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इतिहास में पहली बार: छाती-पेट से जुड़े थे दो बच्चे...डॉक्टरों को घंटे की सर्जरी के बाद अलग करने में मिली सफलता

Admin2
30 Nov 2020 1:01 PM GMT
इतिहास में पहली बार: छाती-पेट से जुड़े थे दो बच्चे...डॉक्टरों को घंटे की सर्जरी के बाद अलग करने में मिली सफलता
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शरीर से जुड़े जुड़वां बच्चों को लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी(KGMU) में 8 घंटे की सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया. दोनों बच्चों की छाती और पेट एक-दूसरे से जुड़े हुए थे. कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने बताया कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के इतिहास में ये पहली बार हुआ है, जब दो जुड़वा बच्चों को अलग करने का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया है. कुशीनगर की रहने वाली प्रियंका के दो जुड़े हुए बच्चों का केजीएमयू अस्पताल ने सफल ऑपरेशन किया. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी ने बताया कि कोरोना के चलते पहले इन जुड़वा बच्चों का ऑपरेशन नहीं हो पाया था.

बीते दिन दोनों जुड़वा बच्चों का ऑपरेशन किया गया, जिनकी छाती और पेट आपस में जुड़ा हुआ था. यह ऑपरेशन तकरीबन 7 से 8 घंटे चला, जिसका सारा खर्चा सरकार की आयुष्मान भारत स्कीम का उपयोग करते हुए परिजनों ने किया. डॉ. विपिन पुरी ने बताया कि इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए कई अन्य विभागों के सर्जनों की भी मदद लेनी पड़ी, जिनमें कार्डियक सर्जन, लिवर सर्जन, प्लास्टिक सर्जन ने आकर मदद की, ताकि ऑपरेशन को सफल बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन से हम सभी और जुड़वा बच्चों के मां-बाप काफी खुश हैं. वहीं केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर जीडी रावत का कहना है कि ये दोनों बच्चे मेरे अंडर में भर्ती हुए थे. इन दोनों बच्चों के सीने और पेट आपस में जुड़े हुए थे. जिसके चलते इन दोनों जुड़वा बच्चों का ऑपरेशन करना था.

डॉ. विपिन पुरी ने कहा कि ऑपरेशन करने के पूर्व इन बच्चों को बेहोश किया और सारी जांच की. जांच के बाद ऑपरेशन किया गया. जुड़वा बच्चों का लिवर जुड़ा हुआ था. डायाफ्राम और पेरिकार्डियम भी जुड़ें हुए थे. इन सभी को ऑपरेशन करके अलग किया गया. इसके बाद बच्चों को आईसीयू में रखा गया. बच्चे अब पूरी तरीके से स्वस्थ हैं. वहीं बच्चों का सफल ऑपरेशन होने के बाद घरवालों में खुशी की लहर है. मां प्रियंका का कहना है कि जब इन बच्चों का जन्म हुआ, तो गोरखपुर में डॉक्टर ने बच्चों का ऑपरेशन करने से मना कर दिया था. इसके बाद वे केजीएमयू के डॉ. जीडी रावत से मिलीं. उन्होंने उम्मीद की नई किरण दिखाई. उन्होंने बच्चों का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की टीम को आभार व्यक्त किया है.






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