अदालत ने घरेलू हिंसा व छेडख़ानी का झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाली बहु पर 2 लाख का जुर्माना लगाया
दिल्ली न्यूज़: द्वारका स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन जैन की अदालत ने ससुराल पक्ष के लोगों पर घरेलू हिंसा व छेडख़ानी का झूठा आरोप लगा कर झूठे मुकदमा दर्ज कराने वाली बहू पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माना रकम ससुराल वालों को बतौर मुआवजा दी जाएगी। बहु के द्वारा दायर संपत्ति विवाद का मामला अदालत ने जुलाई 2010 में खारिज कर दिया था, वहीं 13 साल से अलग रहने के आधार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दिसंबर 2012 को खारिज कर दिया गया। 2015 में महिला के पति की मौत हो गई थी। अदालत ने इस मामले में सासए देवर, देवरानी व उसके बेटे की याचिका को स्वीकार करते हुए माना है कि महिला द्वारा ससुराल पक्ष पर झूठे आरोपों की वजह से परिवार पीड़ादायक हालातों से गुजरा। परिवार पर ऐसे आरोप लगाए गए जिनकी कोई बुनियाद ही नहीं थी, लेकिन कानूनन उन पर सुनवाई होनी जरूरी थी। पीड़ित पक्ष ने अदालत को अवगत कराया कि महिला की सास कैसर की मरीज है वहीं जिस देवरानी पर आरोप लगाए गए हैं वह मानसिक रूप से बीमार है।
पीड़ित पक्ष ने बताया कि उनके बड़े बेटे की शादी वर्ष 1997 में हुई थी। शादी के बाद 2001 में बहू अपने पति और बच्चों के साथ मायके में रहने लगी। महिला की सास ने बेटे-बहू को संपति से बेदखल कर दिया। महिला ने ससुराल की संपत्ति में हिस्सा मांगते हुए 2009 में द्वारका अदालत में मुकदमा दायर किया था। वहीं जुलाई 2009 में सास, देवर, देवरानी और उनके बेटे पर घरेलू हिंसा का मुकदता दायर किया। इन दोनों मामलों में अदालत ने आरोपों को झूठा मानते हुए अपना फैसला सुनाया है।
अदालत ने निर्देश दिए कि मुआवजा देने वाली महिला की सास और देवरानी को 70-70 हजार रुपये देवर और उसके बेटे को 30.30 हजार रुपये बतौर हर्जाना दिये जाएं।