राजस्थान

पार्षद की शिकायत, निगम में उनकी नहीं होती सुनवाई

Admin Delhi 1
2 Jan 2023 1:24 PM GMT
पार्षद की शिकायत, निगम में उनकी नहीं होती सुनवाई
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कोटा: वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाला ही जब वार्ड की व्यवस्थाओं से सन्तुष्ट ना हो तो इस बात का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है कि उस वार्ड के हालात क्या है? वार्डवासियों को क्या-क्या शिकायतें होगी। बात पढ़ने में अजीब लेकिन ये सच्चाई है कोटा नगर निगम के वार्ड नम्बर 80 की। दरअसल इस वार्ड की पार्षद लक्ष्मी मेहरा भाजपा की ही है और इस बात का खामियाजा पूरे वार्डवासियों को भुगतना पड़ रहा है। खुद पार्षद की ही माने तो ना राज्य में सरकार उनकी है ना निगम में बोर्ड भाजपा का, इसलिए विकास कार्यों के लिए बजट ही नहीं दिया जाता है। नगर निगम कोटा दक्षिण के वार्ड 80 में केशवपुरा सेक्टर-4, आंशिक रूप से केशवपुरा सेक्टर-6, गुजराती बस्ती, हरिजन बस्ती, भील बस्ती तथा सुनारों का मौहल्ला आदि इलाकें आते हैं। वार्ड में कुछ गलियों की सड़कें जरूर बनी हंै लेकिन यहां के निवासी वार्ड में समस्याओं के अम्बार को लेकर वार्ड पार्षद से खफा हैं। मसलन टूटी नालियां, भरी हुई नालियां, जगह-जगह कचरा, सड़कों पर घूमते बडेÞ-बडेÞ श्वान, कई स्थानों पर डेरा जमाये आवारा पशु आदि। वार्ड के कुछ लोग बताते हंै कि अगर वार्ड में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं, निगम से जुड़ी समस्याओं का हल नहीं निकल पा रहा हैं तो उसके लिए पार्षद को पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। वो अपनी ओर से पूरा प्रयास करती है लेकिन जब उनकी ही कोई नहीं सुनता तो वो भी क्या करें? इसलिए ही वार्ड की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। पार्षद खुद समस्याओं को लेकर निगम में संबंधितों को ज्ञापन दे चुकी है, पत्र लिख चुकी है।

वार्ड नम्बर 80 की लगभग हर गली की सड़कें उधड़ी हुई है। वार्ड में कई स्थानों पर कचरे का ढेर लगे हुए हैं। केशवपुरा चौराहा से बालाकुन्ड की ओर जाने वाली सड़क के किनारों पर दिनभर गायों का जमावड़ा लगा रहता है। कुछ मौकों पर पर तो वाहन चालकों को इन पशुओं का शिकार होना पड़ा है। सड़क किनारे सब्जी बेचने वालों का जमावड़ा लगा रहता है। शाम होते-होते तो हालात यहां तब हो जाते है कि वाहनों से निकलना तो दूर की बात पैदल तक चलना मुश्किल हो जाता है।वार्ड में एक नाला भी है जो खड़े गणेशजी मन्दिर से साजीदेहड़ा तक जाता है। ये नाला हरदम कचरे से भरा रहता है। इलाके के आसपास के लोग तो इसमें कचरा डालते ही हंै इस नाले के इर्द-गिर्द खड़े रहने वाले सब्जी, फल बेचने वाले और अन्य दुकानदार भी अपना सारा कचरा इसी नाले में फैंक देते हंै। जिससे बारिश के दौरान हालात ज्यादा खराब होते है। गर्मियों के दिनों में इस नाले के पास से निकलना भी मुश्किल होता है। वार्ड के कुछ लोगों का कहना है कि श्वानों और सांड, गायों के कारण बच्चे ही नहीं बड़ों का भी घरों के बाहर निकलना दुभर हो गया है। गायें और श्वान हाथों में से सामान को खीचकर ले जाते हैं। श्वानों ने कई बार लोगों को काटा है। कुछ स्थानों पर नालियां सालों से टूटी पड़ी है। मौहल्लों में लोग जहां चाहे वहां कचरा डाल देते है लेकिन निगम की ओर से उठाने वाला आता ही नहीं।

वार्ड पार्षद बताती है कि केशवपुरा के इस नाले को साफ करवाने के लिए पार्षद बनने के बाद से लेकर अब तक 8 बार पत्र लिख चुकी है लेकिन नाला कभी साफ ही नहीं होता है। टेन्डर होते है, कागजों में नाला साफ होता है। वार्ड में सफाई के लिए केवल 16 सफाईकर्मी हैं। इनमें से 4 तो दिव्यांग है अब उनसे कैसे काम होगा, कोटा का एक यही वार्ड है जिसमें सबसे ज्यादा दिव्यांग हैं। कई बार कह चुकी हंू कि दो कर्मचारियों को अन्य वार्ड में लगवा दो लेकिन कोई नहीं सुनता। वार्ड के लोगों को पट्टा दिलवाने के मशक्कत करती हंू लेकिन पट्टों का मामला निगम और यूआईटी के बीच फुटबाल बना हुआ है।

इनका कहना है:

हम वार्ड में विकास कार्यों के कारण नहीं सामाजिक सेवा से जाने जाते हैं। वार्ड में डेरा जमाये आवारा पशुओं, श्वानों आदि के लिए ज्ञापन तक दे चुकी हूं। श्वानशाला बन जाने के बाद भी श्वानों को नहीं पकड़ा जा रहा है। वार्ड में विकास कार्यों के लिए बजट ही नहीं मिलता। लोग समझते है कि मैं काम नहीं करवाती तो मेरे घर पर आकर उलाहना देकर जाते हैं।

- लक्ष्मी मेहरा, वार्ड पार्षद।

वार्ड की कुछ गलियों में सड़कें बनी है, इसके अलावा कोई काम नहीं हुआ है। सफाई नहीं होती है। कचरे के कारण बीमार पड़ने का डर बना रहता है। नालियां हमेशा भरी रहती हैं। बारिश के दिनों में गन्दा पानी सड़कों पर आ जाता है।

- राजेन्द्र सिंह चौहान, वार्डवासी।

हमारे मौहल्ले में तो सड़क नहीं बनी है। पूरी सड़क पर गड्ढेंÞ बने हुए हंै। वार्ड में सरकारी लाइट कभी जलती है, कभी नहीं। पीने के पानी समस्या बनी हुई है। बिना बूस्टर के पानी आता ही नहीं। हमारे इधर पीने के पानी की पाइप लाइन में पाइप छोटे हैं, इसलिए पे्रशर ही नहीं आता है।

- अर्चना गौड, वार्डवासी।

वार्ड में कुछ भी अच्छा काम नहीं हुआ है। नाले के कचरे और अन्य स्थानों पर कचरा नहीं उठाने को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। मन्दिर के यहां तक कचरे के ढ़ेर पड़े रहते हैं। निगम की ओर से कुछ भी व्यवस्था नहीं है। रोड पर सब्जी वालों का अतिक्रमण रहता है, शाम होते-होते तो जाम लगना शुरू हो जाता है।

- छाया अग्रवाल, वार्डवासी।

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