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पलाश के फूलों से बनाया जा रहा रंग-गुलाल, चेहरे पर किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं
इंदौर न्यूज़: रंगों के पर्व होली को लेकर बाजारों में रंगों और गुलाल की दुकानें सज गईं हैं. पलाश के फूलों के रंग बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है. यह ऐसा रंग है जिसके चेहरे पर लगने के बाद भी कोई नुकसान नहीं होता. इसके लगने के बाद भी त्वचा सुरक्षित रहती है.
तिल्लोर की वन समिति द्वारा सवा सौ किलो रंग बनाया जा रहा है. श्रमिकों का कहना है कि बड़ी लगन और मेहनत से यह तैयार होता है. पलाश के फूलों को अच्छी तरह से सुखाया जाता है फिर उसे मशीन में पीसकर रंग गुलाल तैयार किया जाता है.
पिछले कई दिनों से ग्राम वन सुरक्षा समिति से जुड़ी महिलाएं इस कार्य में जुटीं हैं. चोरल रेंज में सबसे ज्यादा 300 किलो रंग बनाया जा रहा है. वहां की ग्राम वन समिति की महिला श्रमिकों द्वारा फूलों को इकट्ठा कर सुखाने के बाद पीसकर पैकेट तैयार किए जा रहे हैं. 1 मार्च से नवरतन बाग स्थित वन विभाग के मुख्य कार्यालय में रंग-गुलाल बेचने के लिए दुकान लगा ली जाएगी. 100 ग्राम के पैकेट की कीमत 55 रखी गई है. डीएफओ नरेंद्र पंड्या ने बताया कि पलाश का फूल इकट्ठा करने वालों को विभाग द्वारा 45 रुपए प्रति किलो मजदूरी दी गई है.