विज्ञान

शोधकर्ताओं का दावा: कीमोथेरेपी को असरदार बना सकता है हीट ट्रीटमेंट

Gulabi
6 Jan 2021 12:32 PM GMT
शोधकर्ताओं का दावा: कीमोथेरेपी को असरदार बना सकता है हीट ट्रीटमेंट
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शोधकर्ताओं ने दावा किया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अगर कीमोथेरेपी (Chemotherapy) के दौरान कैंसर कोशिकाओं को गर्म किया जाए तो यह तकनीक उन्हें खत्म करने में और प्रभावी साबित हो सकती है। निष्कर्षों से पता चलता है कि छोटे चुंबकीय कणों पर अगर कीमोथेरेपी दवा को रखा जाए तो यह कैंसर कोशिकाओं को ना केवल गर्म करती है बल्कि उन्हें नष्ट करने में भी 34 फीसद अधिक प्रभावी है। ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में प्रोफेसर और शोध के लेखक टीके थान ने कहा, 'हमारे अध्ययन ने चुंबकीय नैनोपार्टिकल्स के माध्यम से किए गए हीट ट्रीटमेंट के साथ कीमोथेरेपी दवा के असर को दिखाया है।'



थान ने कहा कि इस तरह से किए गए इलाज में दुष्प्रभाव की गुंजाइश ना के बराबर है क्योंकि यह स्वस्थ ऊतकों के बजाय सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही निशाना बनाता है। 'मैटीरियल केमिस्ट्री बी' नामक जर्नल में प्रकाशित शोध में विज्ञानियों ने चुंबकीय नैनोकणों को सामान्य रूप से इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी दवा के साथ जोड़ा और मानव स्तन कैंसर की कोशिकाओं, मस्तिष्क कैंसर की कोशिकाओं और चूहे के प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं पर इसके प्रयोग का तुलनात्मक अध्ययन किया।


शोध के दौरान विज्ञानियों ने पाया कि गर्मी और डॉक्सोरूबिसिन एकसाथ मिलकर मस्तिष्क में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को 48 घंटे में 98 फीसद तक मार सकती हैं। जबकि इसी कीमोथेरेपी दवा का प्रयोग बिना गर्मी के किया जाए तो यह 73 फीसद ही असरदार होती है। गर्मी के साथ प्रयोग की जाने वाली यही दवा स्तन कैंसर की कोशिकाओं को 89 फीसद तक मार सकती है। कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और जब तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचता है तो यह कोशिकाएं धीरे-धीरे मृतप्राय होने लगती हैं। जबकि स्वस्थ कोशिकाएं 45 डिग्री सेल्सियस तक तापमान का सामना करने में सक्षम होती हैं। आइएएनएस


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