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प्रियंका के लिए यूपी की लड़ाई कितनी मुश्किल कितनी आसान...

Shantanu Roy
13 Sep 2021 4:26 PM GMT
प्रियंका के लिए यूपी की लड़ाई कितनी मुश्किल कितनी आसान...
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पढ़िए उत्तरप्रदेश की इनसाइड स्टोरी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जनता से रिश्ता ने सबसे पहले 14 अक्टूबर 2020 से ही हमारे दोपहर के अखबार तथा भारत की नंबर एक होने जा रही वेबसाइट ने प्रियंका गांधी के यूपी वाले समाचार और खबर प्रकाशित करना शुरू कर दिया था। देखिए तारीखवार प्रियंका गांधी की प्रत्येक खबर। ख़बरों में जाने के लिए नीचे दिए लिंक को क्लिक करें। ताज़ा तरीन ख़बरों लिंक के उपरांत देखें। नया और ताज़ा अपडेट प्रियंका गांधी ही यूपी की सीएम केंडिडेट होंगी। पूरी खबर विस्तार से पढ़ें।

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उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में कांग्रेस पार्टी ने अपने सबसे संवेदनशील और चर्चित चेहरे को पार्टी की बागडोर सौंपकर पार्टी की खोए जनाधार को दोबारा हासिल करने की ओर कदम बढ़ाया है। प्रियंका गांधी वाड्रा जनता के बीच कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करने के काम को बखूबी अंजाम की ओर ले जा रही हंै। अगर राजनीतिक पंडितों ने कोई गुणा भाग नहीं किया और प्रियंका गांधी की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश चुनाव कांग्रेस ने गंभीरता से लड़ लिया तो यह कहना भी झूठ नहीं होगा कि अगली सरकार उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ही बनेगी। प्रियंका गांधी ने वर्तमान भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ लगातार हर मौकों पर धरना-प्रदर्शन, किसान आंदोलन व सड़क की लड़ाई लड़ी। चाहे वह लखनऊ बाराबंकी व बहराइच का मामला हो या गाजियाबाद का मामला । मथुरा का मामला हो या फतेहपुर का मामला। इसी तरह सीतापुर, बुलंदशहर, ललितपुर हो गोंडा का मामला हो या फिर मेरठ का मामला, हर आंदोलन को के जरिए प्रियंका गांधी ने शिद्दत से गंभीरता के साथ राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर कांग्रेस को सक्रिय करने का काम किया और प्रदेश के सभी नेताओं को बौना साबित कर दिया। अधिकांश कांग्रेश के प्रथम पंक्ति के नेताओं ने लगभग अपनी सहमति जताई है और क्यों न हो कांग्रेस की खोई हुई जमीन और जनाधार वापस लाने की ताकत सिर्फ प्रियंका गांधी में है।


गांधी परिवार का कोई चेहरा क्या मुख्यमंत्री नहीं हो सकता? इस सवाल पर गंभीरता से कांग्रेस को मंथन करना चाहिए और आगामी चुनाव कांग्रेस को अकेले व प्रियंका के नेतृत्व में लडऩे का साहस दिखाना चाहिए। जरूरी नहीं है कि नेहरू परिवार से कोई प्रधानमंत्री पद के लिए ही चुनाव में आए, कुछ कदम उत्तर प्रदेश से भी उठाए जा सकते हैं हमेशा देखने में आया कि प्रधानमंत्री ज्यादातर उत्तर प्रदेश से ही बनते हैं ऐसे में क्या प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव में नहीं जाया जा सकता है। इस चुनाव में प्रियंका गांधी को मुख्य चेहरा बनाकर कांग्रेस पार्टी गंभीरता से चुनाव लड़े तो इसमें कोई शक नहीं कि आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सरकार न बने। वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी अपने जुमलो के कारण बहुत ही बुरी तरह से मात खा गई है और कमोबेश पूरे उत्तर प्रदेश में मल्हार समाज, पासी समाज, मुस्लिम समाज ओबीसी का बड़ा वर्ग और ब्राह्मण समाज कांग्रेश्स की और बड़ी आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं और यह सिर्फ इसलिए क्योंकि उनको प्रियंका गांधी के रूप में एक मजबूत और दमदार नेतृत्व मिलने की आशा है।


