चार पहिया वाहन है या मालवाहक वाहन तो 7 से 10 हजार खर्च करने को तैयार रहिये
मोदी सरकार एक नया खर्च, 7 से 10 हज़ार का आपके माथे डालने की तैयारी करवा रही है
Girish Malviya
मोदी सरकार एक नया खर्च, 7 से 10 हज़ार का आपके माथे डालने की तैयारी करवा रही है. अब आपके पुराने फोर व्हीलर के अंदर भी जीपीएस लगवाना होगा और वो भी शहर के आरटीओ द्वारा अप्रूव्ड वेंडर से. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले से हो रही है. जहां 20 अप्रैल के बाद गाड़ियों में जीपीएस का होना अनिवार्य होने जा रहा है. ये जीपीएस टैक्सी, निजी कार, बस, ट्रक, खनन समेत अन्य सवारी व मालवाहक वाहनों में लगेंगे.
ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि ये जीपीएस शासन की तरफ से अधिकृत 15 कंपनियां ही लगा सकेंगी. आरटीओ हल्द्वानी का कहना है कि इसमें सात से 10 हजार का खर्चा आएगा. उनका यह भी कहना है कि जीपीएस लगने पर मुख्यालय के कंट्रोल रूम से वाहन की निगरानी होगी. इसके अलावा आरटीओ दफ्तरों में भी मिनी कंट्रोल रूम तैयार होंगे. नए व पुराने हर तरह के वाहन भी इसे लगाना अब अनिवार्य हो चुका है.
जल्द ही आपके शहर के आरटीओ भी ऐसी ही घोषणा करने वाले हैं. क्योंकि आपको पता ही होगा कि कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी ने संसद में कहा कि आने वाले एक साल के अंदर भारत को टोल और नाका से मुक्त कर दिया जाएगा. यानी देश एक साल में टोल फ्री बन जाएगा. उन्होंने कहा कि इस दौरान FASTag को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा.
अब गाड़ियों में ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सिस्टम लगाया जाएगा. जिसकी मदद से टोल शुल्क का भुगतान हो सकेगा. सरकार जीपीएस को अंतिम रूप देने जा रही है. आगे वाहनों का टोल सिर्फ आपके लिंक्ड बैंक खाते से काटा जाएगा. उन्होंने कहा था कि टोल के लिए जीपीएस प्रणाली पर काम जारी है. बता दें कि सरकार सभी पुराने वाहनों में भी जीपीएस सिस्टम टेक्नोलॉजी लगाने के लिए तेजी से काम कर रही है.
इसलिए व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने के लिए पुरानी गाड़ियों में GPS लगवाना अनिवार्य कर दिया जाएगा. नए वाहनो में पहले से ही GPS लगा हुआ आ रहा है. सार्वजनिक वाहन निर्माता कंपनियों को 01 जनवरी, 2019 के बाद बनने वाले वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य किया जा चुका है. यानि आपसे सर्विलांस स्टेट बस एक दो साल की ही दूरी पर है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.