अब कठघरे में अमेरिका है
ब्रिटेन की एक अदालत ने बीते हफ्ते जूलियान असांज को अमेरिका भेजन के लिए हरी झंडी दे दी
By NI Editorial
असल सवाल अमेरिका के रुख पर है। अमेरिका दुनिया में अपना नैतिक बल लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करते हुए हासिल करता है। तो जुलियन असांज के मामले में वे मूल्य लागू करने से वह क्यों इनकार करता रहा है? आखिर असांज ने जो किया, वह पत्रकारिता ही है।
ब्रिटेन की एक अदालत ने बीते हफ्ते जूलियान असांज को अमेरिका भेजने के लिए हरी झंडी दे दी। इस तरह अब अंतिम फैसला ब्रिटिश सरकार को लेना है। ब्रिटिश सरकार के रुख को देखते हुए यह नहीं लगता कि वह असांज के समर्थन में खड़ी होगी। बहरहाल, उसने अगर प्रतिकूल फैसला किया, तो उसके बाद भी असांज के पास उसके बाद भी अपील के कई रास्ते उपलब्ध होंगे। लेकिन असल सवाल अमेरिका के रुख पर है। अमेरिका दुनिया में अपना नैतिक बल लोकतंत्र, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करते हुए हासिल करता है। प्रश्न यह है कि जुलियन असांज के मामले में वे मूल्य लागू करने से वह क्यों इनकार करता रहा है? आखिर असांज ने जो किया, वह पत्रकारिता की परिभाषा के तहत ही आता है। कहीं भी पत्रकार अगर किसी रहस्य से परदा हटाता है, तो उससे किसी ना किसी ताकतवर व्यक्ति या संस्था या देश के लिए असहज स्थिति बनती है। असांज ने जो खुलासे किए, उससे बहुत से दूसरे देशों के साथ-साथ अमेरिका के लिए भी असहज स्थिति बनी। लेकिन ऐसे हाल में किसी लोकतंत्र समर्थक का क्या कर्त्तव्य होगा? क्या उसे पत्रकार के सच सामने लाने के अधिकार के समर्थन में खड़ा नहीं होना चाहिए? अमेरिका ऐसा ना करके क्या यह संकेत नहीं देता है कि स्वतंत्रता की उसकी वकालत एक पाखंड है?
अमेरिका ने लगातार असांज के प्रत्यर्पण की मांग की है, ताकि वह उन पर जासूसी के आरोपों के तहत 17 मामलों और कंप्यूटर के दुरुपयोग के आरोप के तहत एक मामले में मुकदमा चला सके। अमेरिका का कहना है कि असांज ने ने गैरकानूनी तरह से गोपनीय कूटनीतिक केबल और सैन्य फाइलें चुराने में अमेरिकी सेना के इंटेलिजेंस ऐनालिस्ट चेल्सी मैनिंग की मदद की। इन केबलों और फाइलों को बाद में असांज वेबसाइट विकीलीक्स ने छाप दिया था। असांज के समर्थकों और उनके वकीलों का कहना है कि उन्होंने एक पत्रकार की तरह काम किया। इसलिए उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को संरक्षण मिलना चाहिए। असांज ने ऐसे दस्तावेज छापे थे जिन्होंने इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका के दुराचार को उजागर किया। ऐसे में असांज के वकीलों की ये दलील वाजिब लगती है कि असांज प्रस्तावित मामले राजनीति से प्रेरित हैं। असांज अगर अमेरिका में दोषी पाए गए, तो उन्हें 175 साल तक की कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।