अधिकारों के प्रति जागरूक हों

दुनियाभर में प्रतिवर्ष 15 मार्च को ‘विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है

Update: 2022-03-15 05:16 GMT
By योगेश कुमार गोयल.
दुनियाभर में प्रतिवर्ष 15 मार्च को 'विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस' मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना तथा उनके हितों के लिए बनाये गये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमों एवं प्रावधानों की जानकारी देना है. यह दिवस मनाने की नींव सही मायनों में 15 मार्च, 1962 को पड़ गयी थी, जब अमेरिकी कांग्रेस में वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर शानदार भाषण दिया था.
वे विश्व के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने पहली बार औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों की परिभाषा को रेखांकित किया था. उसी ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. यह दिवस सबसे पहले 1983 में मनाया गया था.
भारत में उपभोक्ताओं को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए कई कानून बने, लेकिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अस्तित्व में आने के बाद न केवल उपभोक्ताओं को शीघ्र, त्वरित व कम खर्च पर न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त हुआ, बल्कि कंपनियां व प्रतिष्ठान भी अपनी सेवाओं अथवा उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रति सचेत हुए.
उपभोक्ता अधिकारों को मजबूती देने के लिए 20 जुलाई, 2020 को 'उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019' को लागू किया गया. ग्राहकों के साथ होनेवाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए बना यह कानून साढ़े तीन दशक पुराने 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986' का स्थान ले चुका है. पारंपरिक विक्रेताओं के अलावा तेजी से बढ़ते ऑनलाइन कारोबार को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है. अब ई-कॉमर्स कंपनियां खराब सामान बेचकर उपभोक्ताओं की शिकायतों को दरकिनार नहीं कर सकेंगी.
ई-कॉमर्स नियमों के तहत विक्रेताओं के लिए मूल्य, समाप्ति तिथि, रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी-गारंटी, वितरण और शिपमेंट, भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीकों के बारे में विवरण प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है. इन्हें सामान के 'मूल उद्गम देश' का विवरण भी देना होगा. नये कानून के तहत उपभोक्ता अब देश की किसी भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करा सकते हैं. वे किसी भी स्थान और किसी भी माध्यम के जरिये शिकायत कर सकते हैं.
इस कानून में उपभोक्ता अदालतों के साथ-साथ एक सलाहकार निकाय के रूप में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है, जो उपभोक्ता अधिकारों, अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों में पूछताछ और जांच करेगा. नया कानून उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायतें दर्ज कराने और उपभोक्ता आयोगों में शिकायतें दर्ज करने में भी सक्षम बनाता है. इसमें 'उपभोक्ता मध्यस्थता सेल' के गठन का प्रावधान भी है, ताकि दोनों पक्ष आपसी सहमति से विवाद सुलझा सकें.
मध्यस्थता करना दोनों पक्षों की सहमति के बाद ही संभव होगा और ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों को उपभोक्ता अदालत का निर्णय मानना अनिवार्य होगा तथा इस निर्णय के खिलाफ अपील भी नहीं की जा सकेगी. नये कानून में प्रयास किया गया है कि दावों का यथाशीघ्र निपटारा हो. उपभोक्ता आयोगों में स्थगन प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ राज्य और जिला आयोगों को अपने आदेशों की समीक्षा करने का अधिकार भी दिया गया है.
नये उपभोक्ता कानून में भ्रमित करनेवाले विज्ञापनों पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को अधिकार दिया गया है कि वह जिम्मेदार व्यक्तियों को दो से पांच वर्ष की सजा के साथ कंपनी पर दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सके. ज्यादा गंभीर मामलों में जुर्माने की राशि 50 लाख रुपये तक भी संभव है.
प्राधिकरण के पास उपभोक्ता अधिकारों की जांच करने के अलावा वस्तु और सेवाओं को वापस लेने का अधिकार भी है. पुराने उपभोक्ता कानून में जनहित याचिका उपभोक्ता अदालतों में दायर करने का प्रावधान नहीं था, लेकिन नये कानून के तहत अब ऐसा किया जा सकता है. इस कानून के तहत उपभोक्ता फोरम में एक करोड़ रुपये तक के मामले, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में एक करोड़ से 10 करोड़ तक के मामले और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में 10 करोड़ रुपये से ऊपर के मामलों की सुनवाई की जा सकती है.
उपभोक्ता दिवस मनाये जाने का मूल उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रसार किया जा सके और अगर वे धोखाधड़ी, कालाबाजारी, घटतौली इत्यादि के शिकार होते हैं, तो इसकी शिकायत वे उपभोक्ता अदालत में कर सकें. उपभोक्ता अदालतों की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इनमें लंबी-चौड़ी अदालती कार्यवाही में पड़े बिना ही आसानी से शिकायत दर्ज करायी जा सकती है.
उपभोक्ता अदालतों से न्याय पाने के लिए अदालती शुल्क की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है और मामलों का निपटारा भी शीघ्र होता है. उपभोक्ता संरक्षण कानून का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि उपभोक्ताओं को उनकी इच्छा के अनुरूप उचित मूल्य, गुणवत्ता, शुद्धता, मात्रा एवं मानकों में वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध हों. वर्ष 2020 में नया उपभोक्ता कानून अस्तित्व में आने के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि यह देश के उपभोक्ताओं को ज्यादा ताकतवर बनायेगा तथा उपभोक्ता विवादों को समय पर और प्रभावी एवं त्वरित गति से सुलझाने में मदद मिलेगी.
Tags:    

Similar News

हर पल अनमोल
-->