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धर्म-अध्यात्म
Last Bada Mangal 2025:जानें, क्या हैं हनुमान जी की आठ सिद्धियां और नौ निधियां
Renuka Sahu
10 Jun 2025 2:41 AM GMT

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Last Bada Mangal 2025: हिंदू धर्म में हनुमान जी को बल, बुद्धि और पराक्रम का देवता माना जाता है. बल और शक्ति वीर हनुमान के मुख्य गुण हैं. हनुमान चालीसा में भी वर्णित है कि हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता हैं. वह चाहे तो अपने भक्तों को उन नव निधियां का वरदान भी दें सकते हैं. अष्ट सिद्धि और नव निधि का वरदान हनुमान जी को जानकी माता से प्राप्त हुआ था. हनुमान जी की यह आठ सिद्धियां और नौ निधियां उनकी शक्तियों का ही एक रूप हैं तो जाइए जानते हैं इन अष्ट सिद्धि और नव निधि का रहस्य|
कौन सी है वह अष्ट सिद्धियां:
श्री राम भक्त हनुमान को अष्ट सिद्धियां प्राप्त हैं जो जानकी माता ने उन्हें प्रदान की हैं सिद्धि शब्द का तात्पर्य परालौकिक आध्यात्मिक शक्तियों से है. जो तप और साधना से ही प्राप्त की जा सकती हैं. हनुमान चालीसा में इसका वर्णन भी मिलता है|
अणिमा:
पहले अष्ट सिद्धि है अणिमा यानी कि अपने शरीर को हनुमान जी अणु के समान छोटा करने की क्षमता रखते हैं. यह हनुमान जी की सबसे पहली सिद्धि है. अणु के समान छोटा करने का अर्थ है जो चीज नग्न आंखों से ना देखी जा सके|
महिमा:
दूसरी सिद्धि है महिमा अणिमा के ठीक विपरीत महिमा का अर्थ है कि हनुमान जी अपने शरीर को विशाल से विशालतम बनाने में सक्षम हैं. वह अपने शरीर को किसी भी सीमा तक फैला सकते हैं|
गरिमा:
तीसरी सिद्धि है गरिमा. इस सिद्धि में साधक को शरीर के भार को असीमित तरीके से बड़ा लेने का वरदान प्राप्त होता है. हनुमान जी चाहे तो अपने शरीर का भार कितना भी बढ़ा सकते हैं|
लघिमा:
गरिमा के ठीक विपरीत लघिमा यानी कि हनुमान जी अपने शरीर को इतना हल्का कर सकते हैं कि वह पवन से भी तेज गति से उड़ सकें. उनके शरीर का भार ना के बराबर भी हो सकता है.
प्राप्ति:
हनुमान जी वरदान प्राप्त है कि वह कहीं भी अपने इच्छा अनुसार अदृश्य होकर जा सकते हैं उन्हें कोई नहीं देख सकता|
प्रकाम्य:
हनुमान जी के पास यह सिद्धि है कि वह बहुत ही सरलता से सामने वाले की मन की बात समझ सकते हैं उसकी अभिव्यक्ति को जान सकते हैं|
ईशत्व:
इस सिद्धि के तहत साधक भगवान के रूप में आ जाता है. और वह दुनिया पर अपना आधिपत्य स्थापित करता है|
वशित्व:
इस सिद्धि के तहत साधक किसी को भी अपना दास बनाकर रख सकता है. अपने वश में कर सकता है. और उसकी जय और पराजय साधक के हाथ में ही होती है. इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी जितेंद्रिय हैं और अपने मन पर नियंत्रण कर सकते हैं|
नव निधियां वह है जो हनुमान जी को प्राप्त हैं और हनुमान जी चाहे तो अपने भक्तों को भी वह प्रदान कर सकते हैं|
नव निधियां:
पद्म निधि:
पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।
महापद्म निधि:
महापद्म निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है|
नील निधि:
नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है. उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है|
मुकुंद निधि:
मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्य संग्रह में लगा रहता है|
नन्द निधि:
नन्द निधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है|
मकर निधि:
मकर निधि को तामसी निधि कहा गया है. इस निधि से संपन्न साधक अस्त्र और शस्त्र को संग्रह करने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति का राजा और शासन में हस्तक्षेप होता है|
कच्छप निधि:
कच्छप निधि का साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है. वह सांप के समान उसकी रक्षा करता है|
शंख निधि:
शंख निधि को प्राप्त व्यक्ति स्वयं की ही चिंता और स्वयं के ही भोग की इच्छा करता है. शंख निधि एक पीढी के लिए होती है|
खर्व निधि को मिश्रत निधि कहते हैं. इस निधि से संपन्न व्यक्ति को मिश्रित स्वभाव का कहा गया है|
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