमुख स्थलों से सीधी वोल्वो बसें शुरू करने की जरूरत है। अंब-अंदौरा से शुरू हुई वंदे भारत ट्रेन सुविधा में एचआरटीसी अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए मकलोडगंज, हमीरपुर व अन्य शहरों से बस सेवाएं जोडक़र इसे ट्रैवल सर्किट के रूप में प्रचारित कर सकती है।
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