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HP News: ट्रैकिंग पर जाने वालों का तैयार होगा डाटा

Shantanu Roy
18 July 2024 10:44 AM GMT
HP News: ट्रैकिंग पर जाने वालों का तैयार होगा डाटा
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Kullu. कुल्लू। जिला कुल्लू के ट्रैक रूटों में अब वन विभाग द्वारा चैक पोस्टें स्थापित करने की तैयारी चल रही है, ताकि पहाड़ों पर अब ट्रैकर लापता न हो सकें। कुल्लू प्रशासन और वन विभाग ने जिला के तीन ट्रैक रूट को चिन्हित किया है और जल्द ही इसमें चैक पोस्ट स्थापित कर ली जाएंगी। जिला के ट्रैकिंग रूटों में लगातार लापता हो रहे ट्रैकरों के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। इस बार सितंबर महीने तक ट्रैक रूटों पर यह चेकपोस्ट स्थापित हो जाएंगी। इससे ट्रैकिंग रूटों में लापता होने या रास्ता भटकने वाले ट्रैकरों को समय पर रेस्क्यू किया जा सकता है। इन रूटों पर जाने वाले ट्रैकरों का रिकॉर्ड भी तैयार हो पाएगा। जिला कुल्लू में एडवेंचर टूरिज्म को रेगुलेट करने के लिए बनाई गई एडवेंचर टूरिज्म कमेटी इस पर काम कर रही है। जिला में दर्जनों ट्रैक रूट मौजूद हैं लेकिन फिलहाल एडवेंचर टूरिज्म कमेटी ने जिला के तीन ट्रैक रूटों हामता पास, खीरगंगा, व्यास कुंड ट्रैक रूट पर चेकपोस्टें लगाई जाएगी। जिला कुल्लू के ट्रैक रूट में लगने वाली चेकपोस्ट पर एडवेंचर टूरिज्म कमेटी की अहम भूमिका रहेगी। ट्रैक रूटों को रेगुलेट करने से लेकर तमाम व्यवस्था में प्रशासन के साथ पर्यटन विभाग, पुलिस, वन विभाग की भी भूमिका रहेगी। इसके अलावा अब स्थानीय पंचायती राज के प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। जिला में इन तीन ट्रेकिंग रूटों के अलावा पीन वैली, कसोल से मलाणा, मलाणा से चंद्रखणी, चंद्रखनी से नागर, कसोल से रशोल, मलाणा से चंद्रखनी रुमसू होते हुए नागर कसोल से बरौनी-खीरगंगा. मानतलाई, बुनकुनी ट्रैक, कसोल से कालगा, चुनचुनी, खीरगंगा से वापस बरौनी, बठाहड-बागा सराहन सहित दर्जनों ट्रैक रूट हैं। जिनको रेगुलेट करने के लिए इस तरह की
व्यवस्था करने की भी योजना है।
कुल्लू जिला में बीते 32 सालों में 113 पर्यटक लापता हुए हैं, जिनमें से 93 लोगों को पुलिस ने खोज लिया लेकिन 20 लापता सैलानियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। साल 1992 से लेकर अब तक जिले में लापता पर्यटकों में से 20 का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इनमें आस्ट्रेलिया के चार, इजराइल के तीन, अमेरिका के तीन, स्विटजरलैंड के दो, नीदरलैंड्स के दो और आयरलैंड, इंग्लैंड, इटली, रूस, कनाडा और युगोस्लाविया का एक.एक पर्यटक शामिल है। बता दें कि जिला के चंद्रखणी दर्रे में 11 मार्च 2016 को करीब 70 घंटे से लापता आठ संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संगरूर के छात्रों को हेलीकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू किया था। समुद्र तल से करीब 12 हजार फुट ऊंचे चंद्रखणी जोत पर फंसे छात्रों को मौत को मात देकर निकाला था। इसके अलावा 17 अप्रैल 2015 को बशलेऊ जोत में भी ट्रैकर फंसे थे, जिन्हें भी सुरक्षित निकाला था। साल 2022 में अली रत्नी टिब्बा में कोलकाता के चार ट्रैकर लापता हो गए थे। जिन्हें बाद में खोज लिया। वहीं, साल 2022 में भी मणिकर्ण की पहाडिय़ों पर दिल्ली के दो पर्यटक लापता हुए थे. जिन्हें पुलिस व रेस्क्यू टीम द्वारा तलाश लिया गया था। मणिकर्ण घाटी में पार्वती वैली ट्रैकिंग एसोसिएशन के संचालक ढाले राम ने बताया कि चैक पोस्ट लगने से इस बात का पता चल पाएगा कि कितने सैलानी ट्रैकिंग रूट पर निकले हैं। उनकी एंट्री से यह पता चल पाएगा कि वो वापस आए हैं या नहीं। क्योंकि कई बार सैलानी बिना गाइड के पहाड़ों का रुख करते है और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। लापता होने वाले सैलानियों को पहाड़ में तलाश करने के लिए भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में कोई भी सैलानी बिना गाइड के ट्रैकिंग रूट पर न जाए। जिला कुल्लू में कई और भी ट्रेकिंग रूट हैं और वहां पर भी सरकार को इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा प्रदेश के अन्य ट्रैकिंग रूट पर भी इस तरह की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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