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18 साल पुरानी मशीनों के सहारे चल रहा IGSME

Shantanu Roy
17 July 2024 11:04 AM GMT
18 साल पुरानी मशीनों के सहारे चल रहा IGSME
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Shimla. शिमला। प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल जहां मरीजों की सुविधाओं के लिए बड़े-बड़े दावे करता है, वहीं इनके दावे यहां पर लगी 18 साल पुरानी टेस्ट मशीने फेल कर देती हैं। आईजीएमसी अस्पताल में एमआरआई, सीटी स्कैन सहित एक्स-रे मशीन हर तीन महीने बाद खराब रहती है और एक बार यह मशीनें खराब होती है तो कई कई हफ्तों तक यहां पर यह मशीनें खराब रहती हैं, जिसके चलते मरीजों को महंगे दाम पर निजी लैब से टेस्ट करवाना पड़ता है। कई बार मशीन खराब होने के कारण मरीजों को टेस्ट के लिए लंबी डेट भी दी जाती है, जिसके कारण मरीजों को उपचार भी समय पर नहीं मिल पाता है। हालांकि सिटी स्कैन की आईजीएमसी में दो मशीनें लगी हैं। बावजूद इसके मरीजों को हफ्ते की डेट दी जाती है। न्यू ओपीडी में लगी नई सीटी स्कैन मशीन में भी आपातकाल में आए मरीजों के टेस्ट ही लिए जाते हैं। वहीं, पुरानी मशीन के खराब होने का तर्क यह दिया जाता है कि
पुरानी मशीन है।

हर रोज इसमें 20 से 30 से अधिक टेस्ट होते हैं जबकि इसकी कपेस्टी सिर्फ 15 टेस्ट करवाने की होती है। यह मशीन 2006 में लगी थी और इसकी वरेंटी सिर्फ आठ साल की थी, लेकिन अब इस मशीन को करीब 18 साल हो गए हैं, जिसके कारण अब इसमें कम टेस्ट होते हैं और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं, एमआरआई टेस्ट की बात करें तो इसके लिए एक से डेढ़ महीने की डेट दी जाती है, उसके बाद ही मरीजों का एमआरआई होता है। यदि यह मशीन खराब होती है तो मरीजों को 4 से 6 महीनों के बाद एमआरआई होती है, जिसके कारण मरीजों को उपचार देरी से मिलता है और उनकी बीमारी भी बढ़ जाती है। इस पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि एमआरआई मशीन पुरानी है और एक ही है, जिसके कारण लंबी डेट दी जाती है। हालंाकि आपातकाल में आए मरीजों के टेस्ट के लिए डेट नहीं दी जाती है।
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