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Old Metropole को बदलने के लिए वित्त आयोग से मांगे 250 करोड़

Shantanu Roy
26 Jun 2024 10:40 AM GMT
Old Metropole को बदलने के लिए वित्त आयोग से मांगे 250 करोड़
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Shimla. शिमला. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने उपाध्यक्ष आवास और ओल्ड मैट्रोपोल को बदलने का सुझाव 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष को दिया है। उन्होंने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डा. अरविंद पनगढिय़ा के साथ होटल सिसिल में मुलाकात की। करीब 19 मिनट तक चली इस बैठक में पठानिया ने कहा कि विधानसभा के पास उपाध्यक्ष विधानसभा के लिए कोई भी आवास नहीं है, इसके निर्माण कार्य पर 2.50 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है। उन्होंने कहा कि विधायकों का आवासीय परिसर ओल्ड मैट्रोपोल भी 120 वर्ष पुराना है। इसके दोबारा निर्माण पर 165 करोड़ का व्यय होना अनुमानित है। पठानिया ने कहा कि विधानसभा परिसर में बहुमंजिला भूमिगत पार्किंग और मनोरंजन कक्ष का निर्माण कार्य प्रस्तावित है इस पर 9
करोड़ रुपए व्यय होने हैं।
पठानियां ने कहा कि विधानसभा सचिवालय में मॉडूलर फर्नीचर की आवश्यकता है इसकी अनुमानित लागत 10 करोड़ रुपए है। लकडिय़ों से निर्मित खिड़कियों को बदलने के लिए 3.50 करोड़ की लागत अनुमानित है। इसके अतिरिक्त विधानसभा सचिवालय के पास अपने कर्मचारियों के लिए कोई भी आवासीय परिसर नहीं है, इसके निर्माण के लिए 60 करोड़ रुपए व्यय किए जाने प्रस्तावित हैं। इन सभी निर्माण कार्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने कुल 250 करोड़ रुपए की राशि की स्वीकृत करने की वित्त आयोग के अध्यक्ष से मांग की। श्री पठानिया ने कहा कि कौंसिल चैंबर और विठ्ठलभाई भवन का निर्माण स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले वर्ष 1920-25 के मध्य किया गया था।
उन्होंने कहा कि कौंसिल चैंबर और विठ्ठलभाई भवन एक हेरिटेज बिल्डिंग है इसमें ज्यादा छेड़-छाड़ नहीं की जा सकती। बदलते समय के साथ-साथ अब देश और दुनिया आधुनिकता की ओर अग्रसर है तथा समय-समय पर कई तरह के निर्माण करना अनिवार्य हो जाता है। श्री पठानिया ने कहा कि कौंसिल चैंबर देश तथा प्रदेश की धरोहर है, जिसे बनाए रखना बहुत जरूरी है। विधानसभा परिसर में मौजूद इन सभी भवनों की मुरम्मत तथा देखभाल पर हर वर्ष लाखों का व्यय होता है। पठानिया ने कहा कि ई-विधान प्रणाली लागू करने मे सर्वप्रथम हैं। श्री पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य है, यहां निर्माण कार्य पर खर्चा बाकि राज्यों की अपेक्षा ज्यादा होता है। यहां साधनों और संसाधनों का भी अभाव है, इसके चलते खर्चा और भी अधिक होता है। बैठक के दौरान 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डा. पनगढिय़ा ने सभी बातों को गंभीरता से सुना और उनके समाधान का आश्वासन भी दिया।
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