और अब मंकी पॉक्स
पहले महामारी और फिर युद्ध से उपजे मुश्किलात झेलती दुनिया के सामने मंकी पॉक्स के रूप में एक नई चुनौती आ गई है। विभिन्न देशों में इसके सौ से ज्यादा मामलों की पुष्टि होने के बाद इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
नवभारत टाइम्स; पहले महामारी और फिर युद्ध से उपजे मुश्किलात झेलती दुनिया के सामने मंकी पॉक्स के रूप में एक नई चुनौती आ गई है। विभिन्न देशों में इसके सौ से ज्यादा मामलों की पुष्टि होने के बाद इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। एक सप्ताह पहले तक इसके मामले इतने कम थे कि इसे किसी तरह का खतरा नहीं माना जा रहा था। मगर पिछले कुछ ही दिनों में ब्रिटेन के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम सहित 12 देशों में इसके मरीज पाए जाने की पुष्टि हो गई। यही नहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि कुछ दिनों में इसके और भी मामले सामने आ सकते हैं। हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है। अफ्रीकी देशों में इसके हजारों मामले हर साल सामने आते हैं। लेकिन यह पहला मौका है जब अफ्रीका से बाहर इतने बड़े इलाके में इसका प्रसार देखा जा रहा है। इतने बड़े पैमाने पर संक्रमण का मतलब है कि यह पिछले कुछ समय से फैल रहा होगा जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया। राहत की बात यह है कि अभी तक इन देशों में इस संक्रमण से किसी की मौत होने की खबर नहीं है। अफ्रीकी देशों के जिन इलाकों में यह बीमारी आम रही है वहां भी ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं।
औसतन दस मामलों में एक मौत देखी जाती है। मगर स्मॉल पॉक्स परिवार के इस वायरस का अचानक विभिन्न महादेशों में फैलाव कैसे हो गया यह गुत्थी वैज्ञानिकों को परेशान कर रही है। इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिल पाया है। लेकिन इस आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता कि कहीं इस वायरस ने अपना रूप तो नहीं बदला है। अगर ऐसा हुआ होगा तो नए वेरिएंट के रूप में इसके लक्षण, संक्रमण की क्षमता वगैरह में भी परिवर्तन संभव है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारी इस संभावना का पता लगा रहे हैं कि क्या सेक्स के जरिए भी इसका संक्रमण होता है? यह भी कहा जा रहा है कि चूंकि स्मॉल पॉक्स का उन्मूलन हो जाने के बाद अब उसके टीके का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए संभव है कि इस वायरस के लिए तेजी से फैलना पहले के मुकाबले आसान हो गया हो। इन तमाम आशंकाओं के बीच भी घबराहट की स्थिति न बने इसके लिए यह ध्यान में रखना जरूरी है कि अभी भी मंकी पॉक्स संक्रमण के मामले बहुत कम हैं और इनके आम लोगों के बीच फैलने की गुंजाइश भी कम ही बताई जाती है। लेकिन एक बात तो यह कि ब्रिटेन में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है यानी ऐसे केस सामने आ रहे हैं जिनमें संक्रमित व्यक्ति के अफ्रीकी देशों से आने वाले किसी शख्स के साथ संपर्क में आने की कोई बात नहीं है। दूसरे, इस वायरस के बारे में अब भी ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। इसलिए किसी भी सूरत में सावधानी नहीं छोड़ी जा सकती।