सेना, जासूसी और पेगासस-2

पेगासस एक ऐसा स्पाइवेयर है, जिसका प्रयोग करके स्मार्टफोन के एन्क्रिप्टेड ऑडियो, वीडियो संदेश, जिनको सामान्यतः भेजने तथा पाने वाला ही देख व सुन सकता है

Update: 2022-02-11 19:16 GMT

पेगासस एक ऐसा स्पाइवेयर है, जिसका प्रयोग करके स्मार्टफोन के एन्क्रिप्टेड ऑडियो, वीडियो संदेश, जिनको सामान्यतः भेजने तथा पाने वाला ही देख व सुन सकता है, उसकी जानकारी भी ली जा सकती है। इसके द्वारा स्मार्टफोन के पासवर्ड, कांटेक्ट लिस्ट, टेक्स्ट मैसेज और लाइव वॉइस कॉल आदि हर चीज की जानकारी के साथ-साथ ऐसा भी मानना है कि यह सॉफ्टवेयर ईमेल, लोकेशन ट्रैकिंग, डिवाइस सेटिंग, ब्राउजिंग हिस्ट्री की भी जासूसी कर सकता है। इस सॉफ्टवेयर की एक और खासियत है कि यह फोन में इंस्टॉल होने के बाद किसी भी तरह का नेटवर्क डाटा, बैटरी खपत, मेमोरी स्पेस आदि किसी भी तरह से फोन पर कोई भी प्रभाव नहीं डालता। एक विदेशी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार भारत ने इस स्पाइवेयर को 2017 में 2 बिलियन डॉलर की रक्षा डील में इजराइल से खरीदा था। विश्व के कुछ मीडिया समूहों ने 2021 में बताया था कि दुनिया के बहुत सारे देशों की सरकारों ने पेगासस का इस्तेमाल पत्रकारों, विरोधी दलों, व्यापारियों आदि की जासूसी के लिए किया है। भारत में भी 'द वायर' द्वारा की गई जांच में खुलासा किया गया है कि भारत में इस मेल वेयर का इस्तेमाल कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, सूचना मंत्री अश्वनी वैष्णव आदि की जानकारी हेतु किया गया है। इसके जवाब में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि द वायर की रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने का प्रयास था।

वैष्णव जी ने यह भी कहा था कि स्पाइवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ ने पेगासस का उपयोग करने वाले देशों की सूची को गलत बताया है, जबकि इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा था कि एनएसओ द्वारा किया जा रहा है निर्यात इजराइल सरकार की निगरानी में रहता है। गिलोन का यह भी मानना था कि एनएसओ एक निजी इजरायली कंपनी है और उस कंपनी ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक उपकरण विकसित किया है जिससे कई लोगों की जान बचाई गई है, पर जब भारत को दिए गए सॉफ्टवेयर की बात की गई तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसी संदर्भ में एक याचिका के जवाब में हमारे सुप्रीम कोर्ट ने 2 विशेषज्ञों के साथ सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरवी रविंद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति नियुक्त की है। मुख्य न्यायाधीश एनबी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि राज्य को हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर छूट नहीं मिल सकती। साथ ही इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए जासूसी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, पर यह भी सच है कि जब जासूसी देशहित में न होकर निजी हित के लिए की जाए तो यह एक जघन्य अपराध है। जिस तरह से मौजूदा सरकार पर पेगासस के जरिए जासूसी करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, यह एक प्रोग्रेसिव लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरा है और इसीलिए इसकी सही जांच होने के साथ-साथ केंद्र की एनडीए सरकार को भी इस जांच का पूर्णतया समर्थन और सहयोग करना चाहिए।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
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