किसानों के लिए बड़ी खबर, बढ़ती कीमतों के बीच अब रियायती दर पर मिलेगी यूरिया
देश के किसानों को केंद्र सरकार खाद उत्पादकों और आयातकों के माध्यम से रियायती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध करवा रही है
देश के किसानों को केंद्र सरकार खाद उत्पादकों और आयातकों के माध्यम से रियायती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध करवा रही है. इनमें यूरिया, फॉस्फेटिक और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) सहित फॉस्फेटिक और पोटाशिक (पीएंडके) के 22 ग्रेड उर्वरक हैं. एक अप्रैल, 2010 से पीएंडके उर्वरकों पर अनुदान एनबीएस नियंत्रित कर रही है.
अपने किसान हितैषी दृष्टिकोण के अनुरूप सरकार सस्ती कीमतों पर पीएंडके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. उर्वरक कंपनियों को पोषक तत्व आधारित अनुदान दरों के अनुसार अनुदान जारी की जाती है, जिससे वे किसानों को सस्ती कीमत पर उर्वरक उपलब्ध करवा सकें.
कच्चे माल की कीमतों में तेजी
पिछले कुछ महीनों में डीएपी और अन्य पीएंडके उर्वरक के कच्चे माल की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी आदि की कीमतें भी समान अनुपात में बढ़ी हैं. इस तेज वृद्धि के बावजूद पिछले महीने तक कंपनियों ने भारत में डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की. हालांकि, कुछ कंपनियों ने अब डीएपी की कीमत बढ़ा दी है
भारत सरकार को इस स्थिति की पूरी जानकारी है और इस पर सरकार में शीर्ष स्तर पर निगरानी की जा रही है. सरकार किसानों की चिंताओं को लेकर भी पूरी तरह संवेदनशील है और इस स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही कदम उठा रही है, जिससे किसान समुदाय को पीएंडके उर्वरकों (डीएपी भी शामिल) की कीमत में बढ़ोतरी के असर से बचाया जा सके.
सरकार कर रही है निगरानी
पहले कदम के रूप में सरकार ने पहले ही सभी उर्वरक कंपनियों को किसानों के लिए बाजार में इन उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. वहीं सरकार भी देश में उर्वरकों की उपलब्धता की प्रतिदिन निगरानी कर रही है. डीएपी की कीमत निर्धारण को लेकर सरकार पहले ही सभी उर्वरक कंपनियों को डीएपी आदि के पुराने स्टॉक को पुरानी कीमतों पर ही बेचने के लिए कह चुकी है.
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी
इसके अतिरिक्त भारत सरकार किसानों को सहायता देने और उन पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए पीएंडके उर्वरकों और डीएपी के कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी को समायोजित करने के लिए अनुदान दरों पर भी विचार कर रही है. कोविड महामारी के इस असाधारण संकट के समय में सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है.