भाजपा का विजय रथ, मात्र चार दशक में भाजपा देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गई

भाजपा का विजय रथ

Update: 2022-04-07 08:02 GMT
भाजपा ने अपना 42वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया तो इसका एक बड़ा कारण हाल में संपन्न पांच राज्यों के चुनावों में से चार में शानदार जीत हासिल करना भी है। इनमें उत्तर प्रदेश की जीत ने उसे विशेष ऊर्जा प्रदान की है। 1980 में जनसंघ से भाजपा में परिवर्तित हुई इस पार्टी ने बीते 42 वर्षो में जैसी सफलता प्राप्त की है, वह चमत्कारिक ही है। 1984 में भाजपा के पास केवल दो लोकसभा सदस्य थे, लेकिन आज उनकी संख्या तीन सौ से अधिक है और वह सदस्य संख्या के हिसाब से देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
राज्यसभा में भी भाजपा ने सौ का आंकड़ा छू लिया है। इसके अलावा सहयोगी दलों के साथ वह 18 राज्यों में सत्ता में है। मात्र चार दशक में भाजपा देश की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गई है तो इसके पीछे उसके नेताओं की मेहनत और लगन है। एक समय भाजपा को शहरी मध्य वर्ग के बीच असर रखने वाली पार्टी माना जाता था, लेकिन आज वह सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व करती है। वह ऐसा करने में इसीलिए समर्थ रही, क्योंकि उसने देश, काल और परिस्थितियों के हिसाब से अपनी रीति-नीति तो बदली, लेकिन ऐसा करते समय अपनी मूल विचारधारा से समझौता नहीं किया। यही उसकी सफलता का सबसे बड़ा कारण है।
जहां भाजपा अपनी मूल विचारधारा पर टिके रहकर अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी रही, वहीं उसके विरोधी दल अपनी विचारधारा से भटकते रहे। इनमें कांग्रेस सरीखा राष्ट्रीय दल भी है। आज किसी के लिए और यहां तक कि खुद कांग्रेसजनों के लिए भी यह समझना कठिन है कि कांग्रेस की विचारधारा क्या है? जहां तक क्षेत्रीय दलों की बात है, तो कई के पास तो कोई विचारधारा ही नहीं। यह समझा जाना चाहिए कि बिना विचारधारा के किसी भी दल के लिए लंबी दूरी तय करना कठिन होता है। अपनी विचारधारा को सबसे बड़ी शक्ति मानने वाले भाजपा के नेता और उसके प्रतिबद्ध कार्यकर्ता आम जनता को यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि यह दल देश के उत्थान के लिए कहीं अधिक समर्पित है। भाजपा ने अपने विस्तार के क्रम में दूसरी पार्टी के नेताओं को आत्मसात करने के साथ कई अन्य दलों का सहयोग लिया, लेकिन यह कहना कठिन है कि वह उन सभी को अपनी विचारधारा से ओतप्रोत कर सकी।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय 
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