हर परिस्थितियों में प्रियंका गांधी ने अपने अंदाज से पैगाम दिया के वह जमकर राजनीति में कदम रखना चाहती है और गंभीर राजनीतिक विषयों पर उनकी बेबाक टिप्पणी असरकारक रहती है यही नहीं समय-समय पर प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लिया है और माकूल प्रश्न पूछ कर देश के सामने भारतीय जनता पार्टी को और नरेंद्र मोदी को बुरी तरीके से लताड़ा। इसके अलावा प्रियंका गांधी ने यह बताने की भी कोशिश की कि वह राजनीति में बड़ी गंभीरता से जमकर कदम रखकर अपने एक एक पांव को आगे बढ़ा रही है पुराने दिनों की बात अगर याद करें तो प्रियंका गांधी ने 2016 में सबको चौंका दिया था अपने दादी इंदिरा गांधी जी की वह साड़ी पहनी थी जो साड़ी 1966 में इंदिरा जी ने वाशिंगटन डीसी में पहनी थी उस साड़ी को पहनकर इनका गांधी ने अजिताभ बच्चन की बेटी की शादी में शरीक होकर सब को संदेश दिया कि वह मजबूती के साथ राजनीति में कदम रखेंगी।

जनता से रिश्ता ने 45 जिलों की सामाजिक संगठनों की सर्वे में यह पाया कि अधिकांश समाज वर्तमान सरकार से उब चुका है और वर्तमान सरकार के वादों को सुन सुन कर थक चुका है। यूपी से गुंडाराज खत्म कर दूंगा, ना खाऊंगा ना खाने दूंगा और यूपी मैं सबसे अच्छे हॉस्पिटल और स्कूल होंगे समय रहते सब बातों की पोल खुल गई। अब सामाजिक स्तर पर इन सब चीजों का मूल्यांकन हो रहा है और मूल्यांकन होना भी चाहिए क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तय होगी। चुनाव में अब कुछ ही दिनों की देरी है ऐसे में कोविड-19 के चक्कर में वर्तमान 14 से 16 विधायकों ने अपनी जान गवाई हैं और आने वाले कुछ दिनों में 14 से 16 विधानसभा चुनाव का मध्यावधि चुनाव भी होगा इस स्थिति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बहुत खतरनाक समय राजनैतिक दौर में देखा जा रहा है अभी राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना बहुत मुश्किल है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार अगर विधान सभाओं के माध्यम से चुनाव होते हैं और प्रियंका गांधी इसी तरीके से आगे बढ़ती रही तो यह कहना मुश्किल नहीं कि प्रियंका गांधी ही प्रदेश की मुख्यमंत्री के लिए सबसे उपयुक्त चेहरा माना जाएगा।


प्रियंका कांग्रेस की अनिवार्यता

कांग्रेस पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं के आवाज सुनना चाहिए यूपी में वर्तमान समय में प्रियंका गांधी का डंका बज रहा है, हर हाल में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी आलाकमान किसी भी कीमत पर सपा बहुजन या किसी अन्य राजनीतिक पार्टी से समझौता करने के पक्ष में किसी भी जिले के कार्यकर्ता का मूड अब दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस पार्टी को अगर चुनाव में उपस्थिति बनाए रखना है और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गंभीर चेहरे की आकर्षण एवं राजनीतिक चेहरे एवं जरूरत होगी तब तो यह यूपी के विधानसभा चुनाव में फार्मूला उपयोग करना ही पड़ेगा। बंगाल और केरल की तरह समझौता कर पार्टी को गर्त में लेजाकर खत्म करने जैसा कार्य फिर ना हो पाए यह भी कांग्रेस आलाकमान को देखना होगा।

