India इंडिया: याद कीजिए वो समय, करीब 33 साल पहले, जब पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे। दोनों ने देश की अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण से जोड़कर वो दिशा दी। जिससे देश के लिए दुनिया के सारे दरवाजे खुल गए The doors opened। साथ ही, उन विदेशी कंपनियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के उन ताकतवर लोगों के लिए भारत में आना आसान हो गया, जो भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देखते हैं। उसके बाद देश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसके बाद देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रहे या फिर बाद में 10 साल तक यूपीए की सरकार। जिसका नेतृत्व कोई और नहीं बल्कि देश में उदारीकरण लाने वाले मनमोहन सिंह ही कर रहे थे।
उस दौरान देश की विकास दर रॉकेट की तरह बढ़ रही थी। फिर नरेंद्र मोदी का दौर आया। अपने शासन के शुरुआती 10 सालों में उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और दुनिया के मंच पर देश की छवि गढ़ी। जिसमें लगने लगा कि दुनिया का विकास इंजन सिर्फ भारत ही बन सकता है। आज देश डिजिटल इंडिया के दम पर दुनिया के कई विकसित देशों को पीछे छोड़ता हुआ नजर आ रहा है। यूपीआई, जो 10 साल भी पुराना नहीं हुआ है, दुनिया की सबसे बड़ी वैकल्पिक भुगतान प्रणाली बन गया है। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल चीन को छोड़कर भारत में अपने उत्पाद बना रही है। फेसबुक से लेकर गूगल और माइक्रोसॉफ्ट तक कई कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं और भारत को ऐसा देश बनाने में मदद कर रही हैं, जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
सवाल यह है कि क्या कभी किसी ने सोचा था कि जो भारत 1990 में अमेरिका, यूरोप और यहां तक कि कई एशियाई देशों से भी पीछे था, वह अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अगले कुछ सालों में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर है। हां, जिन लोगों ने 1990 के दौर को देखा और समझा, उनके लिए शायद मौजूदा हकीकत एक सपने जैसी हो। लेकिन जब हम 1990 की बात करते हैं, तो हम इतिहास के पन्नों को फिर से खोलते हैं और याद करते हैं कि उस दौरान देश की जीडीपी क्या थी। उस समय जीडीपी के मामले में यूरोपीय संघ के दो सबसे बड़े देश यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस भारत से आगे थे।