Vijay Garg: आज के इस दौड़-धूप वाले युग अक्सर सफलता प्राप्ति के लिए इतने व्यस्त हो जाते हैं कि समय की वास्तविकता को समझने और उसे सही दिशा में लगाने में चूक जाते हैं । जीवन के हर क्षेत्र में हम किसी न किसी लक्ष्य की प्राप्ति की कामना करते हैं। हमें लगता है कि अगर हम तुरंत सफलता प्राप्त कर लें, तो हमारे जीवन की यात्रा पूरी हो जाएगी। मगर यह सच है कि किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए समय, सहनशीलता और संयम की आवश्यकता होती है। महर्षि पतंजलि ने कहा है, 'साधनानि सम्प्रयुक्तानि यदि समयेन पुराणानि, तर्हि सिद्धयः सिध्यन्ति ।' यानी जब कोई कार्य समय के साथ पूरी मेहनत और परिश्रम से किया जाता है, तब वह कार्य सफलता की ओर अग्रसर होता है। किसी भी कार्य में सफलता के लिए धैर्य और समय का अहम स्थान है। समाज में यह धारणा बन गई है कि हमें सफलता तुरंत मिलनी चाहिए, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या व्यवसाय में । लेकिन क्या हम यह जानते हैं कि हर महान व्यक्ति ने सफलता प्राप्ति के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना किया और कितने वर्षों तक संघर्ष किया ?
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, 'विवेकस्य विजयः सर्वं प्रबलं क्रिया केन वा,' यानी कोई भी व्यक्ति अपनी कठिनाइयों को पार कर विवेक और संयम के साथ संघर्ष करता है, तभी वह सफलता प्राप्त करता है । यह संदेश हमें यह सिखाता है कि जब तक हम अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी मेहनत और संयम से काम नहीं करेंगे, तब तक हम सफलता की ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सकते। समय के सर्वोत्तम होने को समझना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। समय एक ऐसी मूल्यवान चीज है, जो एक बार निकल जाने के बाद फिर कभी वापस नहीं आती। हमें समय को सम्मान देना चाहिए, क्योंकि समय कभी रुकता नहीं है और यह लगातार हमें अपनी मंजिल तक पहुंचाने की दिशा में कार्य करता है ।
हमारे प्रयास चाहे छोटे हों, पर वे समय के साथ हमें बड़ी सफलता तक ले जाते हैं । इसीलिए हमें हर छोटे कदम को महत्त्व देना चाहिए। जब लोग मेहनत के बावजूद तुरंत परिणाम नहीं पाते, तो वे थक कर हार मान लेते हैं । लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि हर असफलता से कुछ सीखने को मिलता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, 'सफलता उसी को मिलती है जो किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा और समय के साथ करता है।' सहनशीलता और संयम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण गुण है। जब हम किसी कार्य में पूर्ण समर्पण से जुट जाते हैं, तो हमें हर छोटी-छोटी जीत की सराहना करनी चाहिए, क्योंकि यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। धैर्य हर कार्य में सफलता को सुनिश्चित करता है ।
सभी बड़े नेता, उद्योगपति और खिलाड़ी, जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया, उन्होंने समय के महत्त्व को समझा और संयम से सफलता प्राप्त की। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में यह सिद्ध कर दिखाया कि समय का सही उपयोग और निरंतर संघर्ष ही सफलता का मार्ग है। हमें भी उन महान व्यक्तियों के संघर्षो से प्रेरणा लेकर अपने कार्य में समय और परिश्रम का सही उपयोग करना चाहिए। आज के युग में हम जितना तेजी से परिणाम चाहते हैं, उतना ही कम हम समय के साथ काम करने का धैर्य रखते हैं । मगर यह सच्चाई है कि बिना समय के साथ किए गए प्रयासों के सफलता प्राप्त नहीं हो सकती । समय का सम्मान और सहनशीलता के साथ काम करने का मंत्र हमें सफलता की ओर ले जाता है ।
गीता में कहा गया है कि कार्य में पूर्ण समर्पण और कठिनाइयों का सामना किए बिना सफलता प्राप्त करना असंभव है। इसलिए हमें समय का सम्मान करते हुए सहनशीलता और संयम के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए। यह जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है, चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय हो, या कोई व्यक्तिगत लक्ष्य हो। हमें यह याद रखना चाहिए कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती। यह समय के साथ साकार होती है, जब हम निरंतर प्रयास करते रहते हैं। हमें उन महान व्यक्तियों की तरह कार्य करना चाहिए, जिन्होंने संघर्ष के दौरान समय का सर्वोत्तम उपयोग किया और आखिर सफलता को प्राप्त किया। सफलता का कोई संक्षिप्त रास्ता नहीं होता।
किसी भी कार्य में समर्पण, मेहनत और समय का सामंजस्य अत्यंत आवश्यक है। जैसे नदी धीरे-धीरे अपनी राह बनाती है और अंत में समुद्र में मिल जाती है, वैसे ही हम भी अपने कार्य में समय, सहनशीलता और संयम से लगातार आगे बढ़ते हुए सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दरअसल, सफलता पाने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है धैर्य और समय का सही उपयोग। जब हम किसी कार्य में जल्दबाजी करते हैं, तो अक्सर हम अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते। इसलिए सफलता के लिए हमें पूरी मेहनत और समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए । समय के साथ हर प्रयास हमें एक कदम और हमारी मंजिल के करीब ले जाता है । यही जीवन की सच्ची सफलता है । हमें हर मुश्किल घड़ी में यही प्रेरणा मिलती है कि अगर हम अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहें, तो कोई भी चुनौती हमें रोक नहीं सकती।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब