उदयपुर में हर साल मिल रहे 61 मरीज: इनमें 95 फीसदी स्वस्थ हो रहे
उदयपुर न्यूज: देश में कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 1 फरवरी को कुष्ठ दिवस मनाया जाता है। कभी पूर्व जन्म का कर्म और असाध्य रोग कहे जाने वाला कोढ़ अब डेढ़ साल में ठीक हो रहा है। नियमित इलाज के कारण विगत 13 वर्षों में उदयपुर सहित आसपास के जिलों में कुष्ठ रोगियों की संख्या कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ी भी नहीं है।
आंकड़ों की बात करें तो एमबी अस्पताल में हर साल औसतन उदयपुर सहित आसपास के जिलों से 132 मरीज आ रहे हैं, जबकि उदयपुर चिकित्सा विभाग अपने रिकॉर्ड में ऐसे मरीजों की औसत संख्या 61 बता रहा है. यानी एमबी में 70 मरीज आसपास के जिलों से आ रहे हैं.
हालांकि विभाग के मुताबिक इनमें से 95 फीसदी ठीक हो रहे हैं। कुष्ठ रोगियों को अब दवा लेने के लिए बार-बार उदयपुर नहीं आना पड़ेगा। कुष्ठ रोगियों को समय पर दवाएं मिलें, इसलिए पांच साल पहले केंद्र सरकार ने भी व्यवस्था में बदलाव किया है। अब उन्हें बीमारियों से संबंधित दवा लेने उदयपुर नहीं आना पड़ता है, बल्कि उनके घर के पास ही स्वास्थ्य केंद्रों में दवाइयां उपलब्ध हो जाती हैं।
लाल-सफेद दाने हों तो जांच कराएं, डेढ़ साल में स्वस्थ हो सकते हैं
रोग विशेषज्ञों के अनुसार कुष्ठ रोग के लक्षण अलग-अलग दिखाई देते हैं। त्वचा पर लाल-सफेद और तरह-तरह के दाने पड़ जाते हैं। उस हिस्से में त्वचा के सुन्न होने की शिकायत होती है। सर्दी-गर्मी का अहसास नहीं होता। कभी-कभी फफोले पड़ जाते हैं। कुछ मामलों में छाले भी पड़ जाते हैं। लकवा का अटैक भी आ जाता है। ऐसे मरीजों की पहले जांच की जाती है। बाद में स्लिट स्मीयर प्रक्रिया द्वारा कीटाणुओं की उपस्थिति की जाँच की जाती है। यहां स्क्रीन बायोप्सी होती है।