कृत्रिम भंवरे से होगा परागण !

Update: 2025-01-24 13:19 GMT
Vijay Garg: एक फूल के नर परागकोष (एंथर) से दूसरे फूल के मादा वर्तिकाग्र (स्टिग्मा) तक पराग कणों के स्थानांतरित होने पर फूल बीज में बदलता है। इससे ही हमें फल और सब्जियां प्राप्त होती हैं और इसी बीज से नए पौधे भी पनपते हैं। पराग कण को एक फूल से दूसरे फूल तक ले जाने का काम कीट-पतंगे, चमगादड़ आदि करते हैं, जिसे परागण कहते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिए कितने फूल, बीज में बदलेंगे, इस पर भी हमारा नियंत्रण नहीं होता है।
इस अंतर को खत्म कर परागण को सटीक और सफल बनाने के लिए ब्रिटेन के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने खास तरह के रोबोटिक कीट तैयार किए हैं। ये छोटे हवाई कृत्रिम कीट सर्वश्रेष्ठ पराग कण वाहक मधुमक्खी की तरह तेजी से परागण ले जा सकेंगे। इससे पौधों में सुविधानुसार प्रजनन कराना आसान होगा। ये अगले कुछ वर्षों में व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध होंगे।
ये रोबोटिक कीट 1,000 सेकंड तक आसमान में मंडरा सकते हैं। वैज्ञानिकों का लक्ष्य इसे 10,000 सेकंड तक पहुंचाना है। इनका वजन एक पेपरक्लिप से भी कम है और ये डबल एरियल फ्लिप जैसी कलाबाजी करते हुए तेजी से उड़ान भर सकते हैं। इनको टिकाऊ बनाने के लिए पंखों को लचीलापन दिया गया है। इनमें लगी छोटी बैटरी और सेंसर इनको उड़ने में सक्षम बनाती है। हालांकि अभी इनका प्रयोग केवल लैब में किया गया है।
■ सटीक दिशा और तीव्र गति शोध में शामिल वैज्ञानिक केविन चेन
के अनुसार, अभी इस तरह के जो कृत्रिम कीट उपलब्ध थे, उनमें मधुमक्खी जैसे प्राकृतिक परागणों की तरह लचीलापन नहीं था। नए रोबोटिक कीट का डिजाइन इनको मधुमक्खी की तरह सटीक और तीव्र बनाता है। अभी तक जो कृत्रिम कीट थे, उनमें दो पंख थे, जो एक आयताकार उपकरण में संयोजित थे। ये एक माइक्रोकैसेट के आकार के होते थे, साथ ही समूह में उड़ान भरते थे। नए रोबोटिक कीट में आठ पंख हैं और केंद्र में एक ट्रांसमिशन की मदद से फड़फड़ाता हुआ पंख लगा है। यह पंख रोबोटिक कीट के केंद्र से बाहर की ओर बल लगाता है, जिससे पंख स्थिर रहते हैं और उड़ान भरने में सहायक होते हैं। नया रोबोटिक कीट पुराने रोबोट की तुलना में ज्यादा कंट्रोल टॉर्क जनरेट कर सकता है। इससे लक्षित दिशा में अधिक सटीक उड़ान भरी जा सकती है।
फल-सब्जियों की बढ़ेगी उपज रोबोटिक कीट की मदद से किसान अपनी सुविधानुसार गोदामों के अंदर फल और सब्जियां उगा सकेंगे। इससे फल और सब्जियों की उपज बढ़ेगी। मौसम की प्रतिकूलता का असर नहीं पड़ेगा, जो कि फल और सब्जियों के उत्पादन में सबसे बड़ी चुनौती होती है। साथ ही फसलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से भी छुटकारा मिलेगा।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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