By: डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर
बड़ी बात यह है कि इन एप्स ने बड़ी मात्रा में विदेशी निवेशकों से निवेश लिया हुआ है और उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों को जुए की लत लगाना है। इन एप्स का डिजाइन ही लत लगाने वाला है। यही नहीं, कई तथाकथित कौशल आधारित गेम्स के साफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर ग्राहकों को बेवकूफ बनाकर उन्हें लूटा भी जा रहा है। बड़ी बात यह है कि न्यायालयों और प्रशासनिक निकायों के पास इसके बारे में जानकारी है जो ग्राहकों के पास नहीं है। भारतीय विधि आयोग की 276वीं रपट ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट तक ने यह टिप्पणी दी है कि इन कौशल आधारित गेम्स के नतीजों को मशीनी छेडछाड़ से प्रभावित किया जा सकता है…
पिछले कुछ समय से आपने कुछ 'एप्स' के विज्ञापन देखे होंगे जिसमें प्रसिद्ध खेल-जगत हस्तियां ऑनलाइन गेम्स के विज्ञापन करती दिखाई देती हैं। हालांकि साथ ही उसी विज्ञापन में तेज-तेज गति से चेतावनी भी दी जाती है कि इन गेमों को संभलकर खेलें, इसकी लत लग सकती है। वास्तव में आज हमारे युवा इन हस्तियों द्वारा सुझाई एप्स की गेम्स में डूबते जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से देश में इंटरनेट और मोबाइल के विस्तार के कारण इस 'मनी गेमिंग' उद्योग का खासा विस्तार हुआ है। माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक इस उद्योग का व्यवसाय 5 अरब डालर से अधिक हो जाएगा।