कांग्रेस पार्टी में सबसे चर्चित, गंभीर चेहरा उस परिवार से है जिसने देश के लिए बलिदान देकर अपनों का खून बहाया और कांग्रेस पार्टी को भी खड़ा किया। राजनीतिक समझने वाले पंडितों का कहना है कि प्रियंका गांधी दबे पांव और चुपचाप कुछ काम नहीं करती वह खुलकर राजनीतिक में जम कर कदम रखना चाहती है और उनका अंदाज पूरे महामारी के कोरोना कॉल में देखने को मिला। महामारी के समय यूपी के अस्पतालों की दुर्दशा और दवाइयों की किल्लत, डॉक्टरों की कमी, ऑक्सीजन की कमी सभी मुद्दों पर योगी सरकार को लगातार घेरा और खूद भी लोगों को मदद पहुंचाती रहीं। प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट में भी स्पष्ट किया कमला हैरिस 2020 में अमेरिका की पहली उप राष्ट्रपति बनी तब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा आज से 50 साल पहले इंदिरा जी एक महिला देश की प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गांधी जी का साहस व सामथ्र्य पूरे विश्व भर में महिलाओं को हमेशा प्रेरित करेगी। 19 नवंबर 2020 को प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर अकॉउंट में इंदिरा जी के जयंती पर कोंग्रेसजनों को याद दिलाया था। इस तरीके से प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर से ये स्पष्ट संकेत दिया था कि जब उनकी दादी इंदिरा गांधी देश की पहली प्रधानमंत्री बन सकती है मैं भी अपनी आत्मशक्ति, सूझबूझ, लगन और मेहनत से हर प्रकार का नेतृत्व करने को तैयार हूं। प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट से ही ये साफ़ कर दिया कि वो राजनीति में आकर कांग्रेस को एक नया भविष्य देगी।



यूपी की जनता भी जुमलेबाजो से आवश्यक सेवाओं के अभाव से भुखमरी से और अस्पताल और दवाइयों के बेतहाशा त्रस्त करने वाले महंगाई से ऊब चुकी है यूपी की जनता में अब परिवर्तन की लहर का माहौल बन पड़ा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी इस परिवर्तन की लहर को बंगाल के तर्ज पर ममता बनर्जी को ताजपोशी कराने के जैसा अखिलेश को ताजपोशी ना करा दे यही डर हर कांग्रेसी को सता रहा है। यहां तक कि प्रियंका गांधी के इर्द-गिर्द रहने वाले सभी राजनीतिक पंडित और रणनीतिकार का भी डर है कि अगर कांग्रेस पार्टी इस तरीके का निर्णय लेंगे तो आगामी चुनाव को यह मांग के चला जाए कि केरल और बंगाल जैसा हाल कांग्रेस पार्टी का यूपी में भी होगा प्रियंका गांधी अपनी लोकप्रियता को पहचान कर चुनाव में कांग्रेस पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनती है। तो इसमें कोई दो मत नहीं के आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता की भागीदार रहेंगी और प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री बनेंगे सभी राजनीतिक पंडितों का कुल मिलाकर अभी तक यही सार नजर आ रहा है।

सूत्रों से जानकारी आ रही है कि अध्यक्ष के चुनाव के पहले राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी आपसी सहमति से एक-एक करके सभी राज्यों के इंचार्ज महामंत्री तथा आलाकमान के विश्वसनीय सिपह सलाहकारों का चयन कर प्रमुख पदों पर नियुक्त किये जाएंगे। इस तरह की ख़बरें लगातार बैठकों से निकल कर आ रही है। जानकार ये कहने से भी नहीं चूकते कि गांधी परिवार अब पार्टी के गद्दारों को बक्शने के मूड में नहीं है और सभी राज्यों की समीक्षा कर अपने हिसाब से इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी की नियुक्ति शुरू करने वाले है। जिसकी शुरुआत पंजाब से कर दी गई है, वहा फिर से हरिश रावत को पंजाब प्रभारी बना दिया गया है। वहीं एआईसीसी में बड़े पैमाने पर फेरबदल की आहट इससे भी मिलती है कि पिछले 15 सालों से दूर रहे कांग्रेस के सक्रिय और सोनिया गांधी के सबसे करीबी विसेंट जार्ज की कांग्रेस में जोरदार वापसी हुई है। ज्ञात रहे कि स्व. अहमद पटेल व अंबिका सोनी के बाद विसेंट जार्ज ही गांधी परिवार के सबसे करीबी माने जाते हैं।

