विज्ञान

आखिर क्यों हो रहा नासा के रोमन स्पेस टेलीस्कोप का बेसब्री से इंतजार

Gulabi Jagat
27 March 2022 10:18 AM GMT
आखिर क्यों हो रहा नासा के रोमन स्पेस टेलीस्कोप का बेसब्री से इंतजार
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अथाह अंतरिक्ष को जानने के लिए हमारे वैज्ञानिकों के उपकरणों की क्षमताएं कम पड़ती है
अथाह अंतरिक्ष (Space) को जानने के लिए हमारे वैज्ञानिकों के उपकरणों की क्षमताएं कम पड़ती है. इसीलिए जब भी दुनिया में कोई उन्नत किस्म का टेलीस्कोप (Telescope) स्थापित या प्रक्षेपित किया जाता है, लोगों और शोधकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ जाती हैं. ऐसा ही नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के साथ हो रहा है जो कुछ ही महीनों में पूरी तरह काम करना शुरू कर देगा. इसी तरह एक टेलीस्कोप और जिसे चार साल बाद प्रक्षेपित होना है, लेकिन उस पर कौतूहल काफी ज्यादा है. यह नासा का ही नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप (Nancy Grace Roman Space Telescope) है. यह उन्नत किस्म का टेलीस्कोप अंतरिक्ष में ग्रहों की खोज संबंधी नई तकनीकों के लिए इम्तिहान साबित होगा.
क्या है इस अभियान का लक्ष्य
इस अभियान का लक्ष्य ऐसे ग्रहों और तारों के पास के धूल भरी तश्तरियों की तस्वीरें लेना होगा जिसे वह अभी के टेलीस्कोप और वेधशालाओं से हजार गुना ज्यादा विस्तार से देखे जा सकेंगे. रोमन इसकेलिए कोरोनाग्राफ उपकरण का उपयोग करेगा जिससे वह सुदूर तारों और उनके ग्रहों की सीधी लेकिन बहुत ही बढ़िया तस्वीरें ले सेकेगा.
कोरोनाग्राफ का उपयोग
इस अभियान में नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी के खगोलविद रॉब जेलेम बताते हैं कि रोमन कोरोनाग्राफ का उपयोग कर दिखाई देने वाले प्रकाश में संसारों की तस्वीरें ली जा सकेंगी. अब इससे छोटे, पुराने और ठंडे ग्रह डायरेक्ट इमेजिंग के जरिए देखे जा सकेंगे. इससे पृथ्वी जैसे ग्रह खोजने में आसानी होगी.
बाह्यग्रह खोजने की तकनीक
बाह्यग्रह हमारे सौरमंडल से बहुत दूर स्थित होते हैं उनकी खुद की कोई रोशनी नहीं होती हैं. अपने तारे के सामाने आ जाने पर तारे की रोशनी पड़ने वाले अंतर के अध्ययन से वैज्ञानिक उनके बारे में जानकारी जुटाते हैं. ये कई शक्तिशाली टेलीस्कोप के लिए भी अदृश्य ही होते हैं. लेकिन हाल ही में तारों का चक्कर लगाते हुए उनसे प्रतिबिम्बित हुए तारे की रोशनी के अध्ययन की नई तकनीक से उनके बारे में और भी जानकारी मिलने की उम्मीद जागी है.
नई तकनीक का फायदा
इन ग्रहों के वायुमंडल से प्रतिबिम्बित होकर आने वाले रंगों का विश्लेषण खगोलविदों को इनके वायुमंडल के बारे में जानकारी देने में सहायक होते हैं. इससे इन संसारों में आवासीयता को प्रभावित करने वाले कारकों की जानकारी मिल सकती है. इसके जरिए वैज्ञानिकों ने इन बाह्यग्रहों पर जीवन के संकेतों की उपस्थिति की जानकारी दे सकते हैं.
तारों की डिस्क का विशेष अध्ययन
रोमन टेलीस्कोप के कोरोनाग्राफ उपकरण को अभी तकनीकी प्रदर्शन चरण के परीक्षण को पास करना बाकी है. इसके पोलरीमेट्रो मोड से खगोलविद तारों के आसपास की डिस्क की पोलराइज्ड प्रकाश की तस्वीरें ले सकेंगे. इससे तारों के आसपास की डिस्क का अध्ययन हो सकेगा. इससे रोमन डिस्क की संरचनाओं के साथ अनदेखे ग्रहों की भी पता लगा सकेंगे.
दूसरों के लिए सहायक
अभी तक केवल बहुत बड़े ग्रह जिन्हें सुपर ज्यूपिटर ग्रह दो आकार में गुरु ग्रह से कुछ ज्यादा बड़े होते हैं, उनकी ही खोज की जा सकती थी जो केवल एक करोड़ साल पुराने ग्रह हैं. ये इतने युवा होते थे कि वे खुद अपने निर्माण के समय बचती ऊष्मा चमकते हैं जो इंफ्रारेड प्रकाश से पहचाने जा सकते हैं. रोमन टेलीस्कोप अन्य टेलीस्कोप और उपकरणों के लिए बड़ा सहायक हो सकता है.
खगोलविद पृथ्वी जैसे बाह्यग्रहों की सीधी तस्वीरों का अध्ययन करना चाहते हैं जदो पथरीले हों, जिनकी अपने तारे से समुचित दूरी हो, तापमान तरल पानी के लिए अनुकूल हो. इसके लिए उन्हें छोटे पुराने और कुछ ठंडे ग्रहों की तस्वीरें चाहिए होंगी. रोमन के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टेलीस्कोप वर्तमान उपकरणों से सैकड़ों गुना ज्यादा बेहतर है
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