स्वास्थ्य पर बड़ी पहल

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में सार्वजनिक स्वास्थ्य काडर स्वतंत्रता के बाद से ही कार्यशील

Update: 2022-04-27 05:44 GMT
कुछ दिन पहले केंद्र ने स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए दो काडर- सार्वजनिक स्वास्थ्य काडर एवं स्वास्थ्य प्रबंधन काडर- स्थापित करने का बहुप्रतीक्षित निर्णय लिया है. जानकारों का मानना है कि डॉक्टरों के विशेषज्ञ काडर और अध्यापन काडर के साथ ये नये काडर देश की स्वास्थ्य प्रणाली को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभायेंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दस्तावेज में बताया गया है कि काडरों को केंद्रीय स्तर के साथ राज्यों में भी स्थापित किया जायेगा. ऐसे काडर स्थापित करने की अनुशंसा 2011 में योजना आयोग द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति ने की थी.
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में सार्वजनिक स्वास्थ्य काडर स्वतंत्रता के बाद से ही कार्यशील है और हाल ही में ओडिशा में भी ऐसे काडर की स्थापना हुई है. अनेक राज्यों में स्वास्थ्य प्रशासन के कुछ पदों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित योग्यता मांगी जाती है, पर वहां अलग से निश्चित काडर नहीं है. वर्ष 2017 में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत देशभर में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की दिशा में कई कार्यक्रम चलाये गये हैं. कर्मियों की संख्या, संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ गुणवत्ता सुधार तथा हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में है. स्वास्थ्य तंत्र को सक्षम बनाने के लिए कौशलयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता है.
अनेक संस्थानों में इस संबंध में विभिन्न पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं. काडरों की स्थापना से इन पाठ्यक्रमों की मांग बढ़ेगी तथा अधिक लोगों के स्वास्थ्य सेवा से जुड़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. कोरोना महामारी की चुनौती ने प्रबंधन के महत्व को स्थापित कर दिया है. ऐसी महामारियों की रोकथाम के साथ अन्य संक्रामक रोगों पर नजर रखने तथा टीबी, मलेरिया, एचआईवी-एड्स, कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, तंबाकू की लत आदि से छुटकारा पाने के लिए चलाये जा रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने में ये काडर व्यापक स्तर पर योगदान कर सकते हैं.
निश्चित ही स्वास्थ्य सेवा के केंद्र में चिकित्साकर्मी होते हैं, लेकिन बजट संभालने से लेकर नीतियों को लागू करने, सूचना प्रणाली के रखरखाव, आपूर्ति सुनिश्चित करने जैसे काम भी अहम हैं. अब जब स्वास्थ्य सेवा में तकनीक का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है, तब अन्य कौशलों की मांग भी बढ़ी है तथा विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर समायोजन भी ठीक से होना चाहिए. ऐसे में नये तरह के प्रशिक्षित कर्मियों को लाया जाना जरूरी है. सार्वजनिक स्वास्थ्य काडर में 70 फीसदी ऐसे चिकित्सक होंगे, जिनके पास सामुदायिक चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य या सोशल मेडिसिन का भी डिप्लोमा या डिग्री होगी.
शेष 30 फीसदी प्रबंधन स्नातक होंगे. ऐसे सुझाव भी हैं कि स्वास्थ्य सेवा में सामाजिक विज्ञान, स्वास्थ्य संचार आदि के विशेषज्ञों की भी सेवाएं ली जानी चाहिए. निदान के साथ-साथ रोगों को होने से रोकना तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग भी स्वास्थ्य तंत्र का उद्देश्य है. उम्मीद है कि इन काडरों को जल्दी सेवा में पदस्थापित कर दिया जायेगा.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय 
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