हरियाणा: प्रदेश की सभी 11 नगर निगम क्षेत्र में जिला अनुसार अब अपने क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे को श्रेडिंग करने और दोबारा प्रयोग करने के लिए प्लांट लगाना होगा. इसको लेकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने प्रदेश की सभी नगर निगम के आयुक्तों और जिला नगर आयुक्तों को आदेश जारी कर दिए हैं.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) की सख्ती के बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने यह आदेश जारी किए हैं. हालांकि 17 जुलाई को चंडीगढ़ हुई बैठक में भी अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए थे. अगले दो माह में सभी निगम क्षेत्रों में यह प्लांट स्थापित किए जाने हैं. अभी तक कचरा निस्तारण के कार्य में प्लास्टिक को श्रेडिंग का कोई जिक्र नहीं किया था. ऐसे में अब अधिकारियों प्लास्टिक कचरे को दोबारा प्रयोग करने के लिए अलग से श्रेडिंग प्लांट लगाना होगा.
निगम के पास सैकड़ों टन प्लास्टिक के ढेर लगे नगर निगम गुरुग्राम में प्लास्टिक की थैलियों और प्लास्टिक की बनी वस्तुओं पर बैन के बाद निगम द्वारा लगातार प्लास्टिक बेचने और इसका प्रयोग करने वाले लोगों, दुकानदारों पर प्लास्टिक जब्त करने के साथ जुर्माना लगाया जा रहा है. नगर निगम ने करीब एक हजार टन से ज्यादा का प्लास्टिक बीते डेढ़ साल में जब्त करने का काम किया है. निगम ने प्लास्टिक को जब्त तो कर लिया, लेकिन अभी तक प्लास्टिक के निस्तारण या इसको दोबारा प्रयोग में कैसे लाया जा सकता है इसको लेकर कोई योजना नहीं है. ऐसे में नगर निगम के सेक्टर-42 के दफ्तर में प्लास्टिक की वस्तुओं और थैलियों के ढेर लगे हुए हैं. अब इन्हें प्लांट लगने के बाद निगम की तरफ से निस्तारित किया जाएगा.
सीपीसीबी की रिपोर्ट
पर्यावरणविदों ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट (2018-19) के अनुसार भारत में प्रति वर्ष 3.3 मिलियन मीट्रिक टन कुल प्लास्टिक कचरे का उत्पादन करती है. भारत की प्लास्टिक कचरे की समस्या समृद्ध दुनिया की तरह विशाल नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से बढ़ रहा है. गोवा और दिल्ली जैसे समृद्ध राज्यों में क्रमश 60 ग्राम और 37 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन उत्पादन होता है, जबकि राष्ट्रीय औसत 8 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन है. लोग प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है प्लास्टिक
पर्यावरणविद वैशाली राणा ने बताया कि प्लास्टिक एक गैर बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो ना ही मिट्टी में मिलता है ना ही पानी में घुलता है. इसीलिए इसका प्रभाव सैकड़ों वर्षो तक रहता है. प्लास्टिक से वायु, जल और मिट्टी भी प्रदूषित होता है. जल स्रोत में प्लास्टिक और प्लास्टिक वस्तुओं को फेंकना जल जीवन के लिए जानलेवा है. जल जीवों प्लास्टिक को खाना समझ के उसे खा लेते हैं जो उनके लिए जानलेवा साबित होता है. प्रतिदिन घर से निकलने वाले कचरे को नगर निगम के द्वारा कहीं डंप किया जाता है, उस कचरे के साथ भारी मात्रा में प्लास्टिक होता है. उस कचरे के ढेर से जानवर अपने लिए खाना खोजते हैं लेकिन वहां से खाने के साथ-साथ प्लास्टिक भी खाना पड़ जाता है जो उनके गले में फंस सकता है.
ट्रायल के तौर पर बनाई थी टाइलें
वेस्ट प्लास्टिक मैनेजमेंट के निमयों के अनुसार प्लास्टिक श्रेडिंग प्लांट लगाने के लिए मुख्यालय के आदेशानुसार आरएफपी तैयार कर लिया है. दो महीने से पहले ही यह प्लांट शहर में लगा दिया जाएगा, ताकि इस प्लास्टिक से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो.
-विशाल गर्ग, कार्यकारी अभियंता, एसबीएम, नगर निगम, गुरुग्राम