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मोबाइल एडिक्शन युवा पीढ़ी पर हो रहा हैं हावी, बढ़ रही हैं समस्याएं
मेरठ न्यूज़: मोबाइल का प्रयोग आम जिंदगी में काफी ज्यादा हो रहा है। इसके जहां फायदे है तो उससे कहीं ज्यादा नुकसान भी हैं, लेकिन मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोग मानसिक रोगी बनते जा रहे हैं। पिछले दो सालों में इनकी संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हुआ हैं। न्यूरो व साइकलॉजी से जुड़े डाक्टरों ने इस बात का चौकाने वाला खुलासा किया है। मोबाइल के अधिक प्रयोग का असर सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी पर पड़ रहा हैं। इससे युवाओं की इच्छाएं समाप्त हो रही है, नाकारात्मक सोच बढ़ रही है, अकेलापन, उदासी, बातों को न समझना व गुस्सा आना जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रहीं है। इन समस्याओं से युवा पीढ़ी की दिनचर्या सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है जो बेहद घातक है। नाकारात्मक सोच पनपने से यह वर्ग चिढ़चिढ़ा होता जा रहा है।
दिनभर मोबाइल का प्रयोग करने से युवा अकेलापन का शिकार हो रहें है। जरा सी बात पर गुस्सा आना यानी सहनशीलता कम होने के मामलें भी बढ़ रहें हैं। दिमाग से संबंधित रोगों के करीब 200 मरीज रोज मेडिकल की न्यूरों ओपीडी में पहुंच रहें हैं। इनमें से 80 प्रतिशत संख्या युवा वर्ग की हैं। यह मरीज खुद बताते है कि उन्हें नींद न आना, गुस्सा आना, नाकारात्मक सोच की वजह से काम में मन न लगनें की शिकायते आम हैं। साइकोलॉजी विभाग में भी करीब 150 मरीज रोज आ रहें है जो यह बताते है कि पिछले दो सालों में उनकी दिनचर्या में खासा बदलाव आ गया हैं। परिवार से दूरी बढ़ती जा रही है, सबसे ज्यादा मामले चिड़चिड़े होने के सामने आ रहें है। यहां तक की उन्हें किसी की भी बात पर विश्वास न होने की भी शिकायते सामने आ रही हैं। इनमें से 75 प्रतिशत मरीज युवा होते है जिनको इलाज की जरूरत पड़ रही हैं।
समाधान: मेडिकल के न्यूरो विभाग की एचओडी डा. दीपिका सागर ने बताया ऐसे मरीजों को अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिए। मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से कुछ ऐसे तत्व दिमाग में पनपने लगते है जो गुस्सा आनें की वजह है जैसे एड्रिनिलिन व नो एड्रिनिल तत्व। इनकी संख्या दिमाग में ज्यादा होने पर गुस्सा आना शुरू हो जाता हैं। इससे बचनें के लिए अकेले रहने से बचें। यदि किसी वजह से अकेला रहना भी पड़ता है तो एक डायरी मेंटेन करे जिसमें अपने मन में आनें वाली नाकारात्मक व साकारात्मक सोच को दर्ज करें। इसके बाद जब भी समय मिले तो लिखी हुई दोनों बातों को पढ़ें। साथ ही किसी भी न्यूरो व साइकेट्रिक से मिलकर समस्या को बताएं। जिससे समय रहते इलाज किया जा सके। मेडिकल के साइक्रटिक विभाग के एचओडी डा. तरुण पाल का कहना है मोबाइल का ज्यादा प्रयोग एक एडिक्शन है जिससे बच्चों के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता हैं। इससे बच्चों व युवाओं का चिड़चिड़ा होना सबसे आम बात है। इनके व्यवहार में भी काफी बदलाव नजर आ रहा हैं।
नींद न आना व डिप्रैशन के साथ दूसरे एडिक्शन भी जन्म लेने लगते हैं जैसे पोर्न साइट देखने की लत लग जाना। इससे बच्चों में जल्दी मैच्योरिटी आ रही है और वह रेप जैसे अपराध करने लगते हैं। उनके पास रोजाना पांच से आठ बच्चे आ रहें है जो इसी तरह के एडिक्शन का शिकार हैं। वहीं युवाओं की संख्या भी काफी ज्यादा हैं।