पुस्तक समीक्षा : कविता के माध्यम से 'दो टूक' बात
प्रसिद्ध साहित्यकार शंकर लाल वासिष्ठ का काव्य संग्रह ‘दो टूक’ सामाजिक विसंगतियों पर बिना लाग-लपेट के सीधी-सीधी बात करता है
प्रसिद्ध साहित्यकार शंकर लाल वासिष्ठ का काव्य संग्रह 'दो टूक' सामाजिक विसंगतियों पर बिना लाग-लपेट के सीधी-सीधी बात करता है। 34 कविताओं का यह संग्रह 58 पृष्ठों का है। अधिकतर कविताएं आकार में छोटी हैं, जिन्हें पढ़ने में कोई दुविधा नहीं होती। कमला प्रकाशन सोलन से प्रकाशित इस कविता संग्रह की कीमत मात्र 62 रुपए है। डा. ओम प्रकाश सारस्वत का इस कविता संग्रह के बारे में कहना है कि वासिष्ठ के कवि का मानना है आज मानवता का ह्रास हो रहा है और इसके पीछे मनुष्य की अपनी कमजोरी ही कारण है। कहीं समाज को आतंकवाद विचलित कर रहा है तो कहीं स्वार्थ तो कहीं लोलुपता मार रही है तो कहीं चापलूसी। ऐसा नहीं है कि मनुष्य जो आज कर रहा है, उसे वह जानता नहीं या एक-दूसरे के किए को दूसरा देख नहीं रहा, किंतु कमी नैतिक साहस की है जिसके कारण वह एक-दूसरे पर अंगुली उठाने में कतरा रहा है।