Country's economic at risk: कोविड के बाद देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा लोगो का हुआ बचत कम और कर्ज बढ़ा
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को फाइनैंशल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा कि कोविड के बाद से लोगों के ऊपर कर्ज बढ़ गया है। इसके साथ ही, पिछले दस सालों में जितनी बचत होती थी, उसमें भी कमी आई है। RBI ने कहा कि लोग कम बचा रहे हैं और कर्ज ले रहे है। इससे देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा हो सकता है। इसलिए इस पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है। RBI के मुताबिक कुल मिलाकर FY2023 में लोगों के बचत में जीडीपी के 18.4% की कमी आई है। 2013 से 2022 के बीच यह औसतन 20% थी। इसी तरह, 2013 से 2022 तक लोग अपनी कमाई का औसतन 39.8 प्रतिशत बचाते थे। लेकिन FY 2023 में यह घटकर 28.5 प्रतिशत हो गया। 2013 से 2022 तक लोग अपनी कमाई में जीडीपी का औसतन 8 प्रतिशत बचाते थे, लेकिन 2023 में यह 5.3 प्रतिशत हो गया।
भारत का कुल कर्ज GDP का लगभग 40.1 प्रतिशत (percentage) है, जो अन्य उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है। आरबीआई ने नोट किया कि प्रति व्यक्ति GDP के लिहाज से यह 'तुलनात्मक रूप से' अधिक है।
बचत के तरीके में आ रहा है बदलाव- There is a change in the way of saving
केंद्रीय बैंक का मानना है कि घरेलू वित्तीय बचत, जो Covid-19 महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी थी, अब कम हो गई है। दरअसल, यह अब फिजिकल असेट की तरफ शिफ्ट हो गई है। लोग अब अपनी बचत में विविधता ला रहे है और अपनी पूजी को गैर-बैंक और कैपिटल मार्केट में लगा रहे है।
बैंकों का फंसा कर्ज आया निचले लेवल पर- Banks' bad loans came down to a lower level
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को जारी अपनी 29वीं फाइनैंशल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (Financial stability report) में कहा कि शेड्यूल्ड कमर्शल बैंकों (SCB) का ग्रॉस NPA रेशो कई वर्षों के निचले स्तर 2.8% पर आ गया है, जबकि नेट NPA रेशो मार्च 2024 के अंत में घटकर 0.6 प्रतिशत रह गया है। RBI ने कहा कि ग्लोबल इकॉनमी टेंशन और हाई पब्लिक डेट से जोखिम का सामना कर रही है, लेकिन भारत का फाइनैंशल सिस्टम मजबूत बना हुआ है।