आलाकमान के सबसे विश्वसनीय और कद्दावर नेता के रूप में उभरने वाले नेताओं को भी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। राज्य के मुख्यमंत्रियों में सबसे विश्वसनीय और आलाकमान के इच्छा के अनुरूप काम करने वाले मुख्यमंत्रियों को भी जन सेवा के लिए कांग्रेस के कार्यक्रम को बढ़ाने में मदद करने के लिए फ्री हैंड दिया जाएगा। जिसमें सबसे अव्वल नाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का लिया जा रहा है। गौरतलब है कि भूपेश बघेल का कद लगातार आलाकमान की नजरों में बढ़ते जा रहा है, कांग्रेस आलाकमान के पास भूपेश बघेल एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी तीनों का पक्का विश्वास जीतने में कामयाब हुए हैं। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने लगातार गरीब, किसानों और मजदूरों के लिए कल्याणकारी और कारगर योजनाएं लाई हैं। जिससे पूरे प्रदेश में गरीब, किसान और मजदूर वर्ग बहुत प्रभावित और आकर्षित हुआ है। देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भूपेश बघेल द्वारा जनता के लिए पेश की गई योजनाओं को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। कई प्रदेश के मुख्यमंत्री उन्हें अपने-अपने प्रदेश से आला दर्जे के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ में भेजकर सभी स्कीम और गरीबों के लिए संचालित योजनाओं का अध्ययन कर उसे अपने राज्यों में भी लागू करने लगे है। केंद्र सरकार भी भूपेश सरकार की कई योजनाओं को केंद्रीय स्तर पर लागू कर रही है। परिणाम स्वरूप किसान, मजदूर और गरीब तबके के लोग इन सभी योजनाओं का लाभ ले सके ऐसी प्रक्रिया अपनाई है, इसी इरादे से भूपेश बघेल की सरकार ने सभी योजनाओं को अच्छे ढंग से जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए गंभीरता से कार्य करना शुरू किया है।

भूपेश बघेल के वर्तमान कद को देखते हुए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि सूरज जैसी तपिश और गर्मी भूपेश बघेल की सरकार में दिख रहा है। भूपेश सरकार आने वाले ढाई सालों में लगातार गरीब, किसानों और मजदूरों के विकास के लिए नई योजना लाकर आने वाले चुनाव में जबरदस्त सफलता पाने के लिए आतुर दिख रही है। इसके अनुसार यह कहना भी गलत ना होगा कि भूपेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। ईमानदार और कर्मठ सच्चे अधिकारियों को जमीनी हकीकत के लिए उतारना और जमीनी सच्चाई जानना यह भी सरकार का महत्वपूर्ण कार्य है। दिल्ली के गलियारों में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है कि कांग्रेस पार्टी पूरे दमखम से भूपेश बघेल के साथ खड़ी है और भूपेश बघेल पर राष्ट्रीय नेता बड़े गर्व से सीना तान के कहते हैं कि सरकार चलाना है तो भूपेश बघेल से सीखो। विरोधियों को चारो खाने चित करने की ताकत रखने वाले भूपेश बघेल वर्तमान में अपने सौम्य व्यवहार से और कांग्रेस पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता होने के नाते सभी गुट के अलग-अलग नेताओं के समर्थकों को अच्छी ढंग से कांग्रेस पार्टी के लिए कार्य करने के लिए उर्जा भर रहे हैं और सभी ग्रुप के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को ज्यादा से ज्यादा पार्टी संगठन में और सरकार के निगम मंडलों में जिम्मेदारी देने का प्रयास भी किया जा रहा है। जिसकी आलाकमान खुले दिल से प्रशंसा करता रहता है। भूपेश सरकार ने लगातार सक्रिय रहकर गरीब, किसान और मजदूरों के लिए लगातार जमीनी स्तर पर बहुत कार्य किया और इस कार्य के लिए सभी विरोधी भी दिल से इस बात को स्वीकार करने से हिचकते नहीं है। अपने इसी कार्यशैली के चलते आलाकमान के दिल पर भूपेश बघेल राज कर रहे हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस का चेहरा होंगी। जनता उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। उनके नेतृत्व में ही अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। पार्टी सभी विधानसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी। जनता के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी प्रियंका को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा जनता के बीच कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करने के काम को बखूबी अंजाम की ओर ले जा रही हैं। अगर राजनीतिक पंडितों ने कोई गुणा भाग नहीं किया और प्रियंका गांधी की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश चुनाव कांग्रेस ने गंभीरता से लड़ लिया तो यह कहना भी झूठ नहीं होगा कि अगली सरकार उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में ही बनेगी। प्रियंका गांधी ने वर्तमान भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ लगातार हर मौकों पर धरना-प्रदर्शन, किसान आंदोलन व सड़क की लड़ाई लड़ी। चाहे वह लखनऊ बाराबंकी व बहराइच का मामला हो या गाजियाबाद का मामला।

मथुरा का मामला हो या फतेहपुर का मामला। इसी तरह सीतापुर, बुलंदशहर, ललितपुर हो गोंडा का मामला हो या फिर मेरठ का मामला, हर आंदोलन को के जरिए प्रियंका गांधी ने शिद्दत से गंभीरता के साथ राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर कांग्रेस को सक्रिय करने का काम किया और प्रदेश के सभी नेताओं को बौना साबित कर दिया। अधिकांश कांग्रेश के प्रथम पंक्ति के नेताओं ने लगभग अपनी सहमति जताई है और क्यों न हो कांग्रेस की खोई हुई जमीन और जनाधार वापस लाने की ताकत सिर्फ प्रियंका गांधी में है।


हर परिस्थितियों में प्रियंका गांधी ने अपने अंदाज से पैगाम दिया के वह जमकर राजनीति में कदम रखना चाहती है और गंभीर राजनीतिक विषयों पर उनकी बेबाक टिप्पणी असरकारक रहती है यही नहीं समय-समय पर प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लिया है और माकूल प्रश्न पूछ कर देश के सामने भारतीय जनता पार्टी को और नरेंद्र मोदी को बुरी तरीके से लताड़ा। इसके अलावा प्रियंका गांधी ने यह बताने की भी कोशिश की कि वह राजनीति में बड़ी गंभीरता से जमकर कदम रखकर अपने एक एक पांव को आगे बढ़ा रही है पुराने दिनों की बात अगर याद करें तो प्रियंका गांधी ने 2016 में सबको चौंका दिया था अपने दादी इंदिरा गांधी जी की वह साड़ी पहनी थी जो साड़ी 1966 में इंदिरा जी ने वाशिंगटन डीसी में पहनी थी उस साड़ी को पहनकर इनका गांधी ने अजिताभ बच्चन की बेटी की शादी में शरीक होकर सब को संदेश दिया कि वह मजबूती के साथ राजनीति में कदम रखेंगी।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की बढ़ती सक्रियता के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बड़ा बयान दिया है. खुर्शीद ने कहा कि हम यूपी विधानसभा चुनाव 2022 प्रियंका गांधी के नेतृत्व में लड़ने जा रहे हैं. वो कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करने के लिए कठिन परिश्रम कर रही हैं. बाद में हम उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी घोषित कर सकते हैं. इससे पहले कांग्रेस चुनावों को लेकर अपना प्रोमो जारी कर चुकी है, जिसमें प्रियंका को यूपी की उम्मीद बताया गया है. प्रियंका गांधी इन दिनों यूपी के दौरे पर हैं. उन्होंने लखनऊ के अलावा रायबरेली और अमेठी का दौरा किया है. यूपी प्रवास के दौरान प्रियंका गांधी जगह कांग्रेस के पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं से मिल रही हैं और फीडबैक लेकर चुनावी रणनीति को मजबूत करने की मुहिम में जुटी हैं.

कांग्रेस यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रतिज्ञा यात्रा निकालने का ऐलान कर चुकी है. यूपी में चुनाव के पहले घर-घर संपर्क के लिए प्रियंका गांधी की अगुवाई में 12 हजार किलोमीटर लंबी यात्रा निकालने का फैसला कांग्रेस कर चुकी है. इसे "कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा: हम वचन निभाएंगे" का नाम दिया गया है, जो शहरी इलाकों के साथ गांवों और कस्बों से होकर गुजरेगी. कांग्रेस प्रियंका गांधी पर यूपी विधानसभा चुनाव का पहला प्रोमो भी जारी कर चुकी है. इसमें प्रियंका को 'यूपी की उम्मीद' बताया गया है. कांग्रेस की रणनीति है कि फरवरी में विधानसभा चुनाव के पहले हर विधानसभा क्षेत्र को पूरी तरह मथ दिया जाए औऱ जिताऊ उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार हो सके. कांग्रेस ने अभी तक विधानसभा चुनाव में किसी बड़े दल से गठबंधन का संकेत नहीं दिया है, हालांकि किसी छोटे दल से हाथ मिलाने की संभावना को नकारा भी नहीं है.

कांग्रेस पार्टी में सबसे चर्चित, गंभीर चेहरा उस परिवार से है जिसने देश के लिए बलिदान देकर अपनों का खून बहाया और कांग्रेस पार्टी को भी खड़ा किया। राजनीतिक समझने वाले पंडितों का कहना है कि प्रियंका गांधी दबे पांव और चुपचाप कुछ काम नहीं करती वह खुलकर राजनीतिक में जम कर कदम रखना चाहती है और उनका अंदाज पूरे महामारी के कोरोना कॉल में देखने को मिला। महामारी के समय यूपी के अस्पतालों की दुर्दशा और दवाइयों की किल्लत, डॉक्टरों की कमी, ऑक्सीजन की कमी सभी मुद्दों पर योगी सरकार को लगातार घेरा और खूद भी लोगों को मदद पहुंचाती रहीं।

प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट में भी स्पष्ट किया कमला हैरिस 2020 में अमेरिका की पहली उप राष्ट्रपति बनी तब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा आज से 50 साल पहले इंदिरा जी एक महिला देश की प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गांधी जी का साहस व सामथ्र्य पूरे विश्व भर में महिलाओं को हमेशा प्रेरित करेगी। 19 नवंबर 2020 को प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर अकॉउंट में इंदिरा जी के जयंती पर कोंग्रेसजनों को याद दिलाया था। इस तरीके से प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर से ये स्पष्ट संकेत दिया था कि जब उनकी दादी इंदिरा गांधी देश की पहली प्रधानमंत्री बन सकती है मैं भी अपनी आत्मशक्ति, सूझबूझ, लगन और मेहनत से हर प्रकार का नेतृत्व करने को तैयार हूं। प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट से ही ये साफ़ कर दिया कि वो राजनीति में आकर कांग्रेस को एक नया भविष्य देगी।

यूपी की जनता भी जुमलेबाजो से आवश्यक सेवाओं के अभाव से भुखमरी से और अस्पताल और दवाइयों के बेतहाशा त्रस्त करने वाले महंगाई से ऊब चुकी है यूपी की जनता में अब परिवर्तन की लहर का माहौल बन पड़ा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी इस परिवर्तन की लहर को बंगाल के तर्ज पर ममता बनर्जी को ताजपोशी कराने के जैसा अखिलेश को ताजपोशी ना करा दे यही डर हर कांग्रेसी को सता रहा है। यहां तक कि प्रियंका गांधी के इर्द-गिर्द रहने वाले सभी राजनीतिक पंडित और रणनीतिकार का भी डर है कि अगर कांग्रेस पार्टी इस तरीके का निर्णय लेंगे तो आगामी चुनाव को यह मांग के चला जाए कि केरल और बंगाल जैसा हाल कांग्रेस पार्टी का यूपी में भी होगा प्रियंका गांधी अपनी लोकप्रियता को पहचान कर चुनाव में कांग्रेस पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनती है। तो इसमें कोई दो मत नहीं के आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता की भागीदार रहेंगी और प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री बनेंगे सभी राजनीतिक पंडितों का कुल मिलाकर अभी तक यही सार नजर आ रहा है।

कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी यूपी चुनाव को लेकर राज्य के दौरे पर हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस में अंदरखाने चर्चा जोरों पर है. इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, यूपी चुनाव प्रियंका गांधी की अगुवाई में लड़ा जाएगा. चुनाव में जीत के लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे का एलान बाद में करेगी. राजनीतिक पंडित इस बयान के बड़े मायने निकाल रहे हैं. उनका मानना है कि प्रियंका सीएम का चेहरा भी हो सकती हैं.

प्रियंका के लिए यह लड़ाई कितनी मुश्किल

2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान, कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थीं, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों यह संख्या फिसल कर महज सात सीटों पर सिमट गई। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में पार्टी 270 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर रही। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 403 सदस्यीय विधानसभा में 312 सीटें मिली थीं। पार्टी पिछले कुछ सालों में लड़ाई लड़ने में विफल रही है, लेकिन इस बार पार्टी नेता मानते हैं कि कोरोना महामारी की रोकथाम का कुप्रबंधन और किसान आंदोलन की वजह से मौजूदा राजनीतिक मिजाज भाजपा के पक्ष में नहीं है, और यह कांग्रेस के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकता है। कांग्रेस के कुछ नेता यह मानते हैं कि भाजपा के खिलाफ जनता का मूड राज्य में पुरानी पार्टी की किस्मत को पलट सकता है।

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