हरिद्वार न्यूज़: मध्य हरिद्वार (रानीपुर मोड़, भगत सिंह चौक, नया हरिद्वार) क्षेत्र की करीब एक लाख की आबादी तीन दशकों से सड़कों पर जल जमाव की समस्या से परेशान है. हालांकि क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम रानीपुर मोड़ पर स्थापित किया गया है लेकिन यह कारगर साबित नहीं हो सका है. हर साल क्षेत्र की जनता को जल जमाव के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
रानीपुर मोड़ हरिद्वार का पॉश इलाका है. क्षेत्र में बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स स्थापित हैं. बड़ी संख्या में ज्वालापुर, कनखल, हरिद्वार और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता रानीपुर मोड़ पर विभिन्न कार्यों से पहुंचती है. लेकिन हर साल थोड़ी बारिश होने पर भी क्षेत्र में जल जमाव की समस्या बन जाती है. तेज बारिश के दौरान भगत सिंह चौक, रानीपुर मोड़ और नया हरिद्वार क्षेत्र में सड़कों पर तीन फुट तक पानी भर जाता है. इस दौरान लोगों का बड़ा नुकसान होता है. बारिश रुकने के घंटों बाद तक सड़कों से पानी की निकासी होती है. क्योंकि जगह जगह लोगों ने नालों पर कब्जा भी किया हुआ है. पानी की निकासी के बाद क्षेत्र में स्थिति सामान्य हो पाती है.
रूट करना पड़ता है डायवर्ट, वाहन होते हैं खराब
भगत सिंह चौक पर अक्सर लोगों के वाहन जल जमाव के दौरान खराब हो जाते हैं. भगत सिंह चौक पर तीन से चार फीट पानी भरने से वाहनों का रूट डायवर्ट करना पड़ता है. रानीपुर मोड़ पर भी लोगों के सड़क पर खड़े वाहन पानी जमा होने से दो-तीन फीट तक डूब जाते हैं. कॉम्प्लेक्स और दुकानों तक बारिश का पानी भर जाता है. व्यापारियों को नुकसान होता है. इस दौरान ग्राहक दुकानों तक नहीं पहुंच पाते हैं. जल जमाव के कारण क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों को घर, दफ्तर और बाजार जाने के लिए दिक्कत होती है.
रानीपुर मोड़ पर नालों का निर्माण और ड्रेनेज सिस्टम के कारण जलभराव थोड़ा कम हुआ है. वर्षा का आकलन नहीं हो सकता है. भगत सिंह चौक पर पानी भर जाता है. अंडर ग्राउंड नाले का निर्माण होने पर जल भराव की समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है. नाले में कई स्थानों पर घुमाव है. इस कारण भी समस्या हो जाती है.
-राजेश शर्मा, पार्षद
जल जमाव से निजात को ड्रेनेज सिस्टम पर कार्य जारी
जल जमाव से निजात दिलाने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है. उत्तराखंड सिंचाई विभाग को इसके लिए नोडल बनाया गया है. अतिक्रमण हटाने में व्यस्त होने के कारण अभी योजना में ज्यादा कार्य नहीं हो सका है. जल्द ही इस ओर काम होगा.
अस्पताल जाने को करना पड़ता है इंतजार
रानीपुर मोड़ पर कई अस्पताल और जांच केंद्र स्थापित हैं. जलभराव के कारण तीमारदार बीमार को अस्पताल तक नहीं पहुंचा पाते हैं. बारिश रुकने और जलभराव की निकासी के बाद लोग अस्पताल व जांच केंद्र जाते हैं.
ड्रेनेज सिस्टम पर 70 लाख हो चुके हैं खर्च
रानीपुर मोड़ पर स्थापित ड्रेनेज सिस्टम के लिए दो बार करीब 70 लाख रुपये खर्च किए जा चुके है. ड्रेनेज सिस्टम स्थापित करने के समय करीब 40 लाख रुपये खर्च किए गए थे. वर्ष 2022 में 30 लाख रुपये खर्च कर दो जेनरेटर और पोर्टेबल पंप भी खरीदे गए. ड्रेनेज सिस्टम भगतसिंह चौक, रानीपुर मोड़ और नया हरिद्वार से बारिश के पानी की निकासी गंगा में करता है. बारिश के दौरान ड्रेनेज सिस्टम फेल साबित होता है. सड़कों पर पानी जमा हो जाता है. क्षेत्र के नालों पर भी अतिक्रमण है. इस कारण भी पानी की निकासी नहीं हो पाती है.
बीएचईएल से आने वाले बारिश के पानी का वेग काफी तेज होता हैं. साथ ही पहाडों की लकड़ी, सिल्ट, थर्माकोल आदि कूड़े के कारण नाले चोक हो जाते हैं. सड़कों पर पानी भर जाता है. समाधान के लिए बीएचईएल में कूड़ा रोकने की जरूरत है. साथ ही अंडर ग्राउंड नाला भगत सिंह चौक से रानीपुर मोड़ से नया हरिद्वार होते हुए गंगनहर के नीचे से संजय नहर तक पहुंचाने पर जल भराव से निजात मिलेगी.
- संजय शर्मा, पूर्व पार